मुर्गा मछली की बजाए बीफ खाओ, बीजेपी के मंत्री संबोर शुलाई ने स्थानिकों को किया प्रोत्साहित

मेघालय बीजेपी के वरिष्ठ नेता व मंत्री संबोर शुलाई ने लोगों से गाय के मांस का सेवन करने की अपील की है, हालांकि, उत्तर/मध्य भारत में बीजेपी बीफ बैन की वकालत करती है

Updated: Jul 31, 2021, 03:44 PM IST

Photo Courtesy: Pratidin time
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शिलांग। उत्तर भारत और मध्य भारत में गौ रक्षा बीते कुछ वर्षों का सबसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा रहा है। बीजेपी देश के कई राज्यों में गौहत्या और बीफ पर प्रतिबंध लगाने की वकालत करती है। हालांकि, मेघालय बीजेपी के मंत्री ने एक बयान देकर शीर्ष नेतृत्व को संकट में डाल दिया है। मेघालय बीजेपी के नेता ने लोगों से अपील की है कि वे मुर्गा, मछली से ज्यादा गाय के मांस का सेवन करें।

मेघालय सरकार में पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग के मंत्री संबोर शुलाई ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, 'लोकतांत्रिक देश में हर व्यक्ति को अपने हिसाब से खाने की आजादी है। जिसका जो मन चाहे वह खा सकता है। मैं तो लोगों को चिकन, मटन और मछली से अधिक बीफ खाने को प्रोत्साहित करता हूं। बीफ खाने के लिए प्रोत्साहित करने से यह धारणा दूर हो जाएगी कि बीजेपी गो हत्या पर प्रतिबंध लगाएगी।'

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इतना ही नहीं उन्होंने प्रदेश के लोगों को आश्वासन दिया है कि वे पड़ोसी राज्य असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा से बात कर ये सुनिश्चित किए हैं कि असम के नए कानून से मेघालय में गोवंश के परिवहन पर असर न पड़े। असम सरकार ने हाल ही में गोवंश की रक्षा के लिए असम गौ संरक्षण विधेयक, 2021 का प्रस्ताव किया है। इस कानून का मकसद गोवंश की तस्करी और मीट एक्सपोर्ट पर रोक लगाना है।

भारत में कम से कम दस ऐसे राज्य हैं जहां गाय, भैंस, बछड़ा, मुर्गा, बकरा, भेड़, बैल और सांड के गोश्त खाने पर कोी पाबंदी नहीं है। मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम, नागालैंड, पश्चिम बंगाल, केरल और लक्षद्वीप ऐसे राज्य हैं जहां बीफ खाने की छूट है। इसके अलावा देश में आठ ऐसे भी राज्य है जहां कुछ शर्तों के साथ बीफ की छूट है। अब असम ने इस पर पाबंदी का प्रस्ताव किया है तो बीफ खानेवाले पूर्वोत्तर के राज्यों में खलबली है। संबोर शुलाई का यह बयान अपनी जनता को इसी संदर्भ में दिलासा दिलाने के लिए माना जा सकता है। .

बीजेपी मंत्री ने असम और मिजोरम सीमा विवाद पर टिप्पणी करते हुए भी कहा है कि जवाब देने का यह उपयुक्त समय है। शुलाई ने कहा, 'हमारे पास अपने लोगों की रक्षा करने की भावना होनी चाहिए। यदि असम के लोग हमारे लोगों को परेशान करते रहे, तो अब सिर्फ बात करने और चाय पीने का समय नहीं है। हमें जवाब देना होगा, हमें मौके पर ही कार्रवाई करनी होगी। हालांकि, उन्होंने इस बात से इनकार किया कि वह हिंसा के समर्थक हैं।