मिस्टर होम मिनिस्टर, सेनानियों का अपमान करना बंद करो, गृह मंत्री के विवादित बयान का कांग्रेस ने किया विरोध
अमित शाह ने पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के स्थापना दिवस के दौरान कही कि अगर किसी को लगता है कि भारत में लोकतंत्र 15 अगस्त 1947 या संविधान के लागू होने के बाद आया है तो वह गलत है
नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह के अजीबोगरीब बयान पर विवाद बढ़ गया है। आज़ादी और संविधान को लेकर दिए गए उनके बयान पर सोशल मीडिया पर गृह मंत्री और बीजेपी का विरोध शुरू हो गया है। गृह मंत्री के बयान को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भद्दा बयान करार दिया है। वहीं रणदीप सुरजेवाला ने गृह मंत्री को इतिहास का पाठ पढ़ाते हुए आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने वालों के बलिदान का अपमान बंद करने के लिए कहा है।
दरअसल गृह मंत्री अमित शाह शनिवार को राजधानी दिल्ली में पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के 51वें स्थापना दिवस पर पुलिस के अधिकारियों और जवानों को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने विवादित बयान देते हुए कहा कि अगर कोई कहता है कि इस देश में लोकतंत्र 15 अगस्त 1947 या संविधान के लागू होने के बाद आया है तो यह गलत है।
गृह मंत्री ने अपने इस बेतुके और विवादित बयान को सही साबित करने के लिए कहा कि भारत में लोकतंत्र बहुत पहले से है। लोकतंत्र इस देश का मूल स्वाभाव रहा है। गृह मंत्री के इस बयान को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक भद्दा बयान करार दिया है।
Mr. Home Minister,
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) September 4, 2021
Stop insulting the “Freedom Movement” & sacrifice of our “Freedom Fighters”, who fought for democracy & independence from the tyranny of British.
Opposition of BJP’s predecessor organizations to Mahatma Gandhi & democratic Freedom Movement are well known. https://t.co/2d0PHGCrop
वहीं कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने गृह मंत्री के बयान का कड़े शब्दों में विरोध किया है। रणदीप सुरजेवाला ने गृह मंत्री के बयान की तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि मिस्टर होम मिनिस्टर, आज़ादी के लिए बलिदान देने वाले हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और उनके स्वतंत्रता संग्राम का आप अपमान करना बंद करो। इसके साथ ही स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बीजेपी के पूर्वर्ती संगठनों की कथित गद्दारी का ज़िक्र करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि महात्मा गांधी और लोकतांत्रिक स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति भाजपा के पूर्ववर्ती संगठनों का विरोध सर्वविदित है।