महंगाई की आग में झुलस रही जनता की थाली, प्रोपेगेंडा और झूठ परोस रहे मंत्री: मल्लिकार्जुन खड़गे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने महंगाई के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि झूठ की बिसात बिछाकर जनता से अच्छे दिनों का केवल छल किया गया।

नई दिल्ली। सब्जी और दाल के बढ़ते दामों के बीच केंद्र सरकार एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर है। राहुल गांधी ने बाद अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। खड़गे ने कहा कि जनता की थाली महंगाई की आग में झुलस रही है और मंत्री प्रोपेगेंडा और झूठ परोस रहे है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दैनिक खान पान की वस्तुओं का एक चार्ट शेयर किया है। इसके साथ उनका मौजूदा दाम और एक साल पहले का दाम लिखा हुआ है। इस चार्ट को ट्वीट करते हुए खड़गे ने लिखा, 'बहुत हुई महँगाई की मार” ये नारा दिया गया था… झूठ की बिसात बिछाकर जनता से “अच्छे दिन आने वाले है” का केवल छल किया गया।'
खड़गे ने आगे लिखा, 'परिणाम ये है कि- पिछले 9 सालों से खान-पान की ज़रूरत की चीजों के दामों में कोई कमी नहीं आई है और जनता की कमाई पर भाजपाई लूट हावी है। महँगाई को लेकर मोदी जी के मंत्रीगण नित नए बहाने बनाते हैं और जनता की ख़ाली होती थाली में झूठ और प्रोपेगेंडा परोसते जाते हैं।'
“बहुत हुई महँगाई की मार”
— Mallikarjun Kharge (@kharge) June 30, 2023
ये नारा दिया गया था…
झूठ की बिसात बिछाकर जनता से “अच्छे दिन आने वाले है” का केवल छल किया गया।
परिणाम ये है कि - पिछले 9 सालों से जनता की थाली, केवल महँगाई की आग में झुलस रही है।
खान-पान की ज़रूरत की चीजों के दामों में कोई कमी नहीं आई है और जनता की… pic.twitter.com/UV5j4GaYUE
खड़गे आगे लिखते हैं कि, 'कुछ Eco-System के पहरेदार तो ये भी गिनवाते हैं कि “महँगाई हमारे लिए कैसे अच्छी है”। “मोदी जी ने किया होगा तो कुछ सोच समझकर ही किया होगा”। ऐसे Goebbels प्रेरित व्याख्यान से जनता को बरगलाते है। पर अब जनता जागरूक हो रही है। जनता जान चुकी है कि जानलेवा महँगाई की असली प्रायोजक केवल मोदी सरकार ही है।'
गौरतलब है कि देश के कई हिस्सों में टमाटर की कीमतें 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं, जिससे लोग प्रभावित हो रहे हैं। टमाटर स्थानीय व्यंजनों की मुख्य सामग्री है और मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग इनके बिना भोजन तैयार करने के लिए मजबूर हैं। वहीं, दाल की कीमतें भी शीर्ष पर है। ऐसे में गरीबों की थाली से दाल और सब्जियां गायब होती दिख रही है।