कोरोना की दूसरी लहर में 1 करोड़ लोगों ने गंवाई नौकरियां, 97 फ़ीसदी परिवारों की घटी आय

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियनन एकोनॉमी यानी CMIE के मुताबिक देश में करीब 1 करोड़ लोगों ने इस दूसरी लहर के चलते नौकरियां गवाईं हैं.. बेरोजगारी दर 12 फीसदी पर पहुंची

Updated: Jun 01, 2021, 01:02 PM IST

Photo humsamvet
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दिल्ली। देशभर में कोरोना संक्रमण से तबाही मची हुई है। कोरोना वायरस की ये दूसरी लहर पहले के मुकाबले काफी भयावह साबित हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस दूसरी लहर के चलते जहां लाखों-करोड़ों लोग महामारी से संक्रमित हुए और भारी संख्या में लोगों की जान गई है। वहीं, देश में करीब 1 करोड़ लोगों ने इस दौरान अपनी नौकरियां गवाईं हैं।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियनन एकोनॉमी (सीएमआईई) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी महेश व्यास के अनुसार बीते साल कोरोना की शुरुआत के वक्त से अब तक 97 प्रतिशत परिवारों की आय पर काफी असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि, "बेरोजगारी दर जो अप्रैल महीने में 8 प्रतिशत थी वो अब मई महीने में 12 प्रतिशत हो गई है। जिसका सीधा मतलाब ये है कि करीब 1 कोरोड़ भारतीयों ने इस महामारी के चलते नौकरी से हाथ धो दिया है।"

व्यास के मुताबिक लोगों की नौकरियों से हाथ धोने का मुख्य कारण कोरोना की दूसरी लहर है। उन्होंने कहा कि, "जिन लोगों की इस दौरान नौकरियां गई हैं उन्हें नया काम ढूंढने में तकलीफ हो रही है।" बीते साल कोरोना के चलते लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण बेरोजगारी दर 23.5 प्रतिशत पर जा पहुंची थी। व्यास ने बताया कि, "3 से 4 प्रतिशत बेरोजगारी दर को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सामान्य बताया जाता है। उन्होंने कहा स्थिति को सामान्य होने में अभी समय लगेगा।"

व्यास ने कहा है कि, सीएमआईई ने बीते पिछले महीने 1.75 लाख परिवारों के सर्वे का काम पूरा किया है। सर्वे में केवल 3 प्रतिशत ऐसे परिवार मिले जिन्होंने आय बढ़ने की बात की तो वहीं 55 प्रतिशत ने कहा कि उनकी आय घटी है। 42 प्रतिशत ऐसे थे जिन्होंने कहा कि उनकी आय बीते साल के बराबर बनी हुई है। उन्होंने कहा कि, "हमारे अनुमान के मुताबिक, देश में 97 प्रतिशत परिवार ऐसे है जिनकी कोरोना महामारी के दौरान आय कम हो गई है।" 

जानकारों का मानना है कि असंगठित क्षेत्र में तो हो सकता है कि लॉकडाउन खुलने के साथ नौकरियां बहाल होनी शुरू हो जाएं, लेकिन संगठित क्षेत्र और खासकर व्हाइट कॉलर जॉब्स के हालात सामान्य होने में एक साल भी लग सकता है। उदारीकरण के दौर के बाद इसे नौकरीपेशा लोगों के लिे सबसे बुरा समय माना जा रहा है। इस बीच दुनिया ने 2007-9 के बीच आर्थिक स्लोडाउन का दौर भी देखा लेकिन तब भी भारत पर इसका इतना बुरा असर नहीं पड़ा था, जितना कि इस बार है।

ट्रैवल और टूरिज्म सेक्टर में सबसे ज्यादा करीब 42 लाख नौकरियां गई हैं। हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को 1.3 लाख करोड़ का नुकसान हुा है। और यहां भी लगभग 23 लाख लोग बेरोजगार हो गए हैं। तीसरा सबसे प्रभावित क्षेत्र रीटेल का है जिसमें करीब दस लाख लोगों की जॉब चली गई है। बैकिंग और स्टार्टअप्स पर भी बहुत बुरा असर पड़ा है। कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था जो कोरोना की पहली लहर से उबरने की कोशिश कर रही थी पुन; गर्त की ओर जाती दिखी है।