4,870 रुपए घटी मध्य प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय, विकास दरों में भी भारी गिरावट के आसार

विकास दर में 3.37 फीसदी और औद्योगिक विकास दर में 3.90 फीसदी की कमी आने का अनुमान, प्रदेश के आर्थिक सर्वेक्षण के आँकड़ों ने पेश की कमज़ोर आर्थिक स्थिति की तस्वीर

Updated: Mar 02, 2021, 03:02 AM IST

Photo Courtesy: The Financial Express
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नई दिल्ली। शिवराज सरकार के सत्ता में आने के बाद से प्रदेश की आर्थिक हालत तेजी से बिगड़ी है। इसकी गवाही खुद मध्य प्रदेश विधानसभा में पेश की गई वित्त वर्ष 2020-21 के आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट दे रही है। इसके मुताबिक प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 4,870 रुपए घट गई है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 98,418 रुपए दर्ज की गई है। जबकि कमल नाथ सरकार के कार्यकाल के दौरान यानी 2019-20 में प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 1,03,288 रुपए थी। 

प्रति व्यक्ति आय के अलावा प्रदेश की विकास दर और औद्योगिक विकास दर में भी भारी कमी आई है। विकास दर में 3.37 फीसदी और औद्योगिक विकास दर में 3.90 फीसदी की गिरावट दर्ज किए जाने का अनुमान है। 

आर्थिक मोर्चे पर प्रदेश की दयनीय स्थिति को लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर तीखा हमला किया है। कांग्रेस ने कहा है कि शिवराज ने मध्य प्रदेश को निगल लिया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस ने  ट्विटर के जरिए टिप्पणी की है, "शिव’राज में लाचार प्रदेश, विधायक ख़रीदी से चरमराई आर्थिक सेहत। शिवराज के मुख्यमंत्री बनने के बाद से प्रति व्यक्ति आय 4870 रुपये घटी, विकास दर 3.37 फ़ीसदी घटी, औद्योगिक विकास दर 3.90 फ़ीसदी घटी, राजस्व प्राप्ति 8.05% कम का अनुमान। शिवराज जी, आपने मध्य प्रदेश ही निगल लिया।" 

राज्य सरकार का राजस्व भी घटा 

दरअसल कांग्रेस को शिवराज सरकार पर यह हमला करने का मौका प्रदेश के आर्थिक सर्वेक्षण में सामने आए प्रदेश के आंकड़ों ने दिया है। सर्वेक्षण के मुताबिक 2004-05 से राजस्व आधिक्य प्रदेश रहने वाला मध्य प्रदेश अब घाटे में जा रहा है। 2020-21 के बजट के अनुसार राज्य की कुल प्राप्तियां 1,36,596.36 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 8.05 फीसदी कम है। बैंक शाखाओं में जमा अनुपात में भी प्रथम छमाही में 4.47 फीसदी की कमी आई है। 

सिर्फ खेती को छोड़कर प्रदेश आर्थिक मोर्चे पर बुरी तरह से पिछड़ गया है। हालांकि खेती की अच्छी स्थिति की भी सबसे बड़ी वजह प्रदेश में गेहूं का रिकॉर्ड उपार्जन है। वर्ष 2020-21 में राज्य सरकार ने रिकॉर्ड 129 लाख टन गेहूं की खरीद की।