भर्ती घोटाले रोकने का सख़्त क़ानून बनाएगी कांग्रेस सरकार, रणदीप सुरजेवाला का बड़ा ऐलान

सुरजेवाला ने कहा कि 15 मार्च से पटवारी भर्ती परीक्षा शुरु हुई और 25 अप्रैल तक चली। इस मामले में पुलिस ने 4 अप्रैल को सॉल्वर्स द्वारा किए जा रहे फर्जीवाड़े को पकड़कर एफआईआर दर्ज कर ली थी।

Updated: Nov 03, 2023, 04:44 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में मतदान की तारीख जैसे जैसे नजदीक आ रही है, कांग्रेस अधिक हमलावर होती जा रही है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शिवराज सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सुरजेवाला ने कहा कि पटवारी भर्ती परीक्षा घोटाला रोका जा सकता था लेकिन सीएम के संरक्षण में घोटाला होने दिया गया।

कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शुक्रवार को पीसीसी मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, 'पटवारी भर्ती परीक्षा घोटाले का खुलासा 4 अप्रैल 2023 को ही हो गया था जब ग्वालियर पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज कर ली थी। लेकिन फिर भी 15 मार्च से 25 अप्रैल तक परीक्षा कराई गई क्योंकि सॉल्वर गैंग को शिवराज सरकार का संरक्षण प्राप्त था। हमारी सरकार बनने के बाद प्रदेश में पिछले 18 वर्षों में जितने घोटाले हुए उनकी जांच होगी और उसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की भूमिका की भी जांच कराई जाएगी, कोई भी दोषी नहीं बचेगा।'

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सीएम से सवाल
1. जब 04 अप्रैल, 2023 को ही पटवारी भर्ती घोटाला सामने आ गया था, तो प्रदेश स्तर पर इसकी व्यापक जाँच क्यों नहीं की गई?
2. क्या पटवारी भर्ती घोटाला सरकार के संरक्षण में किया जा रहा था?
3. 04 अप्रैल के फ़र्ज़ीवाडे को क्यों छिपाया गया? और क्या गुपचुप चालान पेश कर दिया गया?
4. 18 साल से युवाओं के भविष्य को बेचने का यह गोरखधंधा क्यों चलाया जा रहा है?
5. 15 मार्च से 4 अप्रैल 2023 के बीच कितने फर्जी सोल्वर पटवारी भर्ती परीक्षा में 
बिठाये गये ? पटवारी भर्ती घोटाले की जाँच का सच अब तक क्यों सामने नहीं आया?

सुरजेवाला ने आगे कहा, 'पुरानी कहावत है, पूत के पाँव पालने में दिख जाते हैं, 2004 में भाजपा की सरकार ने सत्ता में आते ही प्रदेश के युवाओं के भविष्य की बोली लगाना प्रारंभ कर दी थी जो आज तक भी जारी है। चाहे वो व्यापम घोटाला हो, डीमेट घोटाला हो, शिक्षक भर्ती घोटाला हो, नर्सिंग घोटाला हो या पटवारी भर्ती घोटाला... भाजपा ने प्रदेश के करोड़ों युवाओं के भविष्य को घोटालों की भेंट चढ़ा दिया है। 

व्यापम में 1 करोड़ युवाओं के भविष्य की बोली लगाई

व्यवसायिक परीक्षा मंडल का पहला फर्जीवाड़ा खंडवा में 12 जून 2004 को सामने आया था, उसके बाद अपराध क्र. 129/06 छतरपुर में 2006, फिर 9/11/09 अपराध क्रमांक 728/09 एमपी नगर, भोपाल, अपराध क्रमांक 523/11 तुकोगंज इंदौर में 24/7/2011, फिर 2013 में निशातपुरा भोपाल अपराध क्रमांक 508/13। कहने का आशय यह है कि 2004 से ही भाजपाई सत्ता की सरपरस्ती में व्यवसायिक परीक्षा मण्डल में घोटाले किये जा रहे थे। 23 प्रकार की भर्ती-प्रवेश परीक्षाओं में 1 करोड़ युवाओं का भविष्य बेचा गया। 

व्यापम से बड़ा डीमेट घोटाला  

व्यापाम के साथ ही डीमेट घोटाला भी सामने आया, जिसमें डेन्टल और मेडिकल टेस्ट के नाम पर 6 निजी मेडिकल और 16 निजी डेन्टल कॉलेजों की सारी सीटें 50 लाख रू. से लेकर 1.50 करोड़ रूपये बेच दी गईं। सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे में सीबीआई ने कहा कि डीमेट घोटाला व्यापम से भी बड़ा घोटाला है और हम इसकी जाँच भी नहीं कर सकते। 

नर्सिंग घोटाला

मप्र में संचालित फर्जी नर्सिंग कालेज का घोटाला इतना व्यापक और बड़ा है कि जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। मप्र में 695 नर्सिंग कॉलेज संचालित किये जा रहे हैं, जिसमें 3 साल से परीक्षाएं स्थगित हैं और 1.50 लाख बच्चों का भविष्य अंधकार में डाल दिया गया है। उच्च न्यायालय को यह तक कहना पड़ा कि हैरत है कि नर्सिंग का एन न जानने वालों को भी परीक्षा की इजाजत दी गई। साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा कि प्रदेश में चल रहे छद्म कालेज समाज में जहर घोल रहे हैं और कई ऐसे नर्सिंग कॉलेजों को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है।