अमित शाह से मिलने के तुरंत बाद भोपाल लौटे शिवराज, सियासी अटकलें शुरू

सीएम शिवराज ने शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की, इसके बाद से ही मध्य प्रदेश की सियासत में सुगबुगाहट का दौर शुरू हो गया है

Updated: Aug 01, 2021, 06:01 AM IST

Photo Courtesy: Twitter
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भोपाल। शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह और सीएम शिवराज की मुलाकात ने मध्य प्रदेश सियासत में हलचल पैदा कर दी है। शनिवार को दोनों नेताओं के बीच दिल्ली में हुई मुलाकात के बाद एक बार फिर से अन्य राज्यों की तर्ज पर ही मध्य प्रदेश में सीएम बदले जाने की सुगबुगाहट तेज़ हो गई है।

मध्य प्रदेश की सियासत में सुगबुगाहट तेज़ होने के दो सबसे बड़े कारण हैं। पहला यह कि सीएम शिवराज अमित शाह से मुलाकात करने के तुरंत बाद राजधानी भोपाल लौट आए। वहीं सीएम शिवराज की अमित शाह से हुई मुलाकात के ठीक एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार प्रहलाद पटेल भी अमित शाह से मिले थे। लगातार दो दिनों में गृह मंत्री अमित शाह की मध्य प्रदेश के दो नेताओं के साथ बैठक ही सीएम बदले जाने की चर्चा का कारण बनी है। 

प्रह्लाद पटेल हैं सीएम पद के सबसे बड़े दावेदार 

प्रह्लाद पटेल को इस समय मध्य प्रदेश के संभावित सीएम के तौर पर देखा जा रहा है। सीएम पद के लिए पटेल को प्रबल दावेदार माना जा रहा है। राजनीति विश्लेषकों की मानें तो प्रह्लाद पटेल ने इसके लिए घेराबंदी भी शुरू कर दी है। प्रह्लाद पटेल ने शनिवार को मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती से बात की है। इसके साथ ही पटेल जल्द ही नरेंद्र सिंह तोमर से भी मुलाकात कर सकते हैं। पटेल के साथ साथ नरेंद्र सिंह तोमर और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी रेस में हैं। 

सीएम पद के लिए प्रह्लाद पटेल का नंबर बढ़ने के लिए सबसे बड़ा कारण यह है कि पटेल प्रधानमंत्री मोदी के चहेते हैं। वहीं मौजूदा सीएम शिवराज कभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास नहीं रहे। बल्कि दोनों में राजनीतिक होड़ की खबरें हमेशा आती थी। अटल बिहारी स्कूल ऑफ पॉलिटिक्स से आने वाले शिवराज 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले तक गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के धुर विरोधियों में से एक माने जाते थे। 

2013 में नरेंद्र मोदी के बीजेपी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार की घोषणा होने के बाद से ही शिवराज को मोदी विरोधी के तौर पर प्रमुखता के साथ पहचान मिली। उसी साल मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए और सीएम शिवराज पर यह आरोप भी लगे कि उन्होंने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को एमपी में ज्यादा प्रचार करने नहीं दिया। उधर आडवाणी भी सीएम शिवराज को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से बेहतर मुख्यमंत्री बताते रहे।

 2014 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले चर्चा था कि अगर बीजेपी चुनाव जीत भी जाती है तो भी वह अपने दम पर सरकार नहीं बना पाएगी। और ऐसी स्थिति में नरेंद्र मोदी के नाम पर बीजेपी के सहयोगी दल राज़ी नहीं होंगे, जिसके बाद लाल कृष्ण आडवाणी खुद या उनके खेमे का ही कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री पद के लिए ताल ठोकेगा। हालांकि बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद बीजेपी में मोदी विरोधी गुट के अरमानों पर पानी फिर गया। खुद बीजेपी में मोदी विरोधी गुट इस बात को लेकर आश्वस्त था कि भले ही बीजेपी चुनावों में सबसे ज्यादा सीट अपने खाते में कर ले, लेकिन पार्टी को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं होगा।

2014 में नरेंद्र मोदी जब सत्ता में आए तब सीएम शिवराज पर केंद्र में आने के दबाव बनाया गया। शिवराज के सामने कृषि मंत्री बनने का प्रस्ताव दिया गया था। लेकिन सीएम पद को छोड़ने के इन तमाम दबावों से शिवराज ने पार पा लिया। लेकिन शिवराज को सीएम पद से हटाने की कवायद बदस्तूर जारी रही। उधर सीएम शिवराज भी इन चुनौतियों से लगातार निपटते गए। लेकिन जिस तरह से बीजेपी ने इस समय अपना मुख्यमंत्री बदलो अभियान छेड़ रखा है, इस अभियान को नाकामयाब करने में शिवराज खुद कितना सफल हो पाएंगे इस पर अभी सस्पेंस बरकरार है।