गठिया की दवा से होगा कोरोना का इलाज, WHO ने दो नए उपचारों को मंजूरी दी
विश्व स्वास्थ्य संगठन का दावा गंभीर कोरोना मरीजों को Corticosteroids के साथ अर्थराइटिस की दवा Baricitinib देने से उनके जीवित रहने की दर बढ़ी, वेंटिलेटर की आवश्यकता कम हुई, synthetic antibody treatment को भी परमीशन

भारत समेत पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण से जूझ रही है। बीते 24 घंटों में दुनिया में करीब 31.45 लाख नए कोरोना मरीजों की पुष्टि हुई है। 10.64 लाख लोग रिकवर हुए हैं। दुनिया भर में 8032 लोगों की मौत दर्ज हुई है। अमेरिका दुनिया का कोरोना हॉटस्पॉट बना हुआ है। यहां 8.14 लाख मरीज मिले हैं। फ्रांस 3.61 लाख मरीजों के साथ दूसरे नंबर पर है। भारत 2.46 लाख नए कोरोना केस साथ तीसरे नंबर पर है।
कोरोना से निबटने के लिए टीकाकरण तेजी से जारी है। इस बीच कोरोना के इलाज को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दो नए ट्रीटमेंट्स को मंजूरी प्रदान की है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल the bmj के अनुसार WHO ने कहा है कि Corticosteroids के साथ उपयोग की जाने वाली आर्थराइटिस की मेडेसिन Baricitinib गंभीर कोरोना मरीजों के इलाज के लिए बेहतर साबित हुई है। इससे गंभीर मरीजों को वेंटिलेटर की आवश्यकता में कमी आई है। इन दोनों दवाओं के अलावा विशेषज्ञों ने सिंथेटिक एंटीबॉडी ट्रीटमेंट (synthetic antibody treatment) सोट्रोविमैब (Sotrovimab) की सिफारिश भी की है। जिसे उम्र दराज बुजुर्गों और डायबिटीज जैसे पुराने रोगों के इलाज में कारगर माना जा रहा है। Corticosteroids ज्यादा महंगी भी नहीं है और आसानी से उपलब्ध भी हो जाती है। इस दवा का उपयोग आमतौर पर सूजन के गंभीर मामलों में उपयोग किया जाता है।
माना जा रहा है कि इन दवाओं से मरीजों की जिंदगी बचाई जा सकेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि मार्च तक आधा यूरोप कोरोना की चपेट में आ जाएगा।विश्व स्वास्थ्य संगठन समय-समय पर कोरोना इलाज के लिए दवाओं की अनुशंसा करता रहता है। इससे पहले जुलाई और सिंतबर में कुछ दवाओ को मंजूरी दी गई थी। जुलाई में आर्थराइटिस के इलाज में उपयोगी दवा tocilizumab और sarilumab को अनुमति दी गई थी। वहीं सिंथेटिक एंटीबॉडी ट्रीटमेंट Regeneron को सितंबर में मंजूरी मिली थी।