दफ्तर दरबारी: दो सबसे बड़े अफसरों की ताजपोशी में भ्रष्टाचार का फंदा
MP News: एमपी के भावी सीएस और डीजीपी के नामों पर चर्चा शुरू हो गई है। इस दौड़ में भ्रष्टाचार स्पीड ब्रेकर बना हुआ है। भ्रष्टाचार के कारण तो किसी का भी पद जाता है लेकिन प्रदेश में एक अफसर ऐसा भी है जिसे ईमानदारी की सजा मिल रही है।

भ्रष्टाचार कितना बड़ा राजनीतिक मुद्दा है यह अलग बहस का विषय हो सकता है लेकिन प्रदेश के दो सबसे बड़े प्रशासनिक पदों मुख्य सचिव (सीएस) और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पर नियुक्ति में भ्रष्टाचार बड़ा अडंगा बना हुआ है। वर्तमान सीएस की राह रोकने में भ्रष्टाचार को टूल बनाया जा रहा है तो डीजपी पद के दावेदार सीनियर आईपीएस की राह ईमानदारी रोक रही है।
वर्तमान सीएस वीरा राणा मार्च 2024 के अंत में रिटायर हो रही है। उनके रिटायर होने के पहले ही लोकसभा चुनाव आचार संहिता लग जाएगी। विधानसभा चुनाव की तरह ही लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के दौरान नए सीएस की बारी आएगी तो तीन वरिष्ठ अधिकारियों क पैनल में से एक का चयन चुनाव आयोग करेगा। इसलिए सरकार तैयारी में है कि वर्तमान सीएस वीरा राणा को छह का एक्सटेंशन दे दिया जाए। यह कवायद अंतिम चरण में है।
एक्सटेंशन की इन कोशिशों के बीच दावेदार अन्य अफसर तथा उनके समर्थक मुख्यसचिव वीरा राणा की राह में कांटें बोने में जुट गए हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव के फैसलों को नजीर मानते हुए मुख्य सचिव वीरा राणा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को दोहराया जा रहा है। इन आरोपों पर लोकायुक्त में शिकायत हुई है। यदि एफआईआर होती है तो माध्यमिक शिक्षा मंडल और ग्राम उद्योग के रेशम विभाग में करोड़ों के हेरफेर भी जांच के दायरे में होगी।
सीएस पद के दावेदार अफसरों के समर्थक इस मामले को हवा दे रहे हैं। वे चाहते हैं कि लोकायुक्त में मामला दर्ज हो जाए तो वर्तमान सीएस के खिलाफ शिकायत दर्ज होने का इकलौता मामला होगा। दांव यही है कि यदि ऐसा होता है तो सरकार दागी अफसर को मुख्य सचिव तो कम से कम नहीं रखेगी। इसतरह, दूसरे अधिकारी की पदस्थापना की राह खुल जाएगी।
सीएस वीरा राणा की राह भ्रष्टाचार रोक रहा है तो आईपीएस कैलाश मकवाना अपनी ईमानदारी के कारण सजा भोग रहे हैं। 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी कैलाश मकवाना को उनकी ईमानदार छवि के चलते ही मुख्यमंत्री ने लोकायुक्त का डीजी बनाया था। 2 जून 2022 को पदभार संभालने के साथ ही मकवाना ने उज्जैन में महाकाल कॉरिडोर निर्माण में गड़बड़ी, आयुष्मान योजना में निजी अस्पतालों में करोड़ों रुपये के भुगतान, पोषण आहार जैसे मामलों की जांच को गति दी तो बड़े-बड़े अधिकारी जांच के घेरे में आते गए। लिहाजा 6 महीने ही मकवाना को हटा दिया गया।
अब एडीजी मकवाना परेशान है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाने के कारण उनकी सीआर बिगाड़ दी गई और इस कारण डीजीपी बनने की उनकी संभावना कम हो गई है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि पूरी नौकरी में उनकी सीआर बेहतर रही लेकिन मात्र छह माह लोकायुक्त में एडीजी पदस्थ रहने के कारण उनकी सीआर कुल 10 में से 6 अंक से कम कर दी गई है। एडीजी ने सरकार से अपील की है कि उनकी सीआर की समीक्षा की जाए। सीआर सुधरेगी तो उनका डीजीपी बनना आसान हो जाएगा।
चुनाव की जिम्मेदारी के बीच पद पाने की दौड़ में अफसरों को भ्रष्टाचार का यह अवरोध पार तो करना होगा वरना ताज के दावेदार कोई कसर नहीं रख रहे हैं।
पटवारी परीक्षा में खानापूर्ति से मिली क्लीन चिट
जुलाई 2023 में आए पटवारी भर्ती परीक्षा परिणाम के बाद उपजा विवाद नए मोड़ पर आ गया हे। पटवारी परीक्षा में गड़बड़ी के लिए गठित एक सदस्यीय जांच आयोग ने परीक्षा प्रक्रिया को क्लीन चिट दे दी है। इस जांच रिपोर्ट के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने चयनित पटवारियों को ज्वाइन करवाने की तैयारी कर ली है।
लेकिन छह माह से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे युवा आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि जांच आयोग ने उनसे गड़बड़ी पर बात ही नहीं की। शिकायतकर्ताओं को आयोग ने बुलाया ही नहीं। दावे आपत्ति की प्रक्रिया इस तरह की गई कि शिकायत करने के इच्छुक छात्र तय दिन और समय पर पहुंच ही नहीं पाए। उनका पक्ष सुने बगैर आयोग ने एकपक्षीय जांच पूरी कर ली। आ
योग ने एक ही सेंटर के करीब 114 उम्मीदवारों का चयन होने तथा इनमें से 7 अभ्यर्थियों के टॉपर होने को गलत नहीं माना जबकि एक टॉपर छात्रा का वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वो एक मामूली से प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाई थी। यह बीजेपी विधायक संजीव कुशवाह के कॉलेज में बना सेंटर है।
कांग्रेस ने भर्ती परीक्षा फर्जीवाड़े की जांच और उसको क्लीन चिट दिए जाने पर कांग्रेस ने भी सवाल खड़े किए है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने कहा कि, व्यापमं 1 एवं व्यापमं 2 की तरह ही पटवारी भर्ती घोटाला हुआ था, सरकार ने जांच के नाम पर सिर्फ लीपापोती करने का काम किया है। पटवारी भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच होना चाहिए, जिससे 12 लाख परीक्षार्थियों को न्याय मिल सके। अब जांच तो हो चुकी, परिणाम भी आ गया। बीते छह माह से संत्रास झेल रहे युवाओं के हिस्से भ्रष्टाचार युक्त सिस्टम ही आया है।
भ्रष्टाचार की ‘दिवाली’ से जीवन में छाई अमावस
हरदा में पटाखा फैक्टरी में आग के बाद अब भ्रष्टाचार की दिवाली की चर्चा है। दीपावली के समय तत्कालीन एसडीएम ने जांच की थी। गड़बड़ियां पाए जाने पर कलेक्टर ऋषि गर्ग ने फैक्टरी को सील कर दिया था। लेकिन कुछ दिनों बाद फैक्टरी फिर खुल गई। नर्मदापुरम के तत्कालीन संभागायुक्त मालसिंह भयडिया ने फैक्टरी मालिक राजेश अग्रवाल को स्टे दे दिया था। वर्तमान में इंदौर के संभागायुक्त मालसिंह भयडि़या ने मीडिया से बातचीत में कहा कि दिवाली की वजह से अगली पेशी तक फैक्टरी पर रोक हटा ली गई थी। फैक्टरी को पूरी तरह व हमेशा के लिए खोलने के लिए नहीं कहा था।
इस बीच जांच आयोग ने अलग-अलग लोगों से चर्चा की है। प्रशासनिक जगत में चर्चा है कि फैक्टरी मालिक राजेश अग्रवाल ने हर स्तर पर ‘दिवाली’ मनाई थी यानी जमकर भ्रष्टाचार किया था। जिम्मेदारों की ‘दिवाली’ तो मन गई लेकिन इससे हुए फैसले ने कई मासूमों की जिंदगी को छिन कर अमावस ला दी।
फिलहाल, कलेक्टर व एसपी को हटाने के अलावा सरकार ने इस मामले में कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की है। अफसरों पर आंच आएगी तो आरोपी के आका राजनेता भी जद में आएंगे लिहाजा ग्राउंड जीरो को बुलडोजर चला कर समतल कर चुकी सरकार ने केस के तमाम पहलुओं पर चुप्पी साध कर समूचे मामले को सपाट कर दिया है।
चैट में फंसे अफसर बताएंगे बचने का गुर
प्रख्यात शायर मजाज ने लिखा है, तिरे माथे पे ये आंचल बहुत ही ख़ूब है लेकिन तू इस आंचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था...। आईएएस पी. नरहरि भी कुछ ऐसा ही करने जा रहे हैं। एक महिला कर्मचारी के साथ उनकी चैट के वायरल होने के बाद आपदा से घिरे पी. नरहरि को संतोष है कि पुलिस ने चैट वायरल करने के षड्यंत्र का खुलासा कर दिया है
पुलिस ने जांच के बाद सैडमेप के एक कांट्रेक्टर को दोषी पाया है जिसने अपने कर्मचारी के जरिए आईएएस पी. नरहरि और सैडमेप की महिला अधिकारी के बीच की चैट बना कर वायरल की।
सोशल मीडिया के मास्टर कहे जाने वाले आईएएस पी. नरहरि बीते 15 दिन परेशान जरूर रहे लेकिन अब उन्होंने इस आपदा को अवसर बनाने का तरीका खोज लिया है। वे बदनाम जरूर हुए लेकिन अब ऐस फर्जी मामलों के शिकार होने से बचाने का काम करेंगे। इसके लिए एक वीडियो तैयार कर रहे जिसमें बताया जाएगा कि कि कैसे इस तरह के साइबर क्रिमिनल से बचा जा सकता है। वे बताएंगे कि कैसे एप के माध्यम से ऐसी चैट बनाई जाती है और कैसे ऐसे अपराधों से बचा जा सकता है।
आईएएस पी. नरहरि ने भले ही यह एक अवसर खोज लिया हो लेकिन इस पूरे प्रकरण से जाहिर होता है कि भ्रष्टाचार विभागों में किस हद तक फैला है और ठेकेदार किस सीमा तक जा अपना हित साध रहे हैं।