हिमाचल के 6 हजार अनाथ बच्चों का सहारा बनेगी सुक्खू सरकार, 101 करोड़ रुपए का सुखाश्रय सहायता कोष स्थापित

सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि कांग्रेस के सभी विधायक इस फंड के लिए अपना पहला वेतन देंगे, उन्होंने भाजपा विधायकों से भी इस नेक काम के लिए योगदान देने का अनुरोध किया है।

Updated: Jan 02, 2023, 12:10 PM IST

शिमला। हिमाचल प्रदेश की नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार ने अनाथ बच्चों के लिए 101 करोड़ रुपये का फंड बनाया है। इस फंड का पैसा अनाथ बच्चों की देखभाल पर खर्च किया जाएगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि इस फंड में कांग्रेस के सभी विधायक अपना पहला वेतन देंगे।

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'अनाथ बच्चों के लिए हमने 101 करोड़ रुपये का फंड बनाया है। जो एक जनवरी से ही प्रभावी होगा। इस फंड का पैसा अनाथ बच्चों की शिक्षा और अन्य जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा। इस फंड में कांग्रेस के सभी विधायकों ने अपना पहला वेतन देने का फैसला किया है।' सीएम सुक्खू ने कहा कि मैं इस फंड में भाजपा विधायकों से भी योगदान देने का अनुरोध करता हूं।

नए साल की शुभकामनाएं देते हुए सीएम सुक्खू ने कहा कि, 'हिमाचल में कांग्रेस की सरकार को 21 दिन हो गए हैं। सरकार ने राज्य के हित में कई फैसले लिए हैं। सीएम ने कहा कि हिमाचल में करीब 6 हजार बच्चे अनाथाश्रमों में रह रहे हैं। राज्य सरकार 12वीं तक उन्हें आश्रय देती है। ऐसे में जो बच्चे आगे पढ़ना चाहता है उनके लिए फंड का इस्तेमाल होगा। जिससे उनके मन में किसी भी तरह की कुंठा नहीं हो। फंड के पैसे मेडिकल कॉलेज, इंजीनयरिंग कॉलेज आदि में भी खर्च होगा।'

सीएम सुक्खू के मुताबिक उन्होंने महसूस किया कि बेसहारा बच्चों, निराश्रित महिलाओं एवं वृद्धजनों के लिए अभी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। जिन बच्चों के मां-बाप नहीं, उनके लिए सरकार ही माता-पिता हैं। संस्थागत देखभाल के लिए बाल देखभाल संस्थाओं, नारी सेवा सदन, शक्ति सदन और वृद्ध आश्रमों में रह रहे आवासियों को मुख्य त्योहार मनाने के लिए 500 रुपये का उत्सव अनुदान प्रदान करने की अधिसूचना पहले ही जारी की जा चुकी है।

सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार अनाथालयों में रहने वाले या रिश्तेदारों के साथ रहने वाले बच्चों या जिन्हें गोद लिया गया है और अकेली महिलाओं के बच्चों की शिक्षा एवं दैनिक जरूरतों के लिए धन उपलब्ध कराएगी। उन्होंने कहा कि उन्हें प्रति माह 4,000 रुपये का जेब खर्च प्रदान किया जाएगा ताकि वे अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें और अन्य बच्चों की तरह जीवन जी सकें। इस योजना के तहत आय प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होगी और केवल एक आवेदन ही काफी होगा। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग द्वारा सहायता सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में दी जाएगी।