हाथी दांत के व्यापार से बैन हटाने का समर्थन करे भारत, प्रोजेक्ट चीता के बदले नामीबिया ने कर दी बड़ी मांग
चीता डील के बदले भारत से हाथी दांत के व्यापार से बैन हटाने के पक्ष में समर्थन चाहता है नामीबिया, अगले महीने CoP19 में फिर से मतदान के लिए रखा जाएगा

नई दिल्ली। भारत और नामीबिया के बीच चीतों को लेकर डील हुआ। प्रोजेक्ट चीता के बदले में नामीबिया को भारत से क्या मिला ये स्पष्ट नहीं है। हालांकि, अब इस डील के बदले में नामीबिया ने बड़ी मांग कर दी है। नामीबिया ने कहा है कि भारत हाथी दांत के व्यापार से बैन हटाने का समर्थन करे।
दरअसल, प्रोजेक्ट चीता के दौरान दोनों देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर द्विपक्षीय सहयोग और ‘जैव विविधता के सतत उपयोग और प्रबंधन’ को बढ़ावा देने के लिए सहमति बनी थी। इसमें वनस्पतियों और जीवों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर आयोजित सम्मेलन की बैठकें भी शामिल हैं। हालांकि इस समझौते में ‘हाथी दांत’ शब्द का कोई लिखित जिक्र नहीं किया गया है।
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लेकिन नामीबिया लंबे समय से लंबित उस प्रस्ताव को मंजूरी देने की मांग भी करता रहा है जिसमें भारत सरकार द्वारा हाथी दांत के व्यापार की अनुमति देने की बात कही गई है। नामीबिया ने CITES में भारत से ‘सस्टेनेबल मैनेजमेंट’ को सपोर्ट करने को कहा है। जो कि नामीबिया के लंबे वक्त से लंबित प्रपोजल को अनुमति देता है।
इस प्रोपोजल में नामीबिया, बोत्सवाना, साउथ अफ्रीका और जिम्बाब्वे में मिलने वाले हाथी दांत के व्यापार को सपोर्ट करने के लिए अनुमति मांगी गई है। समझौते के तहत नामीबिया, बोत्सवाना, दक्षिण अफ्रीका के हाथियों से प्राप्त हाथी दांत में व्यापार की अनुमति मांगी गई है और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (CITES) में भारत का समर्थन भी चाहिए।
भारत ने 1980 से अब तक हाथी दांत के ट्रेड पर पूर्ण बैन का समर्थन किया है। ऐसे में अगर भारत इसे सपोर्ट करता है तो यह भारत के लिए बहुत बड़ा कदम होगा। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रस्ताव को एक बार फिर से नवंबर में वोटिंग के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। माना जा रहा है कि अगर इसको अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन CITES में भारत का समर्थन मिलता है तो स्थिति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
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नामीबिया के पर्यावरण, वानिकी और पर्यटन मंत्रालय के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी रोमियो मुयुंडा ने कहा कि नामीबिया का इस मामले में पक्ष पूरी तरह से स्पष्ट है। उन्होंने कहा, 'हम आश्वस्त हैं कि इस मामले में एक और देश यानी भारत हमारा समर्थन कर रहा है। इसके चलते प्रस्ताव को मंजूरी मिलने की प्रबल संभावना है।' उन्होंने दावा किया कि चीतों पर चर्चा की शुरुआत से ही हाथी बातचीत के केंद्र में रहा है। बीते 20 जुलाई को भारत के केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने चीतों को भारत लाने के लिए नामीबिया के उप प्रधान मंत्री नेटुम्बो नंदी-नदैतवा के साथ बातचीत के दौरान भी गजदंत को लेकर चर्चा हुई थी।
बता दें कि हाथी दांत के व्यापार पर 1989 में विश्व स्तर पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। चूंकि, व्यापार के लिए बड़े स्तर पर हाथियों की हत्या शुरू हो गई थी। साल 2019 में भी हाथी दांत पर प्रतिबंध हटाने संबंधी नामीबिया ने प्रस्ताव लाया था जो 4:1 से गिर गया था। इस बार नामीबिया भारत के समर्थन से इस प्रस्ताव को पारित करना चाहता है।