PM Modi के पास अर्थव्‍यवस्‍था बचाने का आखिरी मौका

बिगड़ती अर्थव्यवस्था का दोषी coronavirus नहीं, मोदी सरकार की गलत नीतियां हैं। न संभले तो 10 साल पीछे जाएगी अर्थव्‍यवस्‍था - चिदंबरम

Publish: May 25, 2020, 01:27 AM IST

Photo courtesy : economictimes
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देश में कोरोना संक्रमण आया उसके पहले सात तिमाही से भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार गिर रही थी। 11 मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन COVID-19 को वैश्विक महामारी घोषित कर चुका था। इसके बाद हमारा ध्यान खराब अर्थव्यवस्था से हटकर इस महामारी पर चला गया। अब सरकार लचर हो चुकी अर्थव्यवस्था का दोषी इस महामारी को बताएगी। हालांकि सच्चाई तो यह है कि इस बिगड़ती अर्थव्यवस्था की जड़ मौजूदा केंद्र सरकार की गलत नीतियां हैं। देश की अर्थव्‍यवस्‍था को एक दशक पीछे ले जाने के इस काम के लिए जनता कभी पीएम मोदी को माफ नहीं करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के पास शुतुरमुर्गी चाल से बच कर अर्थव्‍यस्‍था संभालने का यह आखिरी मौका है।

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यह राय पूर्व वित्‍त मंत्री पी. चिदंबरम ने इंडियन एक्सप्रेस के लिए लिखे अपने स्तंभ में व्‍यक्‍त की है। उन्‍होंन मोदी को खर्च करने, उधार लेने और मौद्रीकरण की नीति अपनाने की नसीहत देते हुए लिखा है कि 12 मई को प्रधानमंत्री ने 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज घोषित किया है। इस पैकेज का विश्लेषण करते हुए अर्थशास्त्रियों और एक्सपर्ट्स ने कहा है कि पैकेज में राजकोषीय प्रोत्साहन का हिस्सा जीडीपी के 0.8 से 1.3 प्रतिशत के बीच है। उन्होंने पिछले हफ्ते विस्तृत आंकड़ों के साथ राजकोषीय प्रोत्साहन का आकार 1,86,650 करोड़ रुपए बताया था जो भारतीय जीडीपी का 0.9 फीसदी है। उनके इस आंकड़ों का खंडन सरकार में भी किसी ने नहीं किया है।

कांग्रेस नेता चिदंबरम ने लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गिरती अर्थव्यवस्था का कारण कोरोना संक्रमण को बताना पाप है। जब देश में कोरोना संक्रमण आया उसके पहले भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार सात तिमाहियों से गिर रही थी। लचर हो चुकी अर्थव्यवस्था के लिए यह महामारी नहीं बल्कि केंद्र सरकार की गलत नीतियां हैं।

चिदंबरम ने लॉकडाउन का कारण केंद्र के पास वैकल्पिक नीतियों की अभाव को बताया है। उन्होंने लिखा है कि मार्च में लॉकडाउन घोषित करने के फैसले को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था क्योंकि कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए एक मात्र तरकीब सोशल डिस्टेंसिंग यानि लॉकडाउन था। वैकल्पिक रणनीति के अभाव में केंद्र सरकार लॉकडाउन को लगातार एक से दो, दो से चार तक बढ़ाती गई। इसका गंभीर परिणाम सब के सामने है। लॉकडाउन ने एक बहुत बड़े मानवीय संकट को पैदा कर दिया है।

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कांग्रेस नेता चिदंबरम ने प्रधानमंत्री मोदी पर सारे अधिकारों को हथियाने का आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि पहले लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार का हर फैसला सवालों के घेरे में था। तीसरे लॉकडाउन के बाद प्रधानमंत्री ने बड़े चालाकी से खुद को टीवी चैनलों से दूर करते हुए सबकुछ राज्य सरकारों पर छोड़ दिया। लेकिन अर्थव्यवस्था नियंत्रण राज्यों के अधीन नहीं है। केंद्र सरकार ने साम्राज्यवादी ताक़तों की तरह सारे अधिकार प्रधानमंत्री कार्यालय तक सीमित कर लिए है। अब खौफनाक मंदी का श्रेय मोदी सरकार इस महामारी को देगी परंतु इसका हकदार वह स्वयं है। 8 नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी के बाद सरकार ने कितने गलत फैसले लिए हैं यह हमें याद दिलाने की आवश्यकता नहीं है।

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पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने लिखा है कि साल गुजरने के बाद अगर राजकोषीय घाटा असहनीय हो जाए तो हमें मौद्रीकरण की नीति अपनाने में कोई हिचक नहीं करनी चाहिए। 2008-2009 के दौरान कई देशों ने ऐसा कर स्वयं को गहरी मंदी में जाने से रोक लिया था। अब मोदी सरकार के पास आखिरी मौका है शुतुरमुर्गी घोड़े से बचने का, खर्च करने का और मौद्रीकरण के रास्ते पर चलने का वरना देश की अर्थव्यवस्था को एक दशक पीछे ले जाने के लिए लोग उन्हें कभी माफ नहीं कर पाएंगे।