26 नवंबर को दिखेगा किसानों-ट्रेड यूनियनों की एकता का असर, एतिहासिक आंदोलन के आसार

26 नवंबर को ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल, 26-27 नवंबर को किसान संगठनों ने भी दिया है चलो दिल्ली का नारा, दोनों ने किया एक-दूसरे के समर्थन का एलान

Updated: Nov 24, 2020, 07:54 PM IST

Photo Courtesy: Patrika
Photo Courtesy: Patrika

नई दिल्ली। इस 26 नवंबर को देश में मज़दूरों-किसानों और कर्मचारी संगठनों की साझा ताक़त देखने को मिल सकती है। देश भर के किसान संगठनों ने जहां 26-27 नवंबर को दिल्ली चलो आंदोलन का एलान किया है, वहीं देश की 10 सबसे बड़े ट्रेड यूनियनों और राज्यों के कर्मचारी संगठनों ने भी 26 नवंबर  को देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की है। ट्रेड यूनियनों का दावा है कि यह देश में आज़ादी के बाद की सबसे बड़ी हड़ताल होने जा रही है। ख़ास बात यह है कि इस बार देश की तमाम ट्रेड यूनियनों और 234 से ज़्यादा किसान व खेत मज़दूर संगठनों ने मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ हाथ मिला लिया है।

किसानों, ट्रेड यूनियनों की एकजुटता एतिहासिक हो सकती है

देश के किसान जहां केंद्र सरकार के तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ लामबंद हो रहे हैं, वहीं ट्रेड यूनियनों ने श्रम कानूनों में कामगारों और उनके संगठनों को मिले अधिकारों को खत्म किए जाने का विरोध कर रहे हैं। ख़ास बात यह है कि ट्रेड यूनियनों ने आम जनता को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने, शिक्षा व स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और महंगाई पर रोक लगाने जैसे सवालों को भी अपने मुद्दों में शामिल किया है। किसानों और कामकाजी तबके की इस एकजुटता की वजह से यह आंदोलन एतिहासिक होने की उम्मीद की जा रही है।

26 नवंबर को देश के  10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों और राज्यों के सहयोगी कर्मचारी संगठनों की हड़ताल में बैंक, रोडवेज, रेलवे, बीएसएनएल, जीवन बीमा निगम, डाक, पेयजल, बिजली विभाग के कर्मचारियों के अलावा आशा वर्कर, आँगनबाड़ी वर्कर और औद्योगिक क्षेत्रों के संगठन भी शामिल रहेंगे।

किसानों ने दिल्ली कूच के लिए कमर कसी, सरकार आंदोलन दबाने को तैयार

उधर देश भर के प्रमुख किसान संगठनों ने भी अपने दिल्ली चलो अभियान के लिए कमर कस ली है। किसानों का यह आंदोलन केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में ही है। जिसके तहत देश भर के किसान 26-27 नवंबर को दिल्ली पहुंचकर प्रदर्शन करेंगे। दिल्ली में किसानों को रामलीला मैदान या जंतर-मंतर पर रैली करने की अनुमति नहीं मिली है, लेकिन किसान दिल्ली चलो अभियान पर अड़े हुए हैं। दिल्ली मार्च को लेकर पिछले सप्ताह ही किसानों की बैठक हुई थी। इस आंदोलन में 500 से ज्यादा किसान संगठन भाग लेंगे। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने बताया कि 26 नवंबर को किसान दिल्ली में रोड ब्लॉक करेंगे।

दरअसल किसानों की दिल्ली आने वाले पांच प्रमुख हाइवे से होकर देश की राजधानी में पहुंचने की है। किसान नेता पहले कह चुके हैं कि अगर उन्हें दिल्ली पहुंचने से रोका गया तो किसानों के जत्थे रास्ते में जहां होंगे, वहीं चक्काजाम करके धरने पर बैठ जाएंगे। 

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, राष्ट्रीय किसान महासंघ और भारतीय किसान संघ के अलग-अलग धड़ों ने तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा बनाया है। 500 संगठनों में समन्वय के लिए 7 सदस्यीय समिति का भी गठन किया गया है।

किसानों के दिल्ली कूच को विफल बनाने के लिए बीजेपी की राज्य सरकारों ने भी तैयारी शुरू कर दी है। हिन्दी अख़बार दैनिक जागरण के मुताबिक, हरियाणा के यमुनानगर में पुलिस ने किसान नेताओं के घरों पर बीती रात और आज तड़के दबिश दी है। कुछ किसान नेताओं को हिरासत में भी लिया गया है। ख़बर है कि कुछ किसान नेता भूमिगत भी हो गए हैं।