यह कैसी दया और करुणा, मुख्यमंत्री राहत के लिए इस्तेमाल हुआ पटवारी का निजी अकाउंट

सीएम ने फसल की बर्बादी पर रोयी एक गरीब महिला को 50 हज़ार की राहत राशि देने का वादा तो कर दिया, लेकिन चेक न सीएम राहत फंड से, न कलेक्टर राहत फंड से बल्कि पटवारी के निजी अकाउंट से आया .. हल्ला हुआ तो कलेक्टर ने रेडक्रॉस से दिला दिया दूसरा चेक

Updated: Jan 15, 2022, 01:18 PM IST

अशोकनगर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शुक्रवार को अशोकनगर के मुंगावली में किसानों की पीड़ा समझने पहुंचे थे। इस दौरान एक वृद्ध महिला उन्हें पकड़कर रोने लगी। सीएम ने अपने चिरपरिचित अंदाज़ में तत्काल मुख्यमंत्री अनुदान कोष से मदद का ऐलान कर दिया। हालांकि, महिला को जो चेक मिला वह पटवारी के निजी बैंक अकाउंट का निकला। 

रिपोर्ट्स के मुताबिक मुंगावली में जब मुख्यमंत्री खराब फसलों का मुआयना करने खेतों में पहुंचे थे तो महिला राजकुंवर बाई अपने पति मेहरवान सिंह यादव के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिली थी। उन्होंने रोते हुए अपनी बर्बाद फसल के बारे में सीएम को बताया तो वो पिघल पड़े और तत्काल कलेक्टर से महिला को सहायता करने का निर्देश दिया। महिला को सीएम स्वेच्छा अनुदान से 50 हजार रुपए देने की बात हुई थी। 

लेकिन बुजुर्ग महिला को जो चेक दिया गया उसपर जितेंद्र कुमार शर्मा नामक व्यक्ति के हस्ताक्षर थे। बताया जा रहा है कि शर्मा वहां के पटवारी हैं और कलेक्टर ने दबाव डालकर उनसे अपने निजी बैंक अकाउंट का चेक दिलवा दिया। मामले पर जिला कलेक्टर उमा माहेश्वरी ने हम समवेत से बातचीत के दौरान कहा कि तत्काल राहत देने के लिए जो चेक उपलब्ध कराया गया था, उसे बाद में बदल दिया गया है। कलेक्टर उमा माहेश्वरी ने फोन पर हुई बातचीत में दावा किया है कि निजी चेक को बदलकर अब बुजुर्ग महिला को रेडक्रॉस सोसाइटी का चेक भिजवा दिया गया है।

लेकिन यह करेक्शन भी तब हुआ जब इलाके में यह शोर मचा कि सीएम साहब की दया में भी एक दिखावा था, वरना सीएम अपना चेक देने की बजाय पटवारी से चेक क्यों दिलवा गए.. कांग्रेस नेता रितेश जैन आजाद ने कहा कि, 'मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार भ्रष्टाचार में नंबर वन है और अपने करीबी अधिकारियों और कर्मचारियों को भ्रष्टाचार से पैसे कमाने के मौके देती हैं। ज़रूरत पड़ने पर यह सरकार उन्हीं अधिकारियों के निजी एकाउंट से मुख्यमंत्री सहायता कोष के नाम पर आम जनता को पैसे दिलवाती है। ये शिवराज सरकार की मानसिक और आर्थिक कंगाली का उदाहरण है।

बीते दिनों ओलावृष्टि में इलाके की सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद हो गई और चौतरफा किसानों के आंसुओं से माहौल गमगीन हो गया था। विपक्ष के शोर के बाद सरकार ने अपने मंत्रियों को बर्बाद फसलों का मुआयना करने और अधिकारियों को सर्वे कराने के लिए भेजा। इसी क्रम में सीएम चौहान भी मुंगावली पहुंचे थे। लेकिन दया के दिखावे ने पोल खोलकर रख दी। सीएम ऐसे मौकों पर डीएम की राहत राशि का इस्तेमाल कर सकते थे, लेकिन  जल्दबाज़ी में उन्होंने निजी चेक से ही महिला की मदद का दिखावा करा दिया। मीडिया में सुर्खियां भी बन गईं लेकिन किसी ने तब यह ध्यान नहीं दिया कि चेक किसका कटा। अब सरकार इस गलती पर सुधार का दावा कर रही है।