महंगाई दर 24 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंची, अप्रैल में खुद्रा महंगाई दर बढ़कर 15.08% हुई

ईंधन और बिजली क्षेत्र में 38.66% की महंगाई दर तथा कच्चे तेल व प्राकृतिक गैस में 69.07 फीसदी की महंगाई दर दर्ज की गई है

Updated: May 17, 2022, 12:35 PM IST

Courtesy:  Amrit Vichar
Courtesy: Amrit Vichar

दिल्ली। पेट्रोल, डीजल, गैस की बढ़ती कीमतों का असर अब आम जनजीवन पर भी पड़ने लगा है। फल, सब्जी से लेकर प्रत्येक वस्तु की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि देखी जा रही है। अप्रैल 2022 में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति दर मतलब महंगाई दर 15.08 फीसदी रही जबकि मार्च, 2022 में महंगाई दर 14.55% थी, लगातार 13 महिनों से महंगाई दर दोहरे अंकों में है।

ईंधन और बिजली क्षेत्र में 38.66% की महंगाई दर तथा कच्चे तेल व प्राकृतिक गैस में 69.07 फीसदी की महंगाई दर दर्ज की गई है। वर्ष 2014 में महंगाई दर 7.8% थी। भारतीय रिजर्व बैंक ने मुद्रा स्फीति में तेज वृद्धि का आकंलन करते हुए मौद्रिक नीति समिति की बैठक एक महीने पहले मई में आयोजित की थी, जिसमें रेपो दर में 40-आधार-बिंदु वृद्धि, सीआरआर दर में 50 आधार बिंदु वृद्धि की घोषणा करने के लिए मजबूर किया।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा कि, पिछले वर्ष के अप्रैल माह की तुलना में अप्रैल 2022 में मुद्रा स्फीति में तेज वृद्धि दर मुख्य रूप से खनिज तेल, धातु, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, खाद्य व अखाद्य पदार्थो, रसायन व रसायनिक पदार्थों की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई हैं। वहीं दूसरी ओर बढ़ते व्यापार और चालू खाता घाटे,भारतीय शेयर बाजार से विदेशी पूंजी के बाहर जाने और मजबूत अमेरिकी डॉलर के कारण भारतीय रुपया गिरकर अब तक के सबसे निचले स्तर 77.56 पर पहुंचा, जिसका सीधा असर आयात पर पड़ता है।

अर्थशास्त्रियों के अनुसार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रूपए में 5 फीसदी की गिरावट महंगाई दर में 10 से 15 आधार बिंदु की वृद्धि होती है। इस वित्त वर्ष में अब तक विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से 19 अरब डॉलर रुपए निकाल चुके हैं। भारत अपनी तेल जरूरतों का 80% विदेशों से आयात करता है, कमजोर रुपए का सीधा असर तेल कंपनियों के घाटे पर पड़ेगा और महंगाई का बोझ आम आदमी को उठाना होगा।