नीतीश के समर्थन और बीजेपी के विरोध में उतरे मांझी, कहा गठबंधन निभाना नीतीश से सीखना चाहिए

HAM के प्रमुख जीतन राम मांझी ने भी अब बीजेपी पर परोक्ष रूप से निशाना साधा है, एक दिन पहले नीतीश ने कहा था चुनाव में उन्हें दोस्त और दुश्मन का पता नहीं चला

Updated: Jan 10, 2021, 07:08 PM IST

Photo Courtesy : Times Of India
Photo Courtesy : Times Of India

पटना/नई दिल्ली। शनिवार को जेडीयू प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में मचे बवाल के बाद अब HAM प्रमुख और एनडीए गठबंधन में बीजेपी के सहयोगी जीतन राम मांझी भी नीतीश कुमार के समर्थन में उतर आए हैं। जीतन राम मांझी ने बिना नाम लिए बीजेपी के ऊपर परोक्ष रूप से निशाना साधा है। जीतन राम मांझी ने कहा है कि अगर किसी को गठबंधन धर्म का पालन करना सीखना है तो नीती कुमार से सीखना चाहिए। इसके साथ ही जीतन राम मांझी ने तेजस्वी यादव को बिहार का भविष्य बता कर राजनीति में एक बार फिर से हलचल पैदा कर दी है।

जीतन राम मांझी ने रविवार को सबसे पहले नीतीश कुमार के समर्थन में ट्वीट करते हुए कहा कि, 'राजनीति में गठबंधन धर्म को निभाना अगर सीखना है तो नीतीश कुमार जी से सीखा जा सकता है। मांझी ने नीतीश की तारीफ़ और बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि गठबंधन में शामिल दल के आंतरिक विरोध और साज़िशों के बावजूद भी उनका सहयोग करना नीतीश जी को राजनैतिक तौर पर और महान बनाता है। नीतीश कुमार के जज़्बे को माँझी का सलाम।

जीतन राम मांझी के ट्वीट के मुताबिक गठबंधन में शामिल दल ने नीतीश कुमार और जेडीयू के खिलाफ साजिश की थी। यहां यह जान लेना ज़रूरी है कि एलजेपी के चिराग पासवान चुनाव से पहले ही एनडीए गठबंधन से अलग हो गए थे। लिहाज़ा एनडीए गठबंधन में बीजेपी और वीआईपी के अलावा कोई तीसरा दाल नहीं है। वीआईपी इतनी बड़ी पार्टी नहीं है कि जेडीयू के खिलाफ साजिश कर सके। ऐसे में ज़ाहिर है मांझी का साफ़ इशारा बीजेपी की ही ओर है।

क्या है मामला 
दरअसल शनिवार को जेडीयू की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक हुई थी। मीडिया में यह ख़बरें आई कि बैठक में जेडीयू के विधायकों और चुनाव हारे हुए प्रत्याशियों ने पार्टी के शर्मनाक प्रदर्शन और अपनी हार का सारा ठीकरा बीजेपी के ऊपर फोड़ा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बात पर अपनी सहमति जताते हुए कहा कि चुनाव में कौन दोस्त था और कौन दुश्मन, यह समझ नहीं आया। चूंकि चिराग पासवान शुरू से ही खुलकर नीतीश कुमार के विरोध में उतर आए थे। लिहाज़ा नीतीश की इस टिप्पणी से तय है कि उनकी पीठ में छूरा घोंपने का काम कथित तौर पर बीजेपी ने ही किया है। अब जीतन राम मांझी का बयान सामने आने के बाद इस बात पर मुहर लग गई है कि नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच में खींचतान केवल अटकलें नहीं है। दाल में ज़रूर कुछ काला है, जिसे खासकर आरजेडी ने पकड़ लिया है।

यह भी पढ़ें : नीतीश कुमार बोले चुनाव में दोस्त-दुश्मन का पता नहीं चला, उम्मीदवारों ने कहा बीजेपी ने पीठ में छुरा घोंपा

तेजस्वी आप बिहार के भविष्य हैं : मांझी

नीतीश कुमार की तारीफ और बीजेपी पर निशाना साधने के साथ साथ जीतन राम मांझी ने तेजस्वी यादव को बिहार का भविष्य बता दिया है, जिस वजह से एक बार फिर बिहार की राजनीति में हलचल तेज़ हो गई है। हालांकि मांझी ने कहा है कि चूंकि तेजस्वी बिहार के भविष्य हैं इसलिए उन्हें अनर्गल बयानबाज़ी से बचना चाहिए।

दरअसल आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने शनिवार को अपनी धन्यवाद यात्रा के दौरान नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा था कि नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बीजेपी और आरएसएस ने अपने कुछ फैसलों को लागू कराने के लिए बनाया है। नीतीश कुमार खुद दबाव में मुख्यमंत्री बने हैं, जिसे उन्होंने खुद स्वीकारा है। नीतीश कुमार ने बिहार को मजबूर प्रदेश बना दिया है। तेजस्वी ने बिहार सरकार में मंत्रिमंडल के विस्तार में लगने वाली देरी को लेकर भी सवाल किया था। इसको लेकर जीतन राम मांझी ने कहा कि जब आप अपने दल के राजनैतिक कार्यक्रम खरवास के बाद आरंभ कर रहें हैं तो मंत्रिपरिषद का विस्तार पर इतना क्यों उतावले हो रहें हैं? मांझी ने कहा कि सही वक्त पर सबकुछ हो जाएगा बस आप पॉज़िटिव राजनीति किजिए।

जीतन राम मांझी कुछ ही दिन पहले तक तेजस्वी पर जमकर हमलावर थे। उन्होंने तेजस्वी यादव के साथ साथ राहुल गांधी और चिराग पासवान को लेकर कहा कि ये तीनों युवाराज हनीमून मनाने गए हैं। लेकिन एकदम से तेजस्वी के प्रति जीतन राम मांझी का यह नरम रुख कई राजनीतिक संभावनाओं को जन्म दे गया है। क्योंकि बिहार विधानसभा में पहले ही एनडीए बहुमत की महीन रेखा पर खड़ी है जबकि आरजेडी भी बहुमत के मुहाने पर ही है। एनडीए के पास कुल 126 विधायकों का साथ है। जिसमें नीतीश और जेडीयू को मिलाकर 117 विधायक ही हैं। बाकी 4-4 विधायक HAM और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी के पास है। इसमें एक निर्दलीय विधायक का समर्थन भी एनडीए को हासिल है। ऐसे में अगर सिर्फ मांझी ही एनडीए से किनारा कर लें तो बिहार में एनडीए की सरकार खतरे में पड़ सकती है।