कोरोना : गैसकांड पीड़ितों को सबसे ज्यादा खतरा
भोपाल में कोरोना से जिन 13 लोगों की जानें गई हैं, वे सभी के सभी भोपाल गैस कांड के पीड़ित बताए जा रहे हैं और यह बात शासन के लिए चिंता का विषय हैं।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अब तक 526 लोग कोरोनावायरस से संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 15 लोगों की इससे जान जा चुकी है। खास बात यह है कि जिन 13 लोगों की जानें गई हैं, वे सभी के सभी भोपाल गैस कांड के पीड़ित बताए जा रहे हैं और यह आंकड़े शासन के लिए चिंता का विषय हैं।
इसे लेकर गैस पीड़ित संगठनों ने प्रशासन और सरकार को चिट्ठी लिखकर उनके लिए मदद की गुहार लगाई थी। गैस पीड़ितों के लिए पिछले कई सालों से काम कर रहीं रचना ढींगरा के मुताबिक गैस पीड़ितों को कोरोनावायरस से सबसे ज्यादा खतरा है। उन्होंने लगातार गैस पीड़ितों की परेशानियों को लेकर आवाज उठाई और इसी के नतीजतन प्रशासन ने गैस पीड़ित बस्तियों में सर्वे का काम भी शुरू कर दिया है।
कलेक्टर ने जारी किए निर्देश
शनिवार को भोपाल कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने गैस पीड़ितों और 60 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए सभी गैस राहत अस्पतालों में स्क्रीनिंग करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। उन्होंने सभी गैस राहत हॉस्पिटल में ओपीडी सेवा भी शुरू करने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर ने पल्मनरी हॉस्पिटल (PMC) गिन्नौरी को गैस पीड़ित लोगों के लिए कोविड सेंटर के रूप में रखने के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही भोपाल मेमोरियल रिसर्च अस्पताल को केवल गैस पीड़ितों से लिए जा रहे सैंपल की जांच के लिए करने के लिए तैयारी की जा रही है।
इसलिए गैस पीड़ितों पर मंडरा रहा है खतरा
आपको बता दें कि, 1984 में राजधानी भोपाल में भयानक गैस कांड हुआ था, जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई थी। इससे बड़ी संख्या में भोपाल के लोगों में काफी बुरी तरह से एक संक्रमण फैला था। इस हादसे में लोगों के फेफड़ों और अन्य अंगों को काफी नुकसान पहुंचा था। जिन लोगों पर गैस का असर हुआ था उनकी इम्यूनिटी पॉवर काफी कमजोर हो गई थी। यही वजह है कि अब जब कोरोनावायरस फैला है तो सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर पड़ रहा है जो गैस से संक्रमित हुए थे।