PM Modi Birthday: कांग्रेस बेरोजगार दिवस के रूप में मनाएगी पीएम मोदी का जन्मदिन

17 सितंबर को 17 बजे 17 मिनट: रोजगार देने का वादा कर सरकार में आई है बीजेपी, अगस्त में 9.1 प्रतिशत पहुंची बेरोजगारी दर, नाराज युवा 17 बजे 17 मिनट पर करेंगे प्रदर्शन

Updated: Sep 14, 2020, 04:29 AM IST

Photo Courtsey: The Print
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर को कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस के रूप में मनाएगी। भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने यह घोषणा की है। श्रीनिवास ने ट्वीट किया, "युवाओं को बेरोजगारी के दलदल में धकेलने वाले युवा विरोधी नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर पूरे देश में पार्टी करोड़ों युवाओं के साथ मिलकर बेरोजगारी दिवस मनाएगी।"

17 सितंबर को ही बेरोजगार युवा ट्विटर पर एक मुहिम चलाने की भी तैयारी कर रहे हैं। यह मुहिम पिछले दो और मुहिम की तर्ज के आधार पर ही चलाई जाएगी।

 

इससे पहले युवाओं ने सरकारी भर्तियों की परीक्षा कराने और उनके परिणाम घोषित करने को लेकर 5 सितंबर को शाम पांच बजे ताली थाली बजाई थी। इसके बाद इन्हीं मांगों के साथ युवाओं ने 9 सितंबर की रात 9 बजे दिए जलाए थे। अब युवा 17 सितंबर को भी ऐसी ही मुहिम चलाने की तैयारी में।

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यह सिलसिला तब शुरू हुआ था जब 30 अगस्त को प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम का प्रसारण यूट्यूब पर हुआ और देखते ही देखते युवाओं ने उस वीडियो पर डिसलाइक की बौछार कर दी। देखते ही देखते डिसलाइक की संख्या लाखों पर कर गई। कमेंट सेक्सन ने एसएससी, रेलवे और दूसरी परीक्षाओं को लेकर युवाओं ने केंद्र सरकार की आलोचना कर डाली।

शुरूआत में बीजेपी ने इसे अंतरराष्ट्रीय साजिश बताते हुए अपने यूट्यूब चैनेल्स से लाइक और डिसलाइक को हटा दिया। कई चैनलों में कमेंट सेक्शन भी बंद कर दिए गए। हालांकि, छात्रों द्वारा मुहिम चलाए जाने के बाद रेलवे को आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तारीखों की घोषणा करनी पड़ी। 

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भारत में इस समय रोजगार का बहुत बुरा हाल है। लॉकडाउन के चलते अप्रैल से जुलाई के बीच करीब 12 करोड़ नौकरियां खत्म हो चुकी हैं। वहीं सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनमी के अनुसार अगस्त के दूसरे सप्ताह में बेरोजगारी दर 9.1 प्रतिशत तक पहुच गई है। यह बेरोजगारी डर ही रोजगार संकट की कहानी कहने के लिए पर्याय है।

रोजगार के इस संकट के बीच उत्तर प्रदेश की सरकार पांच साल संविदा के बाद स्थाई नौकरी का नियम बनाने की तैयारी में है। इसके तहत पहले पांच साल कर्मचारियों को संविदा पर सेवा देनी होगी, उसके बाद उनका मूल्यांकन होगा और तब निर्णय लिया जाएगा कि उन्हें स्थाई नौकरी दी जाए अथवा नहीं। विपक्षी पार्टियों ने इस प्रस्तावित नियम की आलोचना की है। उनका कहना है कि इससे भ्रष्टाचार बहुत बढ़ जाएगा।