श्रीलंका और पाक से भी पीछे भारत

प्रति दस लाख आबादी पर टेस्टिंग के मामले में भारत 213 में केवल 33 देशों से ही आगे.

Publish: Apr 27, 2020, 12:36 AM IST

कोरोना वायरस से लड़ने का सबसे प्रभावी तरीका अधिक से अधिक टेस्टिंग करना है. विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत दूसरी संस्थाएं कई बार इस बात को दोहरा चुकी हैं. इन संस्थाओं का कहना है कि टेस्टिंग दर अधिक होने से ज्यादा से ज्यादा पॉजिटिव लोगों की पहचान की जा सकती है और संक्रमण पर नियंत्रण पाया जा सकता है. यह इसलिए और जरूरी है क्योंकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में कोरोना पॉजिटिव पाए गए लगभग 80 प्रतिशत लोगों में बीमारी के या तो बहुत कम लक्षण थे, या बिल्कुल भी नहीं थे. वहीं 69 प्रतिशत पॉजिटिव लोगों में बीमारी के कोई लक्षण नहीं पाए गए.

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अगर कोरोना वायरस टेस्टिंग की बात करें तो भारत इस मामले में काफी पीछे है. यहां तक पाकिस्तान और श्रीलंका भी अधिक तेजी से टेस्टिंग कर रहे हैं. प्रति दस लाख जनसंख्या पर अगर टेस्टिंग की बात करें तो भारत में यह आंकड़ा फिलहाल 420 है, वहीं श्रीलंका में यह 614 और पाकिस्तान में 625 है. 

पश्चिमी देशों के मुकाबले तो हम बहुत पीछे हैं. इटली में प्रति दस लाख आबादी पर 27,164 टेस्ट हो रहे हैं. स्पेन में यह आंकड़ा 19,096 है और जर्मनी में 24,738. वहीं कोरोना वायरस से सबसे बुरी तरह प्रभावित अमेरिका में प्रति दस लाख आबादी पर 15,219 टेस्ट हो रहे हैं. वैश्विक रूप से कोरोना वायरस से लड़ रहे 213 देशों में प्रति दस लाख आबादी पर टेस्टिंग के मामले में भारत केवल 33 देशों से ही आगे है, जबकि 38 देशों के आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं. 

केंद्र सरकार का लक्ष्य मई के आखिर तक हर दिन एक लाख टेस्ट करना है. हालांकि, जिस गति से अभी टेस्ट  किए जा रहे हैं, ऐसे में इसकी कल्पना करना भी बहुत मुश्किल है. मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में टेस्टिंग किट की कमी की बात भी सामने आ रही है. वहीं कई राज्यों में रेपिड टेस्ट किट पर भी सवाल खड़े हुए हैं. ICMR ने भी रेपिड टेस्ट किट की जगह पीसीआर कॉम्बो  टेस्ट को तरजीह दी है. देश में टेस्टिंग लैब की भी कमी है. 

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हालांकि, इस बीच ICMR ने 1.07 करोड़ आरटी-पीसीआर किट का टेंडर निकाला है. इसमें 52.25 लाख वीटीएम  किट, 25 लाख रीयल टाइल पीसीआर कॉम्बो किट और 30 लाख आरएनए एक्सट्रेक्सन किट शामिल हैं. बताया जा रहा है कि मई की शुरुआत से ये किट मिलना चालू होंगी. 

आरटी-पीसीआर टेस्ट किट से परिणाम आने में पांच घंटे से अधिक का समय लगता है. लेकिन देश में लैब की कमी की वजह से कई बार एक जगह के नमूनों को सैंकड़ों किलोमीटर दूर स्थित लैब में भेजना पड़ता है. ऐसे में पांच घंटे में आने वाला परिणाम कई बार कई दिनों के बाद आता है. 

लैब की कमी को लेकर ICMR के रिसर्च मैनेजमेंट, पॉलिसी प्लानिंग एंड बॉयोमेडिकल कम्युनिकेशन विभाग के प्रमुख डॉ. रजनीकांत श्रीवास्तव कहते हैं कि फिलहाल 352 से अधिक लैब में जांच हो रही है. वहीं सरकार इसकी भी तैयारी कर रही है कि जरूरत पड़ने पर सभी लैब दो शिफ्टों में काम करेंगी.