इमैनुअल मैक्रों के दोबारा राष्ट्रपति बनते ही फ्रांस में दंगे शुरू, पीएम मोदी बोले- मेरे मित्र को बधाई
राष्ट्रपति पद पर दोबारा जीत के बाद पेरिस में रविवार को विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए, इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मैक्रों को अपना मित्र बताते हुए कहा है कि मैं उनके साथ काम करने को उत्सुक हूं
पेरिस। फ्रांस के राष्ट्रपति चुनाव में इमैनुअल मैक्रों ने दोबारा जीत हासिल की है। मैक्रों की जीत के साथ ही फ्रांस में दंगे शुरू हो गए हैं। इधर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मैक्रों को अपना मित्र बताते हुए कहा है कि मैं उनके साथ काम करने को उत्सुक हूं।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, 'फ्रांस का दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने के लिए मेरे मित्र इमैनुएल मैक्रों को बधाई। मैं भारत तथा फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी को प्रगाढ़ करने के लिए उनके साथ काम करने को उत्सुक हूं।’
Congratulations to my friend @EmmanuelMacron on being re-elected as the President of France! I look forward to continue working together to deepen the India-France Strategic Partnership.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 25, 2022
राष्ट्रपति पद पर दोबारा जीत के बाद राजधानी पेरिस में रविवार को विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। दंगानिरोधी टीम ने प्रदर्शनकारियों पर लाठियां बरसाईं और आंसूगैस के गोले भी दागे। ट्विटर पर मौजूद तस्वीरें दिखाती हैं कि पुलिस ने शहर के बीच में एक जनता चौराहे पर विरोध प्रदर्शन करने इकठ्ठा हुए युवाओं की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए यह कदम उठाया।
रविवार को पहले दौर की वोटिंग के दौरान पेरिस में सोरबोन और दूसरी यूनिवर्सिटीज़ के बाहर छात्रों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। क्योंकि छात्र दिए गए विकल्पों से सहमत नहीं थे। फ्रांस में चुनाव नजीजे आने से पहले ही सड़कों पर दोनों ही राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे थे।
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मैक्रों ने देश की धुर दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन को बड़े अंतर से शिकस्त दिया है। ले पेन ने चुनाव पूर्व कहा था कि यदि वह चुनाव जीतती हैं तो इस्लामिक सोच वाले लोगों की फ्रांसीसी नागरिकता छीनी जाएगी। फ्रेंच संवैधानिक मूल्यों को न मानने वाली मस्जिदें व अन्य इस्लामिक संस्थान बंद होंगे। हिजाब और अन्य धार्मिक पोशाकों पर बैन लगेगा। मैक्रों ने भी कट्टरपंथ से लड़ने का आह्वान किया था, लेकिन देश के संविधान के दायरे में सभी धर्मों का आजादी का समर्थन भी किया।
बता दें कि फ्रांस में चुनाव प्रक्रिया दूसरे देशों से थोड़ी अलग है। यहां उम्मीदवार बनने के लिए नामांकन फॉर्म पर देश के 500 मेयर के हस्ताक्षर कराने होते हैं। इसे अप्रूवल के लिए सुप्रीम कोर्ट के पास भेजा जाता है। सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी मिलने के बाद ही कोई व्यक्ति राष्ट्रपति चुनाव लड़ सकता है। यहां चुनाव 2 चरणों में होते हैं। पहले फेज में अगर किसी कैंडिडेट को 50% वोट मिल जाते हैं तो वो इलेक्शन जीत जाता है। हालांकि पिछले 60 वर्षों में ऐसा कभी नहीं हुआ।
पहले चरण में जिन दो उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा वोट प्राप्त होते हैं, उन्हीं के बीच आखिरी चरण का मुकाबला होता है। ऐसे में मतदाता एक बार फिर से वोटिंग करते हैं और इनमें से जीतने वाला उम्मीदवार एलेसी पैलेस में शपथ लेता है। खास बात यह है कि विकसित देश होने के बाद भी वोटिंग के लिए यहां EVM मशीन नहीं, बल्कि बैलेट पेपर का इस्तेमाल होता है। यहां चुनाव भी हमेशा रविवार को ही होती है, ताकि ज्यादा से ज्यादा नागरिक वोट डाल सकें।