दफ्तर दरबारी: क्‍या चुनेंगे शिवराज सिंह चौहान, सुलेमान का जलवा या जैन का अनुराग

साफ है कि अपनी पसंद का अफसर रखने के लिए मुख्‍यमंत्री चौहान ने किसी भी हद तक जाने से परहेज नहीं किया है। अब देखना होगा कि अगला मुख्‍य सचिव चुनने के लिए वे सुलेमान प्रेम जारी रखते हैं या अनुराग जैन के प्रति अनुराग दिखलाते हैं। चर्चा मुख्‍य सचिव के कार्यकाल को छह माह बढ़वाने को लेकर भी है।

Updated: Apr 09, 2022, 02:21 AM IST

जब दो अपने प्रिय व्‍यक्तियों में से एक को चुनने का मौका हो तो दुविधा भारी होती है। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह ऐसी ही दुविधा से एक बार फिर दो चार होने वाले हैं। इस बार भी उन्‍हें अपने प्रिय अफसरों में से एक को मुख्‍य सचिव चुनना है। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस इसी साल नवंबर में रिटायर्ड होने जा रहे हैं। ऐसे में अगले मुख्य सचिव को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।

वरिष्‍ठ आईएएस अनुराग जैन और मोहम्‍मद सुलेमान के नामों की सबसे ज्‍यादा चर्चा है। दोनों अधिकारी मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह के पसंदीदा अफसरों में शुमार हैं। अनुराग जैन केंद्रीय उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) में सचिव हैं। भोपाल कलेक्‍टर और फिर मुख्यमंत्री के सचिव रहते हुए उनके कामों को याद किया जाता है। शिवराज सरकार की कई फ्लेगशिप योजनाओं में उनकी भूमिका रही है। मोहम्‍मद सुलेमान अभी एसीएस हेल्‍थ हैं। इतने वर्षों के कार्यकाल में शिवराज सिंह ने तमाम विरोध के बाद भी मोहम्‍मद सुलेमान से कभी दूरी नहीं बढ़ाई है। पहले उद्योग विकास और फिर कोरोना नियंत्रण की जिम्‍मेदारी शिवराज ने उन्‍हें ही दी। उनके खाते में कई नवाचार दर्ज हैं।

प्रशासनिक जगत में भले ही इन दो नामों पर निगाहें टिकी हैं मगर सभी जानते हैं कि मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी टीम चुनने के मामले में सभी को चौंकाते ही रहे हैं। 2005 में पहली बार मुख्‍यमंत्री बनने पर उन्‍होंने बाबूलाल गौर के मुख्‍यमंत्री कार्यकाल में मुख्‍य सचिव रहे विजय सिंह पर ही भरोसा जताया मगर फिर आरसी साहनी, अवनि वैश्‍य, आर परशुराम, अंटोनी डिसा, बीपी सिंह तक आते आते शिवराज ने प्रशासनिक पकड़ को गहरा ही किया है।

2013 में विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे शिवराज ने अपने पसंदीदा अफसर को कायम रखने के लिए तत्‍कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी आग्रह करने में गुरेज नहीं किया था। मुख्‍यमंत्री के आग्रह के बाद कांग्रेस सरकार ने तब मुख्‍य सचिव आर परशुराम का कार्यकाल छह माह बढ़ा दिया था।

2020 में शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता संभालते ही मुख्‍य सचिव एम. गोपाल रेड्डी को हटा कर 1985 बैच के आईएएस अफसर इकबाल सिंह बैंस को मुख्य सचिव बना दिया था। इसके लिए छह अफसरों की वरिष्ठता को नजर अंदाज किया गया था।

इकबाल सिंह बैंस मुख्यमंत्री के बेहद भरोसेमंद अफसर माने जाते हैं। मुख्‍यमंत्री चौहान ने उन्हें अपना प्रमुख सचिव बनाने के लिए केंद्र सरकार से गुहार लगाई थी। तत्‍कालीन केंद्रीय मंत्री सुषमा स्‍वराज के हस्‍तक्षेप के बाद बैंस की प्रतिनियुक्ति समय से पहले खत्‍म कर उन्‍हें मध्‍य प्रदेश भेजा गया था। तब मुख्‍यमंत्री के प्रमुख सचिव के रूप में आईएएस मनोज श्रीवास्‍तव की विदाई उतनी ही चौंकाने वाली थी जितनी इकबाल सिंह बैंस की मध्‍य प्रदेश वापसी।

इस कार्यकाल में भी मुख्‍यमंत्री ने उन मनीष रस्‍तोगी को अपना प्रमुख सचिव बनाया है जिन्‍होंने 2013 से 2018 की सरकार में ई टेंडर घोटाला उजागर किया था। तब सरकार आरोपों से घिरी थी। रस्‍तोगी कुछ समय के लिए साइड लाइन कर दिए गए थे। लेकिन बाद में मुख्‍यमंत्री चौहान उन्‍हें लूप लाइन से हटा कर सीधे अपने सचिवालय में ले आए।

साफ है कि अपनी पसंद का अफसर रखने के लिए मुख्‍यमंत्री चौहान ने किसी भी हद तक जाने से परहेज नहीं किया है। अब देखना होगा कि अगला मुख्‍य सचिव चुनने के लिए वे सुलेमान प्रेम जारी रखते हैं या अनुराग जैन के प्रति अनुराग दिखलाते हैं। चर्चा मुख्‍य सचिव के कार्यकाल को छह माह बढ़वाने को लेकर भी है। लेकिन क्‍या इस बार केंद्र मुख्‍यमंत्री की सुनेगा और क्‍या वाकई शिवराज सिंह चौहान छह माह का एक्‍सटेंशन दिलवाने में रूचि रखते हैं, अभी कयास लगाए जा रहे हैं।

अब मुख्‍यमंत्री के सपने को पूरा करने का जिम्‍मा किस पर?

पचमढ़ी चिंतन बैठक में आम जनता को लुभाने वाली योजनाओं का अमृत निकला है। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाड़ली लक्ष्‍मी योजना, कन्‍यादान योजना, तीर्थदर्शन योजना को नए रूप-रंग के साथ संचालित करने की घोषणा कर दी है। आदिवासियों और पिछड़े मतदाताओं को लुभाने की योजनाओं पर भी काम शुरू हो चुका है। लेकिन उद्योग क्षेत्र छूट रहा है।

अब उद्योग क्षेत्र को गुलजार करने की बारी है। प्रदेश में निवेश आएगा तो रोजगार भी बढ़ेंगे और आय में भी इजाफा होगा। तय हो चुका है कि नवबंर में इंवेस्टर्स समिट 2022 आयोजित होगी। समिट के पहले नई दिल्ली और मुम्बई के रोड शो होगा जिसमें सीएम शिवराज सिंह शामिल होंगे।  मुख्यमंत्री चौहान अंतर्राष्ट्रीय रोड शो के लिए मई में दावोस और जर्मनी की यात्रा पर जा सकते हैं।

सबकुछ तय होते ही लो प्रोफाइल रह कर काम करने वाले आईएएस संजय कुमार शुक्‍ला से मुख्‍यमंत्री चौहान की उम्‍मीदें बढ़ गई हैं। शुक्‍ला अभी औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के प्रमुख सचिव हैं। उन पर जिम्‍मेदारी आ गई है कि वे पूर्व में इंवेस्‍टर्स समिट करवाने वाले अफसरों की तरह ही एक सफल आयोजन के सूत्रधार बनें।

कोरोना के कारण दो साल स्‍थगित रही और अब चुनाव के पहले होने वाली इस इंवेस्‍टर्स समिट से मुख्‍यमंत्री को जितनी आशाएं हैं उतनी ही उम्‍मीद उद्योग जगत को भी सरकार से है। प्रमुख सचिव शुक्‍ला की टीम ऐसी उद्योग नीति तैयार करने में जुट गई है जो मेजबान सीएम और मेहमान उद्योगपतियों दोनों को रास आए। देखना होगा कि प्रमुख सचिव संजय कुमार शुक्‍ला सीएम के भरोसे पर कितना खरा उतरते हैं और अपने पूर्ववर्ती अफसरों से लंबी रेखा खींच पाते हैं या नहीं।  

बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे

बिल्‍ली के गले में घंटी कौन बांधे मुहावरे का प्रयोग असंभव कार्य को पूरा करने का टारगेट मिलने पर करते हैं। यह मुहावरा इन दिनों नर्मदापुरम संभाग के आयुक्‍त पर‍ फिट बैठ रहा है। उन्‍हें भोपाल में बैठे आला अफसरों ने ऐसा ही टास्‍क दे दिया है। यह टास्‍क है पूर्व विधानसभा अध्‍यक्ष और बीजेपी के वरिष्‍ठ विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा को मनाने का।

आईएएस बिरादरी की चिंता अपने एक साथी को डॉ. सीतासरन शर्मा की नाराजगी से बचाने को लेकर है। पूरा मामला करीब तीन साल पुराना है। इटारसी के तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी प्रशिक्षु आईएएस हरेंद्र नारायण ने विधायक डॉ. शर्मा पर विधायक निधि एक धार्मिक ट्रस्ट को देने जैसे पद के दुरुपयोग आरोप लगाए थे। आरोप से बिफरे डॉ. शर्मा ने विधानसभा सभा में प्रश्न उठाया,  मुख्य सचिव और सामान्‍य प्रशासन विभाग को लिखित शिकायत की। विधायक डॉ. शर्मा का आरोप है कि जानबूझ कर अधिकारियों ने अभी तक जांच पूरी नहीं की है ताकि आईएएस अफसर को बचाया जा सके। कार्रवाई नहीं होने से खफा विधायक डॉ. शर्मा ने बीते दिनों इटारसी न्यायालय में परिवाद दायर किया है।

इस बीच विधायक डॉ. शर्मा ने आईएएस हरेंद्र नारायण के एक अन्‍य बयान की शिकायत विधानसभा में की थी। इस पर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने आईएएस हरेंद्र नारायण के खिलाफ विशेषाधिकार भंग की सूचना विशेषाधिकार समिति को सौंप दी है।

खबर है कि विशेषाधिकार समिति इस मामले में सख्‍त फैसला ले सकती है। दूसरी तरफ डॉ. शर्मा कोर्ट में भी चले गए हैं। अब तक जांच न करे रहे आला अधिकारी अब आईएएस साथी पर कार्रवाई से फिक्र में पड़ गए हैं। आईएएस अफसरों ने नर्मदापुरम संभागायुक्‍त से कहा है कि वे ही डॉ. शर्मा को राजी करें और इस मामले का हल निकालें।

आयुक्‍त की मुसीबत यह कि मामला इतना आगे बढ़ गया है कि विधायक डॉ. शर्मा कदम पीछे लेने के मूड में नहीं हैं। दूसरी तरफ, आला अधिकारी आईएएस को बचाने का टास्‍क दे चुके हैं। एक तरफ कुंआ, एक तरफ खाई जैसी स्थिति में फंस गए हैं आयुक्‍त महोदय।