बुलडोजर ने बढ़ाई मामा की मुश्किलें, हाईकोर्ट ने मांगा दो हफ्ते के भीतर जवाब

हाईकोर्ट ने खरगोन में दंगों के बाद हुए विध्वंसक कार्रवाई को लेकर नाराजगी जताते हुए कहा है कि ये जनता के मूलभूत अधिकारों का हनन है, दो हफ्ते के भीतर जवाब दे सरकार

Updated: Jun 13, 2022, 02:00 PM IST

इंदौर। मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर हुए हिंसा के बाद चलाए गए डिमोलिशन ड्राइव पर इंदौर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। उच्च न्यायालय ने इस कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि ये जनता के मूलभूत अधिकारों का हनन है। अदालत ने शिवराज सरकार से दो हफ्ते के भीतर जवाब भी मांगा है।

दरअसल, इस कार्रवाई को लेकर पीड़ित पक्ष ने इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जस्टिस प्रणय वर्मा की खंडपीठ के समक्ष बीते हफ्ते मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता जाहिद अली के वकील ने कहा कि प्रशासन ने बिना नोटिस और बिना वक्त दिए ही सीधे मकान तोड़ दिए। पीड़ितों को पक्ष रखने का अवसर ही नहीं दिया गया। 

याचिकाकर्ता जाहिद अली के वकील ने न्यायालय को बताया कि जिला प्रशासन ने मालिकाना हक, रजिस्ट्री वाली संपत्ति तोड़ दी है। सरकार को इसका मुआवजा देना चाहिए। उन्होंने बताया कि उक्त मकान के लिए नगर निगम प्रशासन को सभी तरह के टैक्स भी चुकाए गए थे। ऐसे में इसे अवैध निर्माण कैसे कहा जा सकता है। राज्य शासन की ओर से इस मामले में जवाब पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा गया है।