दफ्तर दरबारी: कद्दावर मंत्रियों के कारण बच गए डैम के दोषी अफसर

कारम डैम फुटने के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 8 इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया। मगर सवाल उठ रहा है कि क्‍या कद्दावर मंत्रियों पर आंच आने के डर से असली दोषी अफसर बच गए हैं?

Updated: Aug 27, 2022, 08:22 AM IST

कारम डैम लीकेज धार
कारम डैम लीकेज धार

कारम डैम फुटने के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जल संसाधन विभाग के 8 इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया। इससे पहले बांध बनाने वाली दोनों कंपनियों को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था। मगर सवाल उठ रहा है कि क्‍या सारथी कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक के उच्च संपर्कों के कारण कंपनी को केवल ब्‍लैक लिस्‍टेड कर खानापूर्ति की गई है?  जबकि पहले ब्‍लैक लिस्‍टेड हुई कंपनी किसी तरह काम पा गई थी। 

डैम निर्माता कंपनी पर तो खानापूर्ति की गई लेकिन कारम डैम सहित ई टेंडर घोटाले में अफसरों के नाम आने के बाद भी उन पर कार्रवाई नहीं हुई। क्‍या शिवराज सिंह चौहान सरकार के कद्दावर मंत्रियों पर सवाल उठने के कारण दोषी अफसर भी कार्रवाई से बच गए हैं। 

कारम डैम लीकेज की दोषी बड़ी मछलियों तक पहुंचने के लिए ई टेंडर घोटाले को समझना होगा। मुख्‍यमंत्री के वर्तमान प्रमुख सचिव मनीष रस्‍तोगी को तीन साल पहले ई टेंडर घोटाला उजागर करने का श्रेय दिया जाता है। करीब 3 हजार करोड़ के ई टेंडर घोटाले में साक्ष्यों एवं तकनीकी जांच में पाया गया कि ई प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ कर मप्र जल निगम मर्यादित के 3 टेंडर, लोक निर्माण विभाग के 2, जल संसाधन विभाग के 2, मप्र सड़क विकास निगम और लोक निर्माण विभाग की पीआईयू के एक टेंडर में छेड़छाड़ की गई। ईओडब्‍ल्‍यू ने कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम को एनालिसिस रिपोर्ट के लिए 13 हार्ड डिस्क भेजी थीं.इसमें से टेंपरिंग की पुष्टि हुई थी। कमलनाथ सरकार में इस मामले पर पहली एफआईआर हुई थी। जल संसाधन विभाग की बड़ी परियोजनाओं के 107 टेंडरों में गड़बड़ी होना पाया गया था। 

इस मामले में दो वर्ष पहले ईडी ने हैदराबाद की मेंटाना कंपनी के मालिक राजू मेंटाना और भोपाल की फर्म अर्नी इंफ्रा के आदित्य त्रिपाठी को गिरफ्तार किया था। ईडी ने प्रेसनोट जारी कर कहा था कि मेंटाना कंपनी ने ई टेंडर घोटाला कर 1000 करोड़ के ठेके लिए। मेंटाना कंपनी ने अर्थवर्क के नाम पर अर्नी इंफ्रा को 93 करोड़ दिए। अर्नी इन्फ्रा के आदित्य त्रिपाठी पर आरोप लगा कि वे एमपी के वरिष्ठ अधिकारियों को रिश्वत देते थे। ई टेंडर घोटाले की जांच कर रहे आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने इस पर आजतक कोई कार्रवाई नहीं की है। 

कारम डैम निर्माण में का काम भी उसी कंपनी जिस पर भ्रष्‍टाचार के आरोप लगे हैं। सवाल यह है कि जब कंपनी ब्‍लैक लिस्‍ट की जा चुकी थी तो उसे नियम शिथिल पर ठेका क्‍यों दिया गया। उससे बड़ा सवाल अब हुई कार्रवाई के औचित्‍य पर है। आठ इंजीनियरों पर कार्रवाई हुई है। मगर ग्रामीण व सामाजिक कार्यकर्ता बांध निर्माण में भ्रष्‍टाचार व लापरवाही की शिकायत काफी पहले कलेक्‍टर से लेकर सीएम सचिवालय तक हर स्‍तर पर कर चुके थे। फिर भी क्‍यों सुनवाई नहीं हुई? क्‍या जिन इंजीनियरों को सस्‍पेंड किया जा रहा है, वे यह भ्रष्‍टाचार रोकने में समर्थ थे? और अगर बड़े अधिकारी भी दोषी हैं तो उन पर कार्रवाई क्‍यों नहीं हो रही है? 

डैम निर्माता कंपनी के कर्ताधर्ता बीजेपी सरकार के प्रभावी और कद्दावर मंत्रियों से संपर्क हैं। कंपनी और अगर बड़े अफसरों पर कार्रवाई होगी तो उसकी आंच मंत्रियों तक पहुंच सकती हैं। इसलिए, ईओडब्‍ल्‍यू भी जांच की गति नहीं बढ़ा रहा है और रूतबे वाले मंत्रियों की आड़ में भ्रष्‍टाचार के दोषी अफसरों की पौ बारह हो रही है। 

अफसर ले गए रेवड़ी, कर्मचारी मायूस 

पिछले‍ दिनों एक खबर चर्चा में थी कि शिवराज सरकार द्वारा करवाए सर्वे में खुलासा हुआ है कि राज्‍य के कर्मचारी सरकार से नाराज है। पदोन्‍नति में आरक्षण का मसला हो गया, समयमान वेतनमान करीब डेढ़ दर्जन मसलों पर कर्मचारी संगठनों ने कई आंदोलन किए मगर सरकार आश्‍वासन से आगे नहीं बड़ी। 2018 में भी आरक्षण हटाने के संदर्भ में मुख्‍यमंत्री का बयान ‘कोई माई का लाल आरक्षण खत्‍म नहीं कर सकता है, चर्चा में रहा था। 

बीजेपी के सत्‍ता में वापसी न होने के पीछे के जिन कारणों का उल्‍लेख होता है, उनमें से एक कर्मचारियों की नाराजगी भी है। यही कारण है कि जब पता चला कि कर्मचारी इसबार भी बीजेपी सरकार से नाराज है तो उन्‍हें मनाने के जतन हुए। उनकी मांगों पर ध्‍यान देते हुए योजनाओं का खाका खींचा गया, घोषणाएं की गई। 

मगर सरकार के सारे जतन पर एक फैसला पानी फेरता नजर आ रहा है। आईएएस अफसरों को लाभ देने के फेर में कर्मचारी रूष्ट हो गए हैं। प्रदेश के इतिहास मे पहली बार मंहगाई भत्ते को देने में आईएएस और कर्मचारियों में अंतर कर दिया गया है। आईएएस अधिकारियों को जनवरी 2022 से 34 फीसदी महंगाई भत्ता दिया गया है जबकि अन्य कर्मचारियों को अगस्त 2022 से 34 फीसदी भत्ता दिया गया है। अधिकारियों को ढाई लाख तक का एरियर मिलेगा जबकि कर्मचारियों को देरी से भत्‍ता दे कर सरकार ने करीब 750 करोड़ रुपए की बचत कर ली है। 

अफसरों को मिली इस रेवड़ी से कर्मचारी नाराज हो गए हैं। कर्मचारी संगठनों ने कहा है कि जब अधिकारी एवं कर्मचारियों के लिए महंगाई समान है तो महंगाई भत्ते में भेदभाव क्यों किया गया? 2023 में चुनाव होने हैं। बीजेपी सरकार ने कर्मचारियों को लुभाने के लिए योजना बना रही है। खाली पदों पर भर्ती करने, पदोन्‍नति में आरक्षण पर लगी कानूनी रोक को शिथिल करने की तैयारी की है मगर महंगाई भत्‍ता देने में सात माह की देरी का आर्थिक घाटा कर्मचारियों को रास नहीं आ रहा है। देखना होगा कि अफसरों को मलाई और कर्मचारियों से रूखाई के दुष्‍परिणाम से शिवराज सरकार कैसे निपटती है

पार्टी की वंदना, विपक्ष को सम्मान भी नहीं

सरकार और सत्ता तो ठीक प्रदेश के अफसर अब एक पार्टी के प्रति निष्‍ठा जताने में गुरेज नहीं कर रहे हैं। ऐसे अफसरों के लिए सर्विस रूल और संवैधानिक दायित्‍वों का भी कोई अर्थ नहीं है। ऐसे ही अवेहलना से हाल में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह गुजरे हैं। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह धार कलेक्टर पंकज जैन और पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह से नाराज हैं। 

दरअसल, डॉ. गोविंद सिंह कारम डैम लीक होने पर धार पहुंचे थे। डैम स्‍थल पर दोनों अफसर कुर्सी पर बैठे रहे। प्रोटोकॉल के तहत इन अफसरों को नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह के पास आना चाहिए था और उन्हें हालात की जानकारी देना चाहिए थी। डॉ. गोविन्द सिंह का आरोप है कि नेता प्रतिपक्ष को देखकर भी दोनों अधिकारी कुर्सी से खड़े नहीं हुए। सिंह का कहना है कि बीजेपी की शह पर अफसरों का यह व्यवहार बहुत ही आपत्तिजनक है। 

नेता प्रतिपक्ष के पद की महत्‍ता को देख कर ही कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाता है। कलेक्टर-एसपी इतने गुमान में आ गए हैं कि वे सार्वजनिक स्‍थल पर भी नेता प्रतिपक्ष को नजरअंदाज कर रहे हैं। 

इसके पहले भी विपक्ष ही नहीं सत्‍ता पक्ष के भी कई विधायक आरोप लगा चुके हैं कि मैदान और मंत्रालय में अफसर प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते हैं। जन प्रतिनिधियों के फोन नहीं उठाते हैं, मुलाकात के लिए समय नहीं देते हैं या इंतजार करवाते हैं। सामान्‍य प्रशासन विभाग प्रोटोकॉल पालन के लिए निर्देश जारी कर इतिश्री कर लेता है। अफसरों की एक दल के प्रति बढ़ती निष्‍ठा और विपक्ष के नेता की अवहेलना लोकतंत्र के हित में नहीं है। 

पीएम मोदी से अपनी पसंद का अफसर मांग पाएंगे शिवराज 

मुख्‍य सचिव इकबाल सिंह बैंस का कार्यकाल नवंबर 2022 में समाप्‍त हो रहा है खबर है कि उनकी छह माह की सेवावृद्धि का प्रस्‍ताव कार्मिक मंत्रालय को भेजा जा चुका है। प्रतीक्षा की जा रही है कि क्‍या अपने पसंद के अफसर को बनाए रखने के लिए मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्‍ली जा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह करेंगे? पीएम मोदी से इसलिए क्‍योंकि कार्मिक मंत्रालय उन्‍हीं के अधीन है। 

इकबाल सिंह बैंस वही अफसर हैं जिन्‍हें दिल्‍ली भोपाल लाने के लिए आठ साल पहले मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूरी ताकत लगा दी थी। तब सुषमा स्‍वराज केंद्र में मंत्री थीं और विदिशा से सांसद। शिवराज ने उनसे आग्रह किया और मुख्‍यमंत्री की बात रखते हुए आईएएस बैंस की प्रतिनियुक्ति समय के पहले ही खत्‍म कर दी गई थी। भोपाल ला कर बैंस को मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपना प्रमुख सचिव नियुक्‍त किया था। 

अब वही अफसर बैंस मुख्‍य सचिव हैं। मिशन 2023 के लिए शिवराज उन्‍हें अपनी टीम का मुखिया बनाए रखना चाहते हैं लेकिन इस बार उन्‍हें पीएम मोदी से आग्रह करना होगा। बैंस की सेवावृद्धि की फाइल पीएमओ में हैं। भोपाल के प्रशासनिक जगत में चर्चा है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान सीएस इकबाल सिंह बैंस की सेवावृद्धि के लिए पीएम मोदी से आग्रह करेंगे या पीएमओ से स्‍वत: कार्रवाई होने की प्रतीक्षा करेंगे? और गर सेवावृद्धि नहीं हुई तो बैंस के विकल्‍प पर विचार करेंगे।