Madhya Pradesh Cabinet Expansion : गोपाल भार्गव बुंदेलखंड की राजनीति का पर्याय

Gopal Bhargava : पहली बार 1985 में विधानसभा सदस्य चुने गये, तब से निरंतर विधानसभा के सदस्य

Publish: Jul 02, 2020, 11:08 PM IST

शिवराज कैबिनेट में चौथी बार शपथ ले रहे गोपाल भार्गव बुंदलेखंड के जमीनी नेताओं में शुमार किए जाते हैं। वे भाजपा में ब्राह्मण राजनीति का पर्याय भी है। अपने क्षेत्र में कन्‍या विवाह से लेकर विभिन्‍न सामाजिक आयोजनों के सूत्रधार गोपाल भार्गव भाजपा की और से नौ वीं बार विधायक बनने वाले वरिष्‍ठ नेता हैं। गोपाल भार्गव का जन्म एक जुलाई 1952 को रहली जिला सागर में हुआ। उन्होंने विज्ञान में स्नातक (बी.एस.सी) तथा एल.एल.बी. तक शिक्षा प्राप्त की। वे युवावस्था से ही सामाजिक गतिविधियों से जुड़े रहे। उन्होंने मजदूरों, किसानों, बीड़ी कामगारों के लिये विभिन्न गतिविधियों और आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की। वे कृषि व्यवसाय से जुड़े हैं।

भार्गव वर्ष 1982 से 1984 तक नगर पालिका गढ़ाकोटा के अध्यक्ष रहे। गोपाल भार्गव पहली बार 1985 में विधानसभा सदस्य चुने गये। तब से लेकर वे निरंतर विधानसभा के सदस्य हैं।

भार्गव को 8 दिसंबर 2003 को तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री उमा भारती के मंत्रिमंडल में केबिनेट मंत्री के रूप में शामिल कर कृषि, राजस्व, धार्मिक न्यास और धर्मस्व, पुनर्वास व सहकारिता विभाग का दायित्व सौंपा गया। 28 जून 2004 को हुए मंत्रिमंडल के पुनर्गठन के बाद एक जुलाई 2004 को आपको कृषि एवं सहकारिता विभाग का उत्तरदायित्व सौंपा गया।

उन्‍हें 27 अगस्त 2004 को मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में शामिल किया गया।

मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने भी भार्गव को मंत्रिमंडल में शामिल कर कृषि और सहकारिता विभाग का महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा। 20 दिसंबर 2008 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में शामिल कर मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। 2013 में फिर शिवराज सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री बनाए गए। दिसंबर 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में वे रहली से जीते। 7 जनवरी 2020 को उन्‍हें एमपी विधानसभा का नेता प्रतिपक्ष चुना गया।