15 नवंबर को जनजातीय सम्मेलन करेगी कांग्रेस, पीएम मोदी के कार्यक्रम पर पड़ सकता है असर

कांग्रेस का यह सम्मेलन जबलपुर में आयोजित होने जा रहा है, इस सम्मेलन में प्रदेश भर के आदिवासियों के जुटने की संभावना है, ऐसे में उसी दिन भोपाल में होने वाले पीएम मोदी के कार्यक्रम पर काफी असर पड़ने की संभावना है

Updated: Nov 10, 2021, 04:54 AM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल में अगले हफ्ते होने वाला प्रधानमंत्री मोदी का कार्यक्रम फीका पड़ सकता है। सोमवार को भोपाल में शिवराज सरकार जनजातीय सम्मेलन की तैयारियों में जुटी हुई है, जिसमें खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरकत करने वाले हैं। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम के ही दिन जबलपुर में कांग्रेस बड़े स्तर पर जनजातीय सम्मेलन का आयोजन कराने वाली है। जिसमें खुद पीसीसी चीफ कमल नाथ शिरकत करने वाले हैं।

कांग्रेस के इस सम्मेलन में प्रदेश भर से आदिवासियों को पहुंचने की संभावना व्यक्त की जा रही है। ऐसे में आने वाला सोमवार बीजेपी और कांग्रेस के बीच सांकेतिक लड़ाई होने वाली है। जिसमें दोनों ही पार्टियों का ज़ोर आदिवासियों के बीच अपनी लोकप्रियता सिद्ध करने पर होगा। 

शिवराज सरकार भोपाल में आयोजित होने वाले प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को सफल बनाने की तैयारी में जुटी है। इसके लिए इस महीने की शुरुआत से ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बीजेपी के नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं। वहीं बीजेपी में भी पार्टी स्तर पर इसकी तैयारी जोरों शोरों पर चल रही है। 

वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी भी अब जबलपुर में एक बड़ा आयोजन करने जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस पार्टी ने इस सम्मेलन को सफल बनाने की जिम्मेदारी तरुण भनोट को दी गई है। इस आयोजन को सफल बनाने को लेकर मंगलवार को पीसीसी में एक बैठक भी हुई थी।

दरअसल एक तरफ मध्य प्रदेश के आदिवासियों में बीजेपी को लेकर बढ़ती नाराजगी को पाटने के लिए शिवराज सरकार आदिवासियों से जुड़े आयोजन करा रही है तो वहीं कांग्रेस का सारा ज़ोर अधिक से अधिक आदिवासियों को अपने कुनबे का हिस्सा बनाए रखने पर है। मध्य प्रदेश में आदिवासी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 84 सीटों के परिणाम आदिवासी वोटरों के हाथों में होते हैं। यही वजह है कि दोनों ही पार्टियां आदिवासियों को अपने पाले में करने में जुटी हुई हैं। 

आदिवासी वर्ग में बीजेपी के प्रति बढ़ते आक्रोश का प्रमाण 2018 में मिल गया था, जब आदिवासी बाहुल्य 84 सीटों में से महज 34 सीटों पर ही बीजेपी को जीत मिली थी। इससे पहले 2013 के विधानसभा चुनावों के दौरान आदिवासी इलाकों की 59 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी। मध्य प्रदेश की सत्ता में चोर दरवाजे से दाखिल होने के बाद शिवराज सरकार के इस कार्यकाल में आदिवासियों के खिलाफ हुए अत्याचार की घटनाओं के कारण आदिवासी वर्ग का बहुत बड़ा तबका बीजेपी से खफा हो चुका है।