VHP ने दी चर्चों को धवस्त करने की धमकी, बिशप ने राष्ट्रपति से मांगा संरक्षण

यह मामला मध्य प्रदेश के झाबुआ का है, जहां विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा इलाके सभी चर्च तोड़ने की कथित तौर पर धमकी दी जा रही है, इस सिलसिले में एक बिशप ने देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की अपील की है

Updated: Sep 28, 2021, 01:28 PM IST

Photo Courtesy : The Hindu
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भोपाल।  प्रदेश के झाबुआ ज़िले में रहने वाले ईसाईयों को संरक्षण देने के लिए एक बिशप ने देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से गुहार लगाई है। बिशप का आरोप है ज़िले में रहने वाले ईसाईयों को उनके चर्च तोड़ डालने की धमकी दी जा रही है। यह धमकी कट्टर हिंदू संगठन माने जाने वाले विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा दी जा रही है। बिशप ने इस सिलसिले में राष्ट्रपति से संज्ञान लेने की अपील की है। पत्र में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यपाल मंगूभाई छगनभाई पटेल को भी संबोधित किया गया है।  

दरअसल हाल ही में झाबुआ के तहसीलदार ने ईसाई पादरियों के नाम एक नोटिस जारी किया था, जिसमें कई पादरियों को अपने दस्तावेज़ जमा करने के निर्देश दिए गए थे। इसके साथ ही पादरियों को इस बात की जानकारी भी देने के लिए कहा गया था कि उन्होंने कितने धर्मांतरण करवाए हैं। और साथ ही साथ पादरियों से उनकी नियुक्ती की जानकारी भी देने के लिए कहा गया था। इसके लिए पादरियों को 22 सितंबर तक का समय दिया गया था। यह जानकारी दिल्ली अल्पसंख्यक बोर्ड के पूर्व सदस्य एसी माइकल ने द वायर को दी। एसी माइकल मौजूदा वक्त में यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम के राष्ट्रीय समन्वयक भी हैं।  
यूएसएफ, क्रिश्चियनों के हितों की रक्षा के लिए काम करने वाला संगठन है।  

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वीएचपी और बजरंग दल की वजह से है इलाके में भय का माहौल 
द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक जब पादरियों को इस तरह का समन भेजा गया, इसके बाद झाबुआ में स्थित प्रोटेस्टेंट शोलम चर्च के ऑक्सीलियरी बिशप पॉल मुनिया के नेतृत्व में कई ईसाई पादरी तहसीलदार के कार्यालय पहुंच गए और उन्होंने तहसीलदार को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंप दिया। ज्ञापन में इस बात का उल्लेख किया गया था कि झाबुआ ज़िले के कई आदिवासी जिनका श्रद्धा जीसस क्राइस्ट में है, उन्हें हिंदू संगठन विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल द्वारा तंग किया जा रहा है और धर्मांतरण के फर्जी मामलों फंसाया जा रहा है। इन्हीं वजहों के चलते इलाके आदिवासी भय के माहौल में जी रहे हैं। पत्र में यह भी कहा गया है कि अगर इस तरह की घटनाओं पर जल्द ही रोक नहीं लगाई जाती तो क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव फैल सकता है।  

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इस पूरे मामले में  द वायर ने झाबुआ के एसडीएम एलएन गर्ग के हवाले से लिखा है कि सितंबर महीने की शुरुआत में वीएचपी और अन्य संगठनों के कुछ लोगों ने प्रशासन का रुख किया था और यह शिकायत की थी कि झाबुआ ज़िले में चर्च धर्मांतरण रैकेट चला रहे हैं। गर्ग ने कहा कि हम ने तब उन लोगों से कहा था कि अगर जबरन धर्मांतरण का कोई मामला हमारे संज्ञान में आता है, तो हम जांच ज़रूर करेंगे। लेकिन ऐसा कोई भी मामला अब तक हमारे संज्ञान में नहीं आया है।   

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इस पूरे विवाद की शुरुआत सितंबर महीने के शुरुआती दिनों में हुई जब कुछ लोगों ने ज़िले के चर्चों में दौरा कर कथित तौर पर अवैध निर्माण को धवस्त करने की धमकी दी थी। उन लोगों चर्च पर हिंदुओं का जबरन धर्मांतरण कराने का आरोप लगाया था। हालांकि इससे पहले भी कथित धर्मांतरण के विरोध में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने 27 अगस्त को झाबुआ के कल्याणपुरा और कालीदेवी में अभियान चलाया था। इस दौरान झाबुआ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आनंद वास्कले ने सभी थाना प्रभारियों को वीएचपी के अभियान में शामिल होने के लिए विवादित आदेश भी जारी किया था। उस दौरान कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह झाबुआ प्रशासन के इस रवैये पर सवाल भी खड़ा किया था।