सियासी रण में दो महारथियों ने दागे शब्दों के तोप गोले, कमलनाथ और सिंधिया के बीच वार-पलटवार

कमलनाथ के तोप वाले बयान पर सिंधिया का पलटवार, कहा - कमलनाथ जी! अच्छा है आपकी इस “तोप” की परिभाषा में मैं फ़िट नहीं हुआ।

Updated: Jan 20, 2023, 02:44 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को करीब 10 महीने बचे हैं। चुनावी साल में दोनों ही पार्टियों के दिग्गजों में जुबानी जंग छिड़ गई है। सियासी रण में शुक्रवार को कांग्रेस की ओर से कमलनाथ और भाजपा की ओर से सिंधिया ने एकदूसरे पर शब्दों के तोप गोले दागे। सिंधिया ने कमलनाथ के तोप वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि अच्छा है मैं आपकी इस “तोप” की परिभाषा में फ़िट नहीं हुआ।

दरअसल, शुक्रवार सुबह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ शुक्रवार को एकदिवसीय दौरे पर टीकमगढ़ पहुंचे थे। यहां सर्किट हाउस में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कमलनाथ से पूछा गया की पिछली बार कांग्रेस के पास सिंधिया भी थे। इस बार तो वह भी नहीं हैं। इसपर कमलनाथ ने कहा कि, "कांग्रेस को किसी सिंधिया की जरूरत नहीं है। सिंधिया अगर इतने बड़े तोप थे तो ग्वालियर का महापौर चुनाव क्यों हारे? मुरैना का महापौर चुनाव क्यों हारे?"

यह भी पढ़ें: सिंधिया इतने बड़े तोप थे तो ग्वालियर-मुरैना मेयर चुनाव क्यों हारे, टीकमगढ़ में बोले कमलनाथ

अब कमलनाथ के इस बयान पर सिंधिया ने भी पलटवार करते हुए कांग्रेस की 15 महीने की सरकार पर आरोपों की झड़ी लगा दी। सिंधिया ने एक ट्वीट में लिखा, "मध्य प्रदेश कोंग्रेस के 15 महीनों की तोप सरकार का रेकार्ड: तबादला उद्योग, वादाखिलाफ़ी, भ्रष्टाचार, माफ़िया-राज। कमलनाथ जी, अच्छा है आपकी इस “तोप” की परिभाषा में (मैं) फ़िट नहीं हुआ।"

टीकमगढ़ से ही दोनों नेताओं के बीच बढ़ा था तकरार

ज्योतिरादित्य सिंधिया के पाला बदलने के कारण 15 साल बाद सत्ता पर काबिज होने वाली कांग्रेस की सरकार 15 महीने में ही गिर गई थी। कांग्रेस सरकार गिरने की वजह भी ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच टीकमगढ़ से शुरू हुई वाक्युद्ध को माना गया। दरअसल, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही सिंधिया की महत्वकांक्षाओं के कारण कमलनाथ के साथ कई मुद्दों पर उनकी सहमति नहीं बन रही थी।

इसी बीच सिंधिया टीकमगढ़ दौरे पर पहुंचे। यहां अतिथि शिक्षकों ने सिंधिया से उनकी मांगे पूरी नहीं होने पर सवाल किया तो सिंधिया ने सार्वजनिक मंच से कहा कि अगर अतिथि शिक्षकों की मांगे पूरी नहीं हुई तो वह उनके साथ सड़कों पर उतरेंगे। प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद यह पहला मौका था जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी ही सरकार के खिलाफ कोई बयान दिया था।

यह भी पढ़ें: MP निकाय चुनाव: दिग्विजय सिंह के राघौगढ़ में बंपर मतदान, शाम पांच बजे तक 76.2 फीसदी वोटिंग

सिंधिया के इस बयान के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई। इसके बाद राजधानी भोपाल में कमलनाथ से सवाल किया गया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी ही सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने की बात कह रहे हैं, तो उन्होंने अपने चित परिचित अंदाज में कहा कि उतर जाएं। इस बयान के बाद सियासी रस्साकस्सी तेज हो गई और शायद सिंधिया ने इसे अपमान के रूप में लिया। इसके बाद कथित तौर पर विधायकों की खरीद फरोख्त शुरू हो गई और 20 मार्च को आखिरकार सिंधिया की मदद से भाजपा मध्य प्रदेश में चुनी हुई कांग्रेस की सरकार को गिराने में कामयाब रही।