Corona Vaccine : लॉन्च को लेकर विज्ञान मंत्रालय और ICMR में मतभेद

COVAXIN : विज्ञान मंत्रालय ने कहा कि कोई भी वैक्सीन 2021 से पहले प्रयोग के लिए उपलब्ध नहीं हो सकती

Publish: Jul 07, 2020, 01:17 AM IST

Pic: Swaraj Express
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कोरोना वायरस के खिलाफ भारत बायोटेक कंपनी की वैक्सीन को लेकर विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय और आईसीएमआर के बीच मतभेद सामने आया है। आईसीएमआर एक तरफ कह रहा है कि कोरोना वायरस की स्वदेशी वैक्सीन 15 अगस्त को लॉन्च हो जाएगी। वहीं मंत्रालय ने कहा कि दुनियाभर में करीब 140 वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों में से 11 ह्यूमैन ट्रायल के दौर में हैं, लेकिन 2021 से पहले इनमें से किसी भी वैक्सीन के बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए तैयार होने की संभावना नहीं है। हालांकि, बाद में मंत्रालय ने अपने बयान से 2021 तक वैक्सीन उपलब्ध ना होने की बात अपने बयान से हटा ली।

मंत्रालय ने बाद में अपने बयान में कहा कि भारत के दवा महानियंत्रक और केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन की ओर से वैक्सीन के ह्यूमैन ट्रायल की अनुमति मिलने से कोरोना वायरस महामारी के अंत की शुरुआत हो गई है। हालांकि, इस बयान में भी मंत्रालय ने किसी समय सीमा या 15 अगस्त तक वैक्सीन के लॉन्च हो जाने की बात नहीं की।

वैज्ञानिकों के अनुसार किसी भी नई वैक्सीन की जांच के तीन चरण होते हैं। इसमें से पहले दो चरण वैक्सीन की सुरक्षा जांचते हैं और तीसरा चरण उसका प्रभाव। इस पूरी प्रकिया में करीब 8 से 10 साल का समय लग सकता है। वायरस के म्यूटेट होने पर यह समय और भी बढ़ सकता है। लेकिन नए कोरोना वायरस के असर को देखते हुए वैज्ञानिक जल्द से जल्द वैक्सीन विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन उनका मानना है कि सुरक्षा मानकों से समझौता ना करते हुए वैक्सीन विकसित करने में कम से कम 18 महीने का समय लग जाएगा।

ऐसे में आईसीएमआर के 15 अगस्त तक कोरोना वैक्सीन को लॉन्च करने के दावे पर दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने सवाल उठाए। खासकर सुरक्षा संबंधी प्रोटोकॉल्स पर। इसके बाद आईसीएमआर को सफाई देनी पड़ी की सुरक्षा संबंधी प्रोटोकाल्स से कोई समझौता नहीं किया जा रहा है और संस्था केवल लंबे समय तक चलने वाली प्रशासनिक औपचारिकता को खत्म करने का प्रयास कर रही है।

विशेषज्ञों और विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि कोरोना वैक्सीन के लिए 15 अगस्त की तारीख इसलिए निर्धारित की गई है ताकि बिहार चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी को राजनीतिक बढ़त दिलाई जा सके। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि वैक्सीन विकसित करने में जल्दबाजी करने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख वैज्ञानिक डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि वैक्सीन के विकास में तेजी एक जरूरी चीज है लेकिन यह वैज्ञानिक और नैतिक मानकों को ताक पर रखकर नहीं लाई जा सकती।

हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को आईसीएमआर के सहयोग से विकसित किया गया है और इसे इसी सप्ताह पहले और दूसरे चरण के ट्रायल की अनुमति मिली है। वैक्सीन के पहले चरण का ट्रायल 28 दिनों के भीतर पूरा किया जाना है। हालांकि, यह अभी साफ नहीं है कि दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल के बिना किस तरह वैक्सीन को 15 अगस्त को लॉन्च किया जा सकता है, जैसा कि आईसीएमआर का दावा है। वहीं ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की तरफ से विकसित की जा रही वैक्सीन की उपलब्धता के लिए अक्टूबर से नवंबर तक का समय तय किया गया है। यह वैक्सीन ट्रायल के अंतिम चरण में है। 

वहीं दूसरी तरफ इस वैक्सीन के लिए भारत बायोटेक की तरफ से जो आवेदन किया गया है उसमें भी क्लिनिकल ट्रायल पूरा करने के लिए 15 महीने का वक्त तय किया गया है। यह समय विज्ञान और तकनीकि मंत्रालय के पहले के उस बयान से मेल खाता है, जिसमें 2021 से पहले किसी कोरोना वायरस वैक्सीन के उपयोग के लिए उपलब्ध ना होने की बात कह गई थी।