आदिवासी गौरव पर मोदी से मुक़ाबला, कांग्रेस ने वीडियो के ज़रिए दिया महाविद्रोह का संदेश

कांग्रेस ने जारी किया बिरसा मुंडा के जीवन गाथा पर आधारित वीडियो, सुरजेवाला बोले- जल, जंगल, जमीन पर जो आंख उठाओगे, हर घर से एक नया बिरसा मुंडा पाओगे

Updated: Nov 13, 2021, 06:54 AM IST

नई दिल्ली। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम महानायक बिरसा मुंडा की जयंती पर देश में सियासत तेज हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मौके मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जनजातीय गौरव सम्मेलन करने वाले हैं। सरकार इस सम्मेलन को व्यापक बनाने के लिए करोड़ों रुपए फूंक रही है। इसी बीच कांग्रेस ने बिरसा मुंडा के जीवन पर आधारित वीडियो जारी कर महाविद्रोह का संदेश दिया है।

कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने वीडियो जारी कर लिखा है कि, 'जल, जंगल, ज़मीन पर जो आंख उठाओगे, हर घर से एक नया “बिरसा मुंडा” पाओगे। आजादी की जंग में अंग्रेजों हुकूमत को हिलाकर रख देनेवाले वीर बिरसा मुंडा कोटि कोटि नमन। महज़ 25 साल की उम्र में “धरती आबा” ने शांति की कलम से क्रांति की गाथा लिख डाली।'

मौत के सौदागरों को जिंदगी का गीत कहाँ रास आता है: सुरजेवाला

वीडियो में सुरजेवाला कहते हैं कि, 'बिरसा मुंडा ने भारत की भूमि को रौशन करने के लिए खुद को भरी जवानी में बुझा दिया। महज 25 साल की उम्र में मातृभूमि की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले उस हुतात्मा को शत शत नमन। बिरसा मुंडा ने देश के आदिवासी समुदाय के बीच आजादी की अलख जगाई। झारखंड के लोहरदगा में जन्मे बिरसा मुंडा का बचपन उसी तरह गुजरा जिस तरह के एक आम आदिवासी बालक का गुजरता है। प्रकृति को गोद मे बांसुरी की धुन पर जिंदगी के तराने गुनगुनाते हुए लेकिन मौत के सौदागरों को जिंदगी का गीत कहाँ रास आता है।'

सुरजेवाला बताते हैं कि, 'बल और छल से जब अंग्रेज धरतीपुत्रों के जल, जंगल और जमीन पर कब्जा कर रहे थे। तब बिरसा मुंडा को जल्द ही समझ आ गया कि शोषण के इन औजारों का नाम और पहचान भले ही अलग हो लेकिन मूल तत्व में सब एक हैं। एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं। तब उन्होंने आदिवासी समुदाय के बीच नारा दिया 'साहब एक टोपी है' बिरसा मुंडा ने उस सिर को ही कलम करने का फैसला किया जिसपर दमनकारी व्यवस्था की ये टोपी टिकी हुई थी।' 

वीडियो में सुरजेवाला कहते हैं कि, 'महारानी का राज खत्म करो और अपना राज कायम करो के उद्घोष के साथ मुंडा ने अंग्रेजों के विरुद्ध महाविद्रोह का ऐलान कर दिया। उनकी एक आवाज पर आदिवासियों का जत्था-जत्था जमा होने लगा और धरती पुत्र अंग्रेजी हुकूमत को ध्वस्त करने लगे। मुंडा जब बल से अंग्रेजों के कब्जे में नहीं आए तब धूर्त अंग्रेजों ने छल का प्रयोग किया और उनपर इनाम घोषित किया। इनाम की लालच में एक गद्दार ने मुंडा के गुप्त ठिकाने की जानकारी जालिम अंग्रेजों को दे दी।'

साजिश से तोड़ी मुंडा की सांस की डोर: सुरजेवाला

सुरजेवाला ने बिरसा मुंडा की मौत को लेकर कहा कि, 'रांची जेल में मुंडा की शहादत रहस्यों के आवरण में ढंकी हुई है। अंग्रेजों ने दावा किया कि बीमारी से उनकी मौत हुई लेकिन ये सत्य नहीं है। उन्हें धीमा जहर दिया गया। साजिश से अंग्रेजों ने भले ही उनकी सांस की डोर तोड़ दी लेकिन बिरसा मुंडा ने आदिवासी समुदाय के बीच स्वाभिमान की जो अलख जगाई वह आज तक प्रज्वलित है। बिरसा मुंडा अनावश्यक हिंसा के सख्त खिलाफ थे। वे अंधविश्वास और रूढ़िवादी व्यवस्था के खिलाफ अलख जगाते रहे।' 

वर्तमान समय में देखा जाए तो आदिवासी समुदाय उसी शोषण का शिकार हो रहे हैं, जिसके शिकार बिरसा मुंडा हुए। आदिवासी अपने जल, जंगल और जमीन की लड़ाई आज भी लड़ रहे हैं। पुलिस कस्टडी में आज भी आदिवासियों की मौत होने की खबरें आना और उसे सामान्य मौत घोषित करना आम हो गया है। कांग्रेस ने बिरसा मुंडा के इस जीवन परिचय के माध्यम से इस तरह के शोषण के खिलाफ महाविद्रोह का संदेश देने का प्रयास किया है।