40 दिन के क्वारंटेना से बना क्‍वारैंटाइन

कोरोना महामारी में क्‍वारैंटाइन शब्‍द चलन में आ गया है। इस शब्‍द का अर्थ है अपने घर में रहते हुए अपने आप को दूसरों से अलग कर लेना। हमारी दिनचर्या में आम हो गए इस शब्‍द का इतिहास भी खास है।

Publish: Apr 17, 2020, 12:51 AM IST

क्‍वारैंटाइनउन लोगों पर लगाए गए उस प्रतिबंध को कहा जाता है जिनसे किसी बीमारी के फैलने का खतरा होता है। इस दौरान उन्‍हें किसी से मिलने-जुलने, बाहर निकलने तक की अनुमति नहीं होती है। इस तरह का प्रतिबंध अकसर संक्रामक बीमारियों से ग्रसित मरीजों पर लगाया जाता है। इसको मेडिकल आइसोलेशन या कॉर्डन सेनिटायर भी कहा जाता है। कॉर्डन सेनिटायर का अर्थ लोगों को एक ही सीमा के अंदर रहने की इजाजत होती है। उसके बाहर वो नहीं निकल सकते हैं। यदि ऐसे लोगों को बाहर आम लोगों की तरह ही खुला छोड़ दिया जाए तो ये हजारों लोगों तक उस बीमारी को फैला सकते हैं। दिलचस्‍प बात यह है कि यह प्रतिबंध इंसान के अलावा जानवरों पर भी लागू होता है।

कहां से आया क्वारैंटाइन शब्‍द

क्वारैंटाइन शब्‍द वेनशियन भाषा के शब्‍द क्‍वारंटेना (quarantena) से आया है। क्‍वारंटेना का अर्थ है 40 दिन। 1348-1359 के दौरान प्‍लेग से यूरोप की 30 फीसदी आबादी मौत के मुंह में समा गई थी। इसके बाद 1377 में क्रोएशिया (city-state of Ragus) ने अपने यहां पर आने वाले जहाजों और उन पर मौजूद लोगों को एक द्वीप पर 30 दिनों तक अलग रहने का आदेश जारी किया था। इस दौरान देखा जाता था कि किसी व्‍यक्ति में प्‍लेग के लक्षण तो नहीं हैं। 1448 में इस क्वारैंटाइन के समय को बढ़ाकर 40 दिन का कर दिया गया था। जब तक ये तीस दिनों तक था तो उसको ट्रेनटाइन कहा जाता था, जब ये 40 दिनों का हुआ तो इसको क्वारैंटाइन कहा जाने लगा था। यहां से ही इस शब्‍द की उत्‍पत्ति भी हुई। 40 दिनों के क्वारैंटाइन का असर उस वक्‍त साफ दिखाई दिया था और इससे प्‍लेग पर काफी हद तक काबू पा लिया गया था। उस वक्‍त प्‍लेग के रोगी की लगभग 37 दिनों के अंदर मौत हो जाती थी।

लेविटिकस की किताब में जिक्र

क्वारैंटाइन का जिक्र 7 वीं शताब्‍दी में लिखी गई गए किताब में भी मिलता है। इसको लेविटिकस (Biblical book of Leviticus) ने लिखा था। इसमें बीमार व्‍यक्ति को दूसरों से अलग करने का जिक्र किया गया है। इस किताब में शरीर पर सफेद दाग उभरने पर बीमार व्‍यक्ति को सात दिनों के लिए अलग कर दिया जाता था। सात दिनों के बाद मरीज की जांच की जाती थी यदि इस दौरान उसमें कोई फायदा न होने पर उसको दोबारा 7 दिनों के लिए अलग रखा जाता था।

इस्‍लामिक इतिहास में क्वारैंटाइन

इस्‍लामिक इतिहास में चेचक उभरने पर मरीज को कुछ दिनों के लिए अलग रखने का जिक्र मिलता है। 706-707 में छठें अल वालिद ने सीरिया के दमश्‍क में अस्‍पताल का निर्माण करवाया था। उन्‍होंने आदेश दिया था कि चेचक के मरीजों को अस्‍पताल में दूसरों से अलग रखा जाए। 1431 में इस बीमारी से ग्रसित मरीजों को अलग रखने की शुरुआत उस समय अनिवार्य तौर पर हुई जब ओटोमेंस (Ottomans) ने चेचक के लिए एड्रिन में अस्‍पताल (Ottomans built a leprosy hospital in Edirne) बनवाया था। इस्‍लामिक इतिहास में पहली बार 1838 में क्वारैंटाइन को दस्‍तावेज के तौर पर दर्ज किया गया था। क्वारैंटाइन की वजह से प्‍लेग और फिर यूरोप में 1492 में फैले चेचक, 19 वीं शताब्‍दी की शुरुआत में स्‍पेन में फैले येलो फीवर, 1831 में फैले हैजा को रोकने में काफी मदद मिली थी।