CM के गृह जिले में राहत राशि में घोटाला, दूसरे खाते में डाले गए किसानों के मुआवजे के पैसे

ये गड़बड़ियां महालेखाकार ग्वालियर के ऑडिट में किसानों के नाम मिस मेच होने पर सर्वर में सामने आई, प्रदेश के 14 अन्य जिलों में गड़बड़ी की आशंका होने पर जांच शुरू।

Updated: May 04, 2023, 02:01 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में बीते दिनों अतिवृष्टि और ओलावृष्टि से फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। राज्य सरकार ने हफ्तेभर में मुआवजा देने का ऐलान किया था। हालांकि, किसानों को फूटी कौड़ी नहीं मिली है। प्रदेशभर के किसान राहत राशि के लिए तरस रहे हैं। इसी बीच सीएम शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर में राहत राशि में करोड़ों रुपए का घोटाला भी सामने आया है। यहां किसानों के मुआवजे के पैसे दूसरे खातों में डालकर निकासी की गई है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक जिले के करीब 500 किसानों के खाते में तीन साल से फसल क्षतिपूर्ति की राशि नहीं आई है। जबकि शासन के मुताबिक किसानों के खाते में यह राशि डाल दी गई है। यह राशि करीब दो करोड़ रुपए बताई जा रही है। ये गड़बड़ियां महालेखाकार ग्वालियर के ऑडिट में किसानों के नाम मिस मैच होने पर सर्वर में सामने आई।

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बताया जा रहा है कि जो राशि किसानों के खाते में डालना थी, उसे संबंधित विभाग के अधिकारी व ऑपरेटर ने डाला ही नहीं। सहकारी बैंकों में फेक खातों के माध्यम से रुपयों की निकासी कर ली गई। साल 2019, 2020 और 2021 में हुई गड़बड़ियों का पता लगाया जा चुका है। आगे की जांच पड़ताल भी की जा रही है। वहीं, 14 अन्य जिलों में भी घोटाले की आशंका है। महालेखाकार के निर्देश पर प्रदेश के इन 14 जिलों में जांच शुरू हुई है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक इन 14 जिलों की प्राथमिक जांच रिपोर्ट में भी बड़े स्तर पर घोटाले का पता चला है। मामले में राजस्व विभाग के तहसीलदार, पटवारी सहित कम्प्यूटर ऑपरेटर की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। क्योंकि पटवारी ने रिपोर्ट तो सही दी थी, लेकिन बाद में हितग्राही का खाता बदल दिया गया। और फेक खातों के माध्यम से हितग्राहियों के पैसे अधिकारियों ने डकार लिए।

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सीहोर, विदिशा, रायसेन, शिवपुरी, सतना, दमोह, छतरपुर, देवास, खंडवा, सिवनी, मंदसौर, आगर मालवा और श्योपुर, ये 14 जिले हैं जहां बड़े स्तर पर गड़बड़ियां हुई है। दो दिन पहले ही पोहरी से एक ऐसा ही मामला सामने आया था। जहां एक कर्मचारी ने सुखा राहत के दो करोड़ 78 लाख रुपए अपनी पत्नी, बच्चो और अन्य रिश्तेदारों के खाते में डाल दिए थे।

मामले पर कांग्रेस किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केदार सिरोही ने कहा कि, "पूरे प्रदेश में को-ऑपरेटिव बैंकों में फर्जी अकाउंट खोलकर किसानों के पैसे निकाले जा रहे हैं। ये तो एक जिले का है। पिछले 20 वर्षों में प्रदेश के सभी जिलों में इस तरह से किसानों के पैसे लूटे गए हैं। अगर ठीक से जांच किया जाए तो लाखों करोड़ का घोटाला सामने आएगा। ये सिर्फ नीचे के स्तर पर नहीं हो रहा बल्की इसका एक बड़ा हिस्सा शीर्ष नेताओं तक जाता है। सरकार सहकारिता बैंकों को इसीलिए डिजिटल नहीं कर रही है। किसानों का मुआवजा, फसल बीमा की रकम और सब्सिडी को मिलाकर जांच किया जाए तो भाजपा के दर्जनों बड़े नेता जेल में होंगे।"