Hathras Case: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, रात में शव जलाने से मानवता हुई शर्मसार

Allahabad HC: पुलिस-प्रशासन का काम जनता की सेवा करना है, उसे नियंत्रित करना नहीं

Updated: Oct 14, 2020, 07:53 PM IST

Photo Courtesy: News 18
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लखनऊ। हाथरस मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाते हुए उन्हें कड़ी फटकार लगाई है। 12 अक्टूबर को हुई इस सुनवाई में कही गई अदालत की टिप्पणियां अब सामने आई हैं। कोर्ट ने कहा है कि पीड़िता के शव को रात में जलाना न सिर्फ पीड़िता बल्कि उसके परिवार के मानवाधिकारों भी का हनन है। कोर्ट ने कानून व्यवस्था एडीजी प्रशांत कुमार और अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी से कई गंभीर सवाल किए हैं। 

कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा, "आजादी के बाद सरकार और प्रशासन जनता की सेवा और रक्षा करने के सिद्धांत पर काम करते हैं ना कि उसे नियंत्रित और शासित करने के उद्देश्य से। सरकार को ऐसी परिस्थितियों को संभालने के लिए प्रशासन को साफ निर्देश देने चाहिए।"

एडीजी प्रशांत कुमार के इस दावे पर कि पीड़िता का बलात्कार नहीं हुआ है, कोर्ट ने पूछा कि बलात्कार के कानून में 2013 के बाद हुए संशोधन से प्रशांत कुमार अवगत नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के शरीर पर सीमेन का ना मिलना यह नहीं साबित करता कि उसका बलात्कार नहीं हुआ।इस पर अपनी सफाई में प्रशांत कुमार ने कहा कि वे इस संशोधन से अवगत हैं। हालांकि, उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा था कि पीड़िता का बलात्कार नहीं हुआ है। 

कोर्ट ने उनसे पूछा कि ऐसे संवेदनशील मामलों में बिना किसी जांच के वे इस तरह का निष्कर्ष कैसे निकाल सकते हैं। दूसरी तरफ हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार ने कोर्ट को बताया कि पीड़िता के शव को रात में जलाने का निर्णय कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। 

कोर्ट ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जो मानवता के धर्म का पालत करता है और डीएम के आदेश पर प्रशासन ने पीड़िता के शव को रात में जलाकर ना केवल इस धर्म का बल्कि मानवाधिकारों का भी उल्लंघन किया है। कोर्ट ने कहा कि कानून व्यवस्था का बहाना बनाकर पीड़िता के परिजनों को उसके अंतिम संस्कार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि ना केवल एक व्यक्ति को पूरे सम्मान के साथ जीने का अधिकार होता है बल्कि मौत के बाद भी वो इसी सम्मान का हकदार होता है। 

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कोर्ट ने अवनीश कुमार अवस्थी से पूछा कि जब पीड़िता के शव को रात में जलाने का निर्णय प्रशासन द्वारा सामूहिक रूप से लिया गया तो सिर्फ एसपी को निलंबित क्यों किया गया, डीएम को निलंबित क्यों नहीं किया गया। अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा कि एसपी को निलंबित करने का फैसला एसआईटी रिपोर्ट के बाद लिया गया। हालांकि, डीएम के ऊपर कार्रवाई ना करने का कोई संतोषजनक जवाब अवस्थी नहीं दे पाए।