कल से महंगा हो जाएगा सर्दी-खांसी और बुखार का इलाज, 800 से अधिक जरूरी दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी

1 अप्रैल से 800 से ज्यादा जरूरी दवाओं की कीमत 11 फीसदी तक बढ़ने जा रही हैं, दवाओं की कीमतों के बढ़ने के पीछे थोक महंगाई को मुख्य वजह माना जा रहा है

Updated: Mar 31, 2022, 12:58 PM IST

Photo Courtesy: Business Today
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नई दिल्ली। महंगाई से जूझ रहे उपभोक्ताओं को कल से स्वास्थ्य के मोर्चे पर भी झटका लगने वाला है। 1 अप्रैल से 800 से अधिक आवश्यक दवाओं की कीमतें बढ़ने जा रही हैं। केंद्र सरकार ने दवा कंपनियों को वार्षिक थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में बदलाव के अनुरूप वृद्धि की अनुमति दे दी है।

शुक्रवार से सर्दी-खांसी और बुखार जैसे आम बीमारियां का इलाज भी महंगा हो जाएगा। नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने 800 से अधिक जरूरी दवाओं की कीमतों में करीब 11 फीसदी की बढ़ोतरी का ऐलान किया है। दवाओं की कीमतों के बढ़ने के पीछे थोक महंगाई को मुख्य वजह माना जा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, थोक महंगाई पर आधारित होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) में 2021 में एक साल पहले की तुलना में 10.76 फीसदी का बदलाव आया है।

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जिन दवाओं के दाम बढाए गए हैं, उन्हें आवश्यक दवाइयों की श्रेणी में रखा जाता है और ये नेशनल एसेंशियल लिस्ट ऑफ मेडिसिन (NLEM) में आती हैं। ये दवाएं हैं- एंटीबायोटिक्स, सर्दी-खांसी की दवाएं, एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स, कान-नाक और गले की दवाएं, एंटीसेप्टिक्स, पेन किलर, गैस की दवाएं और एंटीफंगल दवाएं। करीब 800 से ज्यादा ऐसी दवाएं हैं जी महंगी होंगी। 

बुखार के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली पैरासिटामोल भी महंगी होगी। पैरासिटामोल और बैक्टीरियल इंफेक्शन के इलाज में इस्तेमाल होने वाले एजिथ्रोमाइसिन जैसे एंटीबायोटिक्स, फोलिक एसिड जैसे एंटी एनेमिक प्रिसप्रिक्पशन, विटामिन और मिनरल्स भी शामिल हैं जिनके दाम बढ़ेंगे।

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बता दें कि साल 2019 के लिए, NPPA ने दवा कंपनियों को लगभग 2% की कीमतों में वृद्धि की अनुमति दी थी, जबकि 2020 में वार्षिक WPI में बदलाव के अनुरूप कीमतों में 0.5% की वृद्धि की गई थी। लेकिन ये पहली बार है जब कीमतें 10 प्रतिशत तक बढ़ाई जा रही हैं। दवाओं की कीमतें बढ़ने से आम लोगों को खासी समस्या हो सकती है।