यूपी पंचायत चुनाव: हिंदू मतदाताओं का बीजेपी से मोहभंग, अयोध्या, काशी, मथुरा में बीजेपी का पत्ता साफ

उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले धार्मिक नगरों में बीजेपी को बड़ा झटका, राम की नगरी अयोध्या में भी हारी बीजेपी, सीएम योगी अपने गढ़ गोरखपुर को भी नहीं बचा पाए

Updated: May 05, 2021, 02:05 PM IST

अयोध्या। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव से एक साल पहले हिंदू मतदाताओं का बीजेपी से मोहभंग होता दिख रहा है। राज्य में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजों में प्रदेश के धार्मिक तौर पर संपन्न माने जाने वाले नगरों में भी बीजेपी फिसड्डी साबित हुई है। राम की नगरी अयोध्या से लेकर कृष्ण की नगरी मथुरा और शिव की नगरी काशी में बीजेपी का पत्ता साफ हो गया है। इतना ही नहीं सीएम योगी आदित्यनाथ के गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर में भी बीजेपी को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक राम की नगरी अयोध्या में जिला पंचायत के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने प्रचंड जीत दर्ज की है। अयोध्या की 40 में से 24 सीटें सपा के खाते में गई है। मायावती की पार्टी बीएसपी को भी 5 सीटों पर सफलता प्राप्त हुई है। लेकिन राज्य में बहुमत की सरकार चला रही बीजेपी को महज 6 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है। यह स्थिति तब है जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू हो गया और बीजेपी ने उसका क्रेडिट लेने में कोई कसर नहीं छोड़ा।

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भगवान शिव की नगरी काशी जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है वहां भी बीजेपी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। वाराणसी के 40 सीटों में बीजेपी को महज 8 सीटें मिली है। वाराणसी में भी समाजवादी पार्टी ने बाजी मार ली। यहां सपा के कुल 14 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। बसपा को भी यहां 5 सीटें मिली है। भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में मायावती की पार्टी बीएसपी का बोलबाला रहा है। मथुरा में बसपा को सबसे ज्यादा 13 सीटों पर जीत मिली है। यहां अजित सिंह की पार्टी आरएलडी के खाते में भी 9 सीट गई है। जबकि बीजेपी महज 8 सीट ही जीत पाने में कामयाब हो पाई।

इन सब के अलावा चौंकाने वाले नतीजे गोरखपुर में भी आए हैं। राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपना गढ़ गोरखपुर भी बचा पाने में नाकामयाब साबित हुए हैं। गोरखपुर में बीजेपी के खाते में महज 20 सीटें गयीं। जबकि समाजवादी पार्टी भी योगी के गढ़ में सेंधमारी करते हुए 20 सीट जीतने में सफल रही। यहां सर्वाधिक 23 निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपना परचम लहराया। आम आदमी पार्टी भी गोरखपुर में अपना खाता खोलने में सफल रही। साथ ही निषाद पार्टी का भी एक उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल रहा। 

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बता दें की पंचायत चुनाव किसी भी राजनीतिक दल के निशान पर नहीं लड़ा जाता है, हालांकि उम्मीदवारों को पार्टियों का समर्थन होता है और उसी आधार पर यह तय किया जाता है कि कौन सी पार्टी के खाते में कितने सीट गए। उत्तरप्रदेश के लिए पंचायत चुनाव बेहद अहम इसलिए है क्योंकि यह विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले हुआ है। ऐसे में सियासी पंडित यह मानकर चलते हैं कि विधानसभा चुनाव के नतीजे भी लगभग इसी प्रकार के होंगे जो पंचायत चुनाव के नतीजे सामने आए हैं।