विपक्षी नेताओं को राहुल ने नाश्ते पर बुलाया, समानांतर संसद चलाने पर चर्चा

राहुल गांधी ने कल विपक्षी नेताओं को कल नाश्ते पर बुलाया है, राहुल और विपक्षी नेताओं के बीच यह चर्चा कंस्टीट्यूशन क्लब में होगी

Updated: Aug 02, 2021, 11:37 AM IST

नई दिल्ली। संसद में विपक्ष के ज़ोरदार विरोध के बीच राहुल गांधी ने कल विपक्षी दलों के नेताओं को नाश्ते पर बुलाया है। कल सुबह 9.30 बजे के आसपास राहुल और विपक्षी दलों के नेताओं के बीच मुलाकात होगी। यह बैठक कांस्टीट्यूशन क्लब में होगी। राहुल की इस बैठक में कांग्रेस के सभी सांसद भी मौजूद रहेंगे। 

इस बैठक के उद्देश्य के बारे में प्रारंभिक तौर पर यही जानकारी सामने आई है कि बैठक में समानांतर संसद चलाने के मुद्दे पर चर्चा हो सकती है। संसद में मोदी सरकार की आनाकानी भरे रवैये से तंग आकर अब विपक्ष सदन के बाहर अपनी संसद चलाने पर विचार कर रहा है।  

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संसद के मौजूदा मॉनसून सत्र को अब तक दो हफ्ते बीत चुके हैं, लेकिन मोदी सरकार पेगासस जासूसी कांड, कृषि कानूनों और महंगाई के मसले पर बातचीत करने के लिए राज़ी नहीं हुई है। राहुल गांधी इससे पहले भी विपक्षी नेताओं के साथ दो बार बैठक कर चुके हैं। एक मर्तबा विपक्ष मोदी सरकार को घेरते हुए साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस भी कर चुका है। लेकिन केंद्र सरकार पेगासस को मुद्दा न मानते हुए संसद में बहस से भी इनकार कर रही है।

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अब एक पखवाड़ा गुजर जाने के बाद, मंगलवार को राहुल और विपक्षी नेताओं के बीच होने वाली इस बैठक पर सबकी नज़रें टिकी हुई हैं। मोदी सरकार को घेरने के लिए विपक्ष आगे कौन सी रणनीति तैयार करता है, इस पर सभी की दिलचस्पी है। इस बीच कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार जल्द से जल्द जरूरी बिल पास करा कर संसद के इस सत्र को स्थगित करनेवाली है। टीएमसी ने पहले ही इस मामले को उठाते हुए कहा है कि सरकार प्रति सात मिनट एक बिल पास करा रही है। बिना चर्चा पास हो रहे इन बिलों को डेरेक ओ-ब्रायन ने पापड़ी चाट से तुलना की है।

 इस बीच, पेगासस जासूसी कांड पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच 5 अगस्त से सुनवाई शुरू करने वाली है। पेगासस जासूसी कांड में भारत के कई पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, मोदी सरकार में मंत्रियों और उद्योगपति सहित तमाम नामचीन हस्तियों के नाम सामने आ चुके हैं। दावा है कि इज़राइली स्पाइवेयर के ज़रिए मोदी सरकार ने इन सभी लोगों की जासूसी करवाई है। हालांकि सरकार का कहना है कि इन दावों में कोई सच्चाई नहीं है। खुद आईटी मंत्री जिनका नाम भी जासूसी का शिकार लोगों में शामिल है, उन्होंने भी सरकार का बचाव करते हुए कहा था कि जासूसी के ये आरोप सोची समझी रणनीति के तहत लगाए गए ताकि संसद को चलने से रोका जा सके। जबकि विपक्ष इस मसले पर बारंबार सरकार से चर्चा करने और जेपीसी जांच शुरू करने की मांग कर रहा है।