Jammu and Kashmir: पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की अपील

Farooq Abdullah: केंद्र सरकार पर जम्मू-कश्मीर के लोगों का भरोसा खत्म हो चुका है, सुप्रीम कोर्ट से है सारी उम्मीद

Updated: Jul 27, 2020, 07:23 AM IST

Pic: Swaraj Express
Pic: Swaraj Express

श्रीनगर। जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लिए जाने को पांच अगस्त को एक वर्ष पूरा होने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने इसका पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किए जाने का आह्वान किया है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त किए जाने को खारिज कर न्याय दिलाएगा। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी सभी लोकतांत्रिक माध्यमों से बदलाव के लिए संघर्ष करती रहेगी। भारत संघ में शामिल होने के समय जम्मू कश्मीर की जनता ने जो भरोसा जताया था, यह बदलाव उसी भरोसे के साथ 'विश्वासघात' है।

नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘एक राजनीतिक दल के रूप में यह जरूरी है कि हम इस बात से जनता को अवगत कराते रहें कि न्याय के लिए हम क्या कर रहे हैं। हम इस बात को लेकर बहुत स्पष्ट हैं हमें थोपा गया यह बदलाव स्वीकार्य नहीं है और हम लगातार इसका विरोध करते रहेंगे।’’

प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘हम लोकतांत्रिक माध्यमों के साथ अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे और इसके लिए प्रचार करेंगे। हमने कभी बंदूकों का इस्तेमाल नहीं किया, हमने कभी उन माध्यमों का इस्तेमाल नहीं किया जो संवैधानिक नहीं हैं। हम मुख्यधारा की लोकतांत्रिक पार्टी हैं और हम अपनी लड़ाई के लिए सभी लोकतांत्रिक माध्यमों का इस्तेमाल करेंगे।'

संघ में शामिल होने के समय जम्मू कश्मीर की जनता ने जो भरोसा जताया था, इस बदलाव को उस भरोसे के साथ 'विश्वासघात' करार देते उन्होंने कहा, ' दिल्ली (भारत संघ) में हमने जो भरोसा जताया था, वह अब शून्य हो चुका है।'

अब्दुल्ला ने कहा, 'भरोसे की कमी है, और केंद्र को दोबारा विश्वास बहाल करना है। यह विश्वास तभी आयेगा जब राज्य का दर्जा बहाल हो और जो अन्य बदलाव किए गए हैं उन्हें वापस लिया जाए।'

उन्होंने कहा, ‘‘जो कुछ हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने (केंद्र) कहा कि एक बार इसे (अनुच्छेद 370) हटा दिया जाता है तो जम्मू कश्मीर में विकास होगा, आतंकवाद समाप्त हो जायेगा। मैं उन लोगों से पूछना चाहता हूं कि क्या आतंवकाद का खात्मा हुआ? कम होने की अपेक्षा इसमें बढ़ोत्तरी हुई है। क्या कोई विकास हुआ ? हमारे पास जो कुछ था, उसे भी हमने खो दिया है। ’’

अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के लिए नए अधिवास कानूनों की तीव्र आलोचना की, और कहा कि उनकी पार्टी ने हमेशा आशंका जताई थी कि इसकी जनसांख्यिकी को बदलने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा, 'अब हमारा डर सही हो रहा है। हम इसके लिये संघर्ष करेंगे।'

केंद्र सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा यह कहते हुए वापस ले लिया था कि अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू कश्मीर में विकास रूक गया है। इसने शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्योगों के विकास को रोक दिया है। इसके अलावा इस अनुच्छेद के कारण आतंकवाद को रोकने में कोई मदद नहीं मिल रही है।

अब्दुल्ला की अध्यक्षता वाले नेशनल कांफ्रेंस ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने और पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों— लद्दाख और जम्मू कश्मीर— में बांटने के केंद्र सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। पार्टी ने कोर्ट में कहा था कि संसद में पारित कानून और उसके बाद राष्ट्रपति की ओर से जारी आदेश असंवैधानिक था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करने के लिए पांच सदस्यीय पीठ का गठन किया था। अब्दुल्ला को पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त किए जाने से पहले गिरफ्तार कर लिया गया था। उसके बाद उन्होंने सात महीने हिरासत में बिताए हैं।