MP में बाघों को आवारा कुत्तों से खतरा, पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों को बचाने के लिए होगा वैक्सीनेशन
पन्ना टाइगर रिजर्व के आसपास के इलाके में घूमने वाले आवारा कुत्ते बाघों के लिए खतरा बन गए हैं। कुत्तों से फैलने वाला एक वायरस बाघों के लिए बेहद खतरनाक है।

पन्ना। मध्य प्रदेश में पहले से ही शिकारियों का निशाना बन रहे बाघों के सामने एक और नया खतरा पैदा हो गया है। बाघों को खतरा अब कुत्तों से भी है। बाघों से कुत्तों को खतरा होने की बात तो आम है। लेकिन चौंकाने वाली बात है कि कुत्ते भी बाघों के लिए जानलेवा हो सकते हैं। बाघों को बचाने के लिए कुत्तों का टीकाकरण किया जाएगा।
दरअसल, कैनाइन डिस्टेम्पर नाम का एक वायरस, बाघों के लिए खतरा बन गया है। यह कुत्तों से फैलने वाला एक खतरनाक वायरस है। पूर्व में इस वायरस को बाघों में चिन्हित भी किया गया था। जानकारों का मानना है कि यह वायरस इतना खतरनाक है कि अगर ये टाइगर रिजर्व में फैल जाए तो बाघों के संरक्षण पर गंभीर असर पड़ सकता है।
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कुत्तों से बाघ तक बीमारी पहुंचने के मामले काफी पहले भी सामने आ चुके हैं। पन्ना नेशनल पार्क में पूर्व में भी कुत्तों से पहुंची बीमारी के चलते बाघ की मौत भी हो चुकी है। पन्ना टाइगर रिजर्व के डॉक्टर संजीव गुप्ता का कहना है कि तय क्रार्यक्रम के अनुसार हमारे द्वारा क्षेत्र के आस-पास के गांवों में पाए जाने वाले कुत्तों का टीकाकरण किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि कुत्तों में कैनाइन डिसटेंपर वायरस और 7 अन्य बीमारियों की रोकथाम के लिए यह टीकाकरण किया जाएगा। यह वेक्सीनेशन बाघों के साथ तेंदुओं को बचाने के लिए किया जाएगा। वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट संदीप अग्रवाल ने बाताया, 'इस संक्रमण का पहला केस साल 1994 में सामने आया था और इसने 800 बाघों की जानें ले लीं थीं।'