जिंदा जलाने पर उतारू थे पड़ोसी, पुलिस ने भी बेरहमी से पीटा: रिटायर्ड मुस्लिम ASI की दर्दनाक दास्तां
नासिर अहमद खान पुलिस में ASI थे, मीडिया को हिंसा वाली शाम की आपबीती बताने निकले तो पुलिस ने लाठियों से पीटकर चमड़ी उधेड़ दी, वे बोलते रहे कि मैं भी स्टाफ का आदमी हूं फिर भी पुलिसवालों ने नहीं बख्शा

खरगोन। रामनवमी पर खरगोन में हुई हिंसा ने सैंकड़ों अल्पसंख्यक परिवारों को बेघर कर दिया है। इस मामले में पुलिस की कार्रवाई को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। इसी बीच पुलिस के ही रिटायर्ड अधिकारी ने बताया कि किस तरह पुलिसकर्मी अल्पसंख्यकों के साथ बर्ताव कर रहे हैं। 63 वर्षीय नासिर हिंसा के दौरान तो किसी तरह बच गए लेकिन बाद में पुलिसवालों ने उन्हें इतना पीटा की शरीर में कई जगह की चमड़ी उखड़ गई।
रिटायर्ड ASI नासिर अहमद खान बताते हैं कि वे तावड़ी मोहल्ले में स्थित अपने घर की छत से उस शाम रामनवमी का जुलूस देख रहे थे। इसी बीच करीब एक किलोमीटर दूर तालाब चौक पर दंगे शुरू हो गए। पुलिस ने भीड़ को तीतर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। इसके बाद भीड़ आसपास के इलाकों में घुस गई। जबतक नासिर कुछ समझ पाते उनके पड़ोस से उनके घर के ऊपर पत्थरबाजी शुरू हो गई।
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नासिर कहते हैं कि, 'मेरे पड़ोसी अनिल पटेल और गणेश वर्मा के साथ करीब 50 लोगों की भीड़ ने मेरे घर पर पथराव करना शुरू कर दिया। वे लोहे के गेट को तोड़कर अंदर आने की कोशिश कर रहे थे। मैं चिल्लाया कि अनिल ये तू क्या कर रहा है। तभी उसकी पत्नी आती है और भीड़ को भड़काते हुए कहती है "एक ही मुस्लिम है गली में... जला दो इसको घर के साथ" मैं मुझे कुछ समझ नहीं पा रहा था। तभी स्थानीय युवक कान्हा भारो धर्मशाला के ऊपर से पेट्रोल बम फेंकने लगा। उसने पांच पेट्रोल बम फेंके जिससे मेरा लकड़ी का बना हुआ किचन जल गया।'
नासिर के मुताबिक करीब आधे घंटे बाद अनिल और उसके साथी उनके कंपाउंड के भीतर दाखिल हो गए और चार मोटरसाइकिल को आग के हवाले कर दिया। नसीर कहते हैं, 'मैं बेहद डर गया था। भीड़ और मेरे बीच अब सिर्फ एक लकड़ी का दरवाजा बचा था। वे हमें जीवित जलाने पर उतारू थे। लेकिन तभी पुलिस की सायरन बजी है और वे भाग गए।' नासिर के बड़े भाई बशीर अहमद खान भी रिटायर्ड पुलिसकर्मी हैं।
बशीर कहते हैं कि पुलिस नहीं आती तो वे हमें जला देते। पुलिस ने आकर आग को बुझाया और हमें कंप्लेन फाइल करने को कहा। हालांकि, कंप्लेन के तीन दिन बाद भी पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं की है। नासिर और बशीर उन 26 लोगों में शामिल हैं, जिनके घरों को उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया। घटना के बाद खरगोन कलेक्टर अनुग्रह पी ने शहर में कर्फ्यू लगा दिया।
#KhargoneRiot
— काश/if Kakvi (@KashifKakvi) April 13, 2022
When a retired Muslim cop dared to step out in "curfew" to share the violance he faced in riot to media.
This is how Madhya Pradesh police treat their veterans. @DGP_MP pic.twitter.com/6l6RE3Jdk3
नासिर कहते हैं कि अगले दिन उनके मोहल्ले में पत्रकारों की टीम जानकारी जुटाने आई थी, सभी लोग अपना-अपना नुकसान बता रहे थे। मुझे पता चला तो मैं भी घर से निकला। तभी एक एक पुलिसकर्मी आया और उसने मुझे अंदर जाने के लिए कहा। मैने कहा कि भाई मैं भी स्टाफ का आदमी हूं, रिटायर्ड एएसआई हूं। इतना सुनते ही उसने कहा "तेरी ऐसी की तैसी होगा ASI" इसके बाद उसने मुझे बेरहमी से पीटा।' नासिर अपने हाथ, पैर और पीठ में लगे चोट के निशान दिखाते हुए भावुक हो जाते हैं। वे इस बात को लेकर परेशान हैं कि रिटायर्ड पुलिसकर्मी होने पर बजाए मदद के पुलिस वाले उनपर जुल्म करने लगे।