आर्थिक तंगी बनी पढ़ाई में बाधा, 10वीं टॉपर छात्र ने मुंह में सुतली बम फोड़कर की आत्महत्या

मध्य प्रदेश के श्योपुर में एक कॉलेज छात्र ने अपने मुंह में सुतली बम रखकर फोड़ दिया। जिससे उसका चेहरा बुरी तरह फट गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

Updated: Apr 23, 2023, 06:51 PM IST

श्योपुर। मध्य प्रदेश में आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। किसानों के अलावा अब छात्र और व्यवसायी भी आर्थिक तंगी के कारण आत्मघाती कदम उठाने को मजबूर हैं। श्योपुर से एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां आर्थिक तंगी से परेशान होकर एक टॉपर छात्र ने आत्महत्या कर ली। छात्र ने अपने मुंह में सुतली बम रखकर फोड़ दिया।

छात्र का नाम बृजेश उर्फ गोलू (24) पिता खेमराज प्रजापति है। वह BSc फाइनल ईयर का छात्र था। रविवार सुबह करीब 9 बजे उसने घर के टॉयलेट में जाकर अंदर से कुंडी लगाई। उसके बाद उसने मुंह में सुतली बम रखकर उसमें आग लगा दी। कुछ सेकंडों बाद जैसे ही बम फटा वैसे ही युवक के मुंह का जबड़ा पूरी तरह फट गया। धमाके की आवाज इतनी ज्यादा थी कि न केवल घर, बल्कि बाहर मौजूद लोग भी सिहर उठे। लोग तुरंत उसके घर की तरफ दौड़े।

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इधर, धमाके की आवाज सुन परिजनों ने जब बाथरूम का गेट तोड़ा तो उनके होश उड़ गए। उनके सामने ब्रजेश उर्फ गोलू लहूलुहान हालत में जमीन पर पड़ा था। बेटे की हालत देख घर में चीख-पुकार मच गई। परिजन बदहवास हालत में उसे लेकर तुरंत जिला अस्पताल पहुंचे। लेकिन यहां जांच के बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

अस्पताल से सूचना पाकर पुलिस भी तुरंत मौके पर पहुंची। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। पुलिस से पूछताछ में परिजनों ने बताया कि ब्रजेश ने यह कदम क्यों उठाया, उनकी समझ के बाहर है। क्योंकि, वह पढ़ने में होशियार था।
पड़ोसियों के मुताबिक वह शहर में जाकर अच्छे संस्थान में पढ़ाई करना चाहता था। लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण एडमिशन नहीं ले पा रहा था। इसी वजह से वह कुछ दिन से गुमसुम था, किसी से बात भी नहीं कर रहा था।

गोलू के बड़े भाई हृदेश ने कहा, "गोलू पढ़ाई में काफी तेज था। 10वीं में 82 प्रतिशत अंक लाकर उसने जिले की टॉप 10 लिस्ट में जगह बनाई थी। 12वीं में भी अच्छे नंबरों से पास हुआ था। वर्तमान में वह पीजी कॉलेज श्योपुर से मैथ्स विषय से BSc कर रहा था। उसका फाइनल ईयर था। मैं भी एमएससी कंप्लीट कर चुका हूं, अभी तक नौकरी नहीं मिल पाई है। पापा मटके बनाते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसलिए हम दोनों भाई पढ़ाई के साथ पापा की मदद करते हैं। इसी से पढ़ाई और घर खर्च चलता है।"