महंगाई से जनता हलकान, थोक महंगाई दर 16 महीनों के रिकॉर्ड स्तर पर, बेतहाशा बढ़े खाद्य वस्तुओं के दाम

मई में थोक महंगाई बढ़कर 15 महीनों के ऊपरी स्तर 2.61% पर थी। जून में थोक महंगाई बढ़कर 3.36% पर पहुंच गई है। यह 16 महीनों के ऊपरी स्तर है।

Updated: Jul 15, 2024, 04:58 PM IST

नई दिल्ली। देश में बेतहाशा बढ़ती महंगाई ने आम लोगों के जीवन को काफी प्रभावित किया है। निरंतर हो रहे मूल्यवृद्धि के कारण खाद्य पदार्थों की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर है। पहले खुदरा महंगाई ने परेशान किया और अब थोक महंगाई की दर भी लगातार चौथे महीने बढ़ गई है। जून में देश की थोक महंगाई दर 16 महीने के उच्चतम स्तर 3.36% पर पहुंच गई।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित मुद्रास्फीति मई में 2.61 फीसदी थी, जो एक महीने बाद जून में बढ़कर 3.36 फीसदी पहुंच गई। पिछले साल जून में यह शून्य से 4.18 प्रतिशत नीचे रही थी। यानी तब थोक महंगाई बढ़ने के बजाए लगातार घटती जा रही थी।

मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि जून 2024 में मुद्रास्फीति बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, कच्चे रसायन तथा प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, अन्य विनिर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि रही है। आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति जून में 10.87 प्रतिशत बढ़ी, जबकि मई में यह 9.82 प्रतिशत थी।

थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है। अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है, तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है।