केंद्र सरकार ने दी थी बिल्किस बानो के रेपिस्टों को रिहाई की मंजूरी: सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार का जवाब

बिल्किस बानो केस में गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपने फैसले का बचाव किया है। सरकार ने कहा कि दोषियों का व्यवहार अच्छा पाया गया था इसलिए उन्हें समय पूर्व रिहाई दी गई थी। इसके लिए केंद्र से भी इजाजत ली गई थी।

Updated: Oct 18, 2022, 03:46 AM IST

नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस के दिन गुजरात सरकार ने मुस्लिम महिला बिल्किस बानो के साथ दरिंदगी और गैंग रेप करने वालों को रिहा कर दिया था। गैंग रेप केस में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषियों की रिहाई के मामले में गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। राज्य सरकार ने कहा है कि रेपिस्टों को रिहा करने के लिए केंद्र सरकार ने मंजूरी दी थी।

गुजरात सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि राज्य ने अपनी क्षमा नीति के तहत ही समयपूर्व उनकी रिहाई की मंजूरी दी थी। राज्य सरकार ने 11 कैदियों को रिहा करने का फैसला किया, क्योंकि दोषियो ने जेल में 14 साल और उससे अधिक की सजा पूरी कर ली थी और उनका व्यवहार अच्छा पाया गया था। ये रिहाई नियम के मुताबिक हुई। याचिकाकर्ता का ये कहना गलत है कि इन लोगों को आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर सजा मे छूट दी गई।

राज्य सरकार की ओर से दायर हलफनामा में कहा गया कि तीसरी पार्टी इस मामले में केस दायर नहीं कर सकती है। इस केस से सुभाषिणी अली का कोई लेना देना नहीं है। उनकी याचिका राजनीति से प्रेरित है। वह एक साजिश है। क्षमादान को चुनौती देना जनहित याचिका के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। ये अधिकारों का दुरूपयोग है। हालांकि, मांगलवार को इस मामले में फिर से सुनवाई होगी।

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बता दें कि मार्च 2002 में दंगाइयों ने बिल्किस बानो के परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी थी। और फिर उनके साथ गैंगरेप किया था। वह भी उस हालत में जब बानो 5 महीने की गर्भवती थी। लंबी लड़ाई के बाद बिल्किस बानो को इंसाफ मिला और 11 दोषियों को उम्र कैद की सजा मिली। लेकिन स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने माफी दे दी। रेपिस्ट जब बाहर आए तो मिठाइयां बांटी गई और फूल मालाओं से स्वागत किया गया।