66 बरस का हुआ देश का दिल मध्यप्रदेश, 4 राज्यों को मिलाकर हुई हृदय प्रदेश की स्थापना

गंगा जमुनी तहजीब वाले मध्यप्रदेश को कला, संस्कृति की भरपूर विरासत औऱ प्राकृतिक सौंदर्य से प्रकृति ने नवाजा, पंडित रविशंकर शुक्ल थे प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री, प्रदेश की सीमाएं 5 राज्यों से जुड़ी हैं

Updated: Nov 01, 2021, 07:52 AM IST

Photo courtesy: Patrika
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भोपाल। मध्यप्रदेश विश्व मे अपनी अगल पहचान रखता है, बात चाहे यहां की प्राकृतिक सुंदरता की हो या फिर यहां का कला संस्कृति की। यह अन्य प्रदेशों की तुलना में हर हाल में अपना अलग महत्व रखता है। मध्यप्रदेश को यहां की गंगा-जमुनी संस्कृति के लिए जाना जाता है।

यूं तो आजादी के बाद से ही मध्य भारत अस्तित्व में था, जिसमें महाकौशल, सेंट्रल प्रोविंसेस, बरार बघेलखंड और छत्तीसगढ़ की रियासतें शामिल थीं। 29 दिसंबर 1953 को राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना के बाद राज्यो का पुनर्गठन करने की तैयारी की गई। इसी कड़ी में 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश की स्थापना हुई। 1 नवंबर 1956 से नए राज्य के रूप में इसे मध्य प्रदेश नाम दिया गया। आज प्रदेश अपनी 66वीं वर्षगांठ मना रहा है।

 

देश का दिल कहे जाने वाले मध्य में पूरे भारत की झलक नजर आती है। कहा जाता है, यहां हर 50 किलोमीटर पर बोली भाषा और संस्कृति के साथ खान-पान बदल जाता है। बात चाहे मालाव निमाड की हो जहां से राजस्थान और गुजराती कल्चर की खुशबू आती है, या फिर रीवा सतना की जहां की मिट्टी से उत्तर प्रदेश की झलक देखने को मिलती है। यह कहना अति संयोक्ति कतई नहीं होगा कि मध्यप्रदेश   समृद्ध है देश का हृदय यानि मध्य प्रदेश. जो प्राकृतिक संपदा और संसाधनों से समृद्ध होने के साथ ही तरह-तरह की बोलियों, लोक संस्कृतियों और रहन-सहन से रचा बसा है।

मध्य प्रदेश में संपूर्ण भारत के एक साथ दर्शन होते हैं। 

 

भगवान राम ने सतना जिले के चित्रकूट में वनवास का लंबा वक्त बिताया, वहीं पांडवों ने अज्ञातवास के लिए मध्य प्रदेश को चुना। प्रदेश में 2 ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर और ओंमकारेश्वर हैं। वहीं भीम द्वारा माता कुंति के लिए बनाया गया भोजपुर मंदिर भी भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

 

मध्यप्रदेश के गठन के भोपाल से पहले कई अन्य जिलों को राजधानी बनाने पर विचार किया जा रहा था, जिनमें से जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर शामिल थे। लेकिन आखिरी फैसला भोपाल के पक्ष में आया। इसे पीछे यहां की भोगोलिक स्थिती यहां का मौसम औऱ अन्य प्रदेशों से कनेक्टिविटी था। तत्कालीन भोपाल में जबलपुर से ज्यादा भवन थे, जो की प्रशासनिक काम काज के हिसाब से उपयुक्त थे। यहां न ज्यादा गर्मी और ना ही ज्यादा सर्दी पड़ती थी, यहां ज्यादा बारिश होने के बाद बाढ़ जैसे हालात भी नहीं आते थे। वहीं अन्य राज्यों में यह दिक्कत देखने को मिलती रहती थी। अगर देश का दिल मध्यप्रदेश है उसी तरह प्रदेश में बीचों-बीच भोपाल स्थित है, यही वजह है कि इसे राजधानी बनाया गया। 1972 से पहले भोपाल सीहोर जिले का हिस्सा था। 1972 में भोपाल को जिला बनाया गया। मध्य प्रदेश की स्थापना के वक्त केवल 43 जिले थे वर्तमान में 52 जिले अस्तित्व में हैं। 

 

 

यहां की बोलियों की बात करें तो बुंदेली, बघेली, निमाड़ी, मालवी जैसे मीठी बोलियां है। वहीं कई विश्व प्रसिद्ध इमारतें जैसे भीम बैठका, सांची का स्तूप, खजुराहों के मंदिर, ग्वालियर का किला, मांडू में रानी रूपमति का महल, रायसेन का किला देखने दूर दूर से सैलानी आते हैं।

वहीं उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर, खंडवा का ओमकारेश्वर मंदिर, मैहर की शारदा माता मंदिर का इतिहास सैकड़ों वर्षों पुराना है। यहां मां नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक में हैं तो क्षिप्रा, ताप्ति नदियां इस प्रदेश के लोगों के लिए जीवन दायनी हैं। वहीं प्रदेश में पचमढ़ी, अमरकंटक, जबलपुर के धुआंधार जलप्रपात जैसी प्राकृतिक सुंदरता लोगों को यहां आने के लिए प्रेरित करती है। सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी की खूबसूरती के क्या कहने। मध्यप्रदेश की सीमाएं 5 राज्यों से जुड़ी हुई हैं।  

 

मध्य प्रदेश में कई राजवंशों की झलक देखने को मिलती है। यहां बुंदेल, चंदेल, गुप्तं, कलचुरी, मराठा राजवंशों ने शासन किया। उनके काल में महल, मंदिर आज भी लोगों को उस दौर कि विशाल स्थापत्य कला के अद्भुत दर्शन करवाते हैं। इनमें ग्वालियर, चंदेरी, अरीरगढ़, रायसेन, मांडू, महेश्वर, मदनमहल  के किले प्रमुख हैं। टाइगर स्टेट का दर्जा पाने वाले मध्य  प्रदेश में 9 नेशनल पार्क हैं, जिनकी प्राकृतिक सुंदरता अनुपम है।

हर साल मध्यप्रदेश का स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। मुख्य आयोजन राजधानी भोपाल के लाल परेड मैदान में होता है।