पानी से भी सस्‍ता तेल, बाजार में गिरावट

अमेरिका में कच्चे तेल की कीमत बोतलबंद पानी से कम यानी लगभग 77 पैसे प्रति लीटर हो गई। अमेरिकी एनर्जी कंपनियों के पास कच्चे तेल के भंडारण के लिए जगह ही नहीं बची है। कोई भी क्रूड कॉन्‍ट्रैक्‍ट की डिलीवरी नहीं लेना चाहता है। इसलिए तेल की कीमतें जीरो डॉलर से नीचे आ गई है। कच्चे तेल के भाव में ऐतिहासिक गिरावट से सैंकड़ों अमेरिकी तेल कंपनियां दिवालिया हो सकती हैं। इसका असर भारतीय बाजार तथा यहां की कंपनियों पर भी पड़ रहा है।

Publish: Apr 21, 2020, 11:37 PM IST

कोरोना वायरस  संकट के मद्देनजर मांग घटने से कच्चे तेल की कीमत  सोमवार को जीरो डॉलर/बैरल से भी नीचे चली गई। अमेरिका में कच्चे तेल की कीमत बोतलबंद पानी से कम यानी लगभग 77 पैसे प्रति लीटर हो गई। अमेरिकी एनर्जी कंपनियों के पास कच्चे तेल के भंडारण के लिए जगह ही नहीं बची है। कोई भी क्रूड कॉन्‍ट्रैक्‍ट की डिलीवरी नहीं लेना चाहता है। इसलिए तेल की कीमतें जीरो डॉलर से नीचे आ गई है। कच्चे तेल के भाव में ऐतिहासिक गिरावट से सैंकड़ों अमेरिकी तेल कंपनियां दिवालिया हो सकती हैं। इसका असर भारतीय बाजार तथा यहां की कंपनियों पर भी पड़ रहा है।

साल की शुरुआत में कच्चा तेल 67 डॉलर प्रति बैरल यानी 30.08 रुपए प्रति लीटर था। वहीं 12 मार्च को जब भारत में कोरोना के मामले की शुरुआत हुई तो कच्चे तेल की कीमत 38 डॉलर प्रति बैरल यानी 17.79 रुपए प्रति लीटर हो गई। वहीं 1 अप्रैल को कच्चे तेल की कीमत गिरकर 23 डॉलर प्रति बैरल यानी प्रति लीटर 11 रुपए पर आ गई।

मई महीने में तेल का करार निगेटिव हो गया है। मतलब ये कि खरीदार तेल लेने से इनकार कर रहे हैं। खरीदार कह रहे हैं कि तेल की अभी जरूरत नहीं, बाद में लेंगे, अभी अपने पास रखो। वहीं, उत्पादन इतना हो गया है कि अब तेल रखने की जगह नहीं बची है।

कनाडा में तो तेल के कुछ उत्पादों की कीमत माइनस में चली गई है। सोमवार को जब बाजार खुला तो अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट कच्चे तेल का भाव 10.34 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया था जो 1986 के बाद इसका सबसे निचला स्तर था।

सैंकड़ों तेल कंपनियां हो सकती हैं दिवालिया

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, कच्चे तेल की कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट से अमेरिका में सैंकड़ों तेल कंपनियां दिवालिया हो सकती हैं। कोरोना वायरस संकट के कारण कच्चे तेल की मांग में कमी आयी और तेल की सभी भंडारण सुविधाएं भी अपनी पूर्ण क्षमता पर पहुंच गई है। इसी समय, रूस और सऊदी अरब ने अतिरिक्त आपूर्ति के साथ दुनिया में कच्चे तेल की बाढ़ ला दी। इस दोहरे मार से तेल की कीमतें गिरकर जीरो के नीचे चली गई, जिससे अमेरिकी तेल कंपनियों के लिए पैसा कमाना असंभव हो गया है।

हालांकि, मंगलवार को अमेरिका में कच्चे तेल की कीमतें निचले स्तर से वापसी कर जीरो से ऊपर पहुंच गई। इससे पहले तेल का फ्यूचर जीरो से नीचे कारोबार कर रहा था। मई डिलीवरी के लिए यूएस बेंचमार्क वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट की कीमत सोमवार को पहली बार शून्य से नीचे गिरी। मंगलवार को मई डिलीवरी के लिए कारोबार की अंतिम तिथि है। ऐसे में सोमवार को बाजार में कच्चा तेल की कीमत शून्य से नीचे 37.63 डॉलर/बैरल पहुंच गयी थी। यह अब 0.56 प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है।

कच्चे तेल के साथ प्रति बैरल 3.70 डॉलर देने की पेशकश
मई डिलीवरी के सौदे के लिये मंगलवार अंतिम दिन है और व्यापारियों को भुगतान करके डिलीवरी लेनी थी। लेकिन मांग नहीं होने और कच्चा तेल को रखने की समस्या के कारण कोई डिलीवरी लेना नहीं चाह रहा है। यहां तक कि जिनके पास कच्चा तेल है, वे पेशकश कर रहे हैं कि ग्राहक उनसे कच्चा तेल खरीदे। साथ ही वे उसे प्रति बैरल 3.70 डॉलर की राशि भी देंगे। (इसी को कच्चे तेल की कीमत शून्य डॉलर/बैरल से नीचे जाना कहते हैं।)

भारत में भारी गिरावट के साथ खुला बाजार

सप्ताह में आज कारोबार के दूसरे दिन बाजार भारी गिरावट के साथ खुला। सेंसेक्स 811.81 अंक नीचे और निफ्टी 244.90 पॉइंट नीचे खुला। इससे पहले सोमवार को बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिला था। 467.47 अंकों की मजबूद बढ़त के साथ खुलने के बाद भी सेंसेक्स बेहतर कारोबार नहीं कर पाया। बाजार बंद होने पर सेंसेक्स ने 59.28 अंक या 0.19% ऊपर 31,648.00 पर और निफ्टी 4.90 पॉइंट या 0.05% नीचे 9,261.85 का कारोबार किया था।