दिग्विजय सिंह ने लगाया खिलौना ख़रीद में घोटाले का आरोप, पत्र के ज़रिए की उच्चस्तरीय जांच की मांग

आरोप है कि नीमच में खिलौना ख़रीदने के लिए स्थानीय मंत्री ने 56 लाख रूपये दिए और एक साल बाद उसे इलाक़े के ठेकेदार के खाते में जमा कराने का आदेश आ गया.. इस मौखिक आदेश से घबराए 70 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों के कार्यकर्ताओं ने अपने हिस्से की प्राप्त राशि ठेकेदार को लौटा दी

Updated: Jun 13, 2022, 05:08 PM IST

Photo Courtesy: twitter
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भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। सीएम को लिखे पत्र में दिग्विजय सिह ने नीमच जिले में 436 आंगनवाड़ी केंद्रों को आवंटित 56 लाख 68 हजार रुपए की राशि में अनियमितताओं का उल्लेख किया है। उन्होंने अधिकारियों पर ठेकेदारों के साथ सांठ-गांठ कर खिलौना खरीदी में लाखों के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है एवं उक्त खरीदी की उच्चस्तरीय जांच की मांग की हैं। साथ ही विगत वर्षों में खरीदे गए करोड़ों रुपए के खिलौनों के भौतिक सत्यापन की मांग भी की गयी है।

आरोप है कि नीमच जिले में राज्य के केबिनेट मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने वर्ष 2021 में स्वेच्छानुदान मद से 56 लाख 68 हजार रुपये की राशि 436 आंगनबाड़ी केन्द्रों को प्रदान की थी। इस आवंटन के पश्चात जिला कलेक्टर ने प्रत्येक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के खाते में 13 हजार रुपये के हिसाब से 56 लाख रुपये वितरित कर दिए। जिससे तमाम कार्यकर्ताओं ने अपने स्तर पर बच्चों के लिए खिलौने आदि खरीद लिए।

इस बीच जावर के परियोजना अधिकारी ने एसडीएम के हवाले से सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से 13-13 हजार रुपये एक निजी ठेकेदार के खाते में वापस जमा कराने के निर्देश दिये। इस मौखिक और वाट्सअप पर प्राप्त आदेश से परियोजना क्षेत्र में हडकंप मच गया। उन्हें आश्चर्य हो रहा था कि एक साल के बाद राशि वापस करने के आदेश दिये जा रहे है। बताया गया है कि अभी तक 70 से अधिक केन्द्रों से एक ठेकेदार के खाते में राशि जमा  भी करा दी गई है।

मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र में सिंह ने लिखा है कि, 'एक तरफ आप ठेला लेकर आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चों के लिए खिलौने एकत्र कर रहे हैं, वहीं  महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी ठेकेदारों से सांठ-गांठकर खिलौनों की खरीदी में भ्रष्टाचार कर रहे हैं। मेरा मानना है कि राज्य शासन में प्रदेश की करीब 90 हजार आंगनबाडियों और उप आंगनबाडियों में आने वाले 60 लाख बच्चों के लिए बजट में रखे गये हैं और विगत वर्ष में 100 करोड़ रुपये से खरीदे गये एक-एक खिलौने यदि केन्द्रों तक पहुंच जाते तो आपको जनता से खिलौने मांगकर आंगनबाड़ियां चलाने की जरुरत ही नहीं पडती। आप प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ महिला एवं बाल विकास विभाग का अतिरिक्त दायित्व संभाल रहे हैं। आपको प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते 16 वर्ष होने जा रहे हैं। इसके बाद भी प्रदेश में दस लाख से अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। यह संख्या प्रदेश को शर्मसार करती है।'

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राज्य सभा सांसद ने यह सवाल भी उठाया है कि आंगनबाडी कार्यकर्ता क्यों गांवों में जाकर गेहूं, चावल, ज्वार, बाजरा मांग रही हैं.. यदि खिलौने और अनाज मांगकर ही आंगनबाड़ियों का उद्धार करना है तो फिर 35 साल पुरानी आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए प्रति वर्ष हजारों करोड़ रुपये का बजट कहाँ जा रहा है?

 पौने तीन लाख करोड़ के बजट के बावजूद क्या प्रदेश के पास आंगनबाडियों के लिए खिलौने और पोषण आहार देने के लिए की राशि नहीं है ? प्रदेश के आंगनबाडी केन्द्रों में जाने वाले लाखों बच्चों, किशोरी बालिकाओं, गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं के लिये बजट का टोटा है तो श्वेतपत्र लाकर प्रदेश की जनता को बताया जाये और उसके द्वारा दिये जा रहे विभिन्न प्रकारों के करों से हटकर आंगनबाड़ियों के संचालन के लिये रूपये देने की अपील की जाये।

राज्यसभा सांसद सिंह ने अपने पत्र में मांग की है कि मेरा आपसे निवेदन है कि नीमच जिले में खिलौनों की खरीदी में हो रहे भ्रष्टाचार की शासन स्तर से उच्चस्तरीय जांच करायी जाए। साथ ही विगत वर्षो में खरीदे गये करोड़ों रूपयों के खिलौने का भी भौतिक सत्यापन कराया जाए।