जी भाईसाहब जी: आदिवासी को सत्ता का साधन मानने वाले बीजेपी नेता संकट में नदारद
MP Politics: आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए एमपी बीजेपी पिछले दो साल से सक्रिय हैं। पेसा एक्ट लागू करने के साथ ही बड़े-बड़े इवेंट किए गए ताकि आदिवासी हितैषी साबित हुआ जा सके। हर बात को उत्सव बना देने वाली बीजेपी के नेता आदिवासियों के संकट में गायब हैं। उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का राजनीतिक अंदाज देख समर्थक और जनता वाह कर उठी है।
महू में आदिवासी युवती और युवक की मौत के मामले पर प्रदेश की राजनीति गरमा हुई है. कांग्रेस का जांच दल घटना स्थल पर हो कर आया है और उसने सरकार पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगाया है, मगर गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस पर घड़ियाली आंसू बहाने का आरोप लगाया है। आदिवासी युवक पर पुलिस द्वारा गोली चलाने पर सरकार का तर्क है कि पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई और युवक की मौत हो गई। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने आदिवासी अत्याचार पर सरकार को घेरा है मगर बीजेपी सरकार और संगठन के कर्ताधर्ता इस मामले पर मौन हैं। वे किसी तरह मुद्दा शांत होने का इंतजार कर रहे हैं। यह चुप्पी की बीजेपी पर सवाल उठा रही है। आदिवासियों को सत्ता पाने का साधन मानने वाले बीजेपी नेता उनके दर्द पर मौन हैं। सुख में इवेंट और दु:ख में दूरी की यह राजनीति पर सवाल तीखे हो रहे हैं।
आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए बीजेपी पिछले दो साल से सक्रिय हैं। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल में तथा गृहमंत्री अमित शाह जबलपुर में बड़े आयोजनों में भागीदारी कर चुके हैं। इतना ही नहीं राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने भी अपने समाज से जुड़ाव रखते हुए प्रदेश भर में आदिवासी जिलों के दौरे किए हैं। आदिवासी क्षेत्रों में रात बिताई है। राजभवन में एक अलग प्रकोष्ठ बनाया गया है जो केवल आदिवासी मामलों को देख रहा है। आदिवासी समुदाय से विजय शाह, बिसाहूलाल सिंह और मीना सिंह को मंत्री बनाया गया है। राज्यसभा में भेजने की बारी आई थी तब आदिवासी नेता सुमेर सिंह सोलंकी को चुना गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासी वर्ग को पार्टी से जोड़ने के लिए पेसा कानून लागू किया है। आदिवासियों से जुड़ी तमाम योजनाओं, जनजातीय जननायकों की प्रतिमाएं लगवाने और स्मारकों का विकास कराने जैसे काम तेजी से शुरू किए हैं। 15 नवंबर से मप्र में पेसा कानून प्रभावी होने के बाद सीएम खुद आदिवासी क्षेत्रों में जाकर पेसा जागरूकता शिविर लगाकर आदिवासियों से सीधे जुड़ रहे हैं।
यह सब भव्य पैमाने पर इवेंट के रूप में हो रहा है क्योंकि मध्य प्रदेश में सत्ता की चाबी करीब 22 फीसदी आदिवासी आबादी के पास है। 230 विधानसभा सीटों में से 47 आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं तो दो दर्जन सीटों पर आदिवासी वोट हार-जीत पर असर डालते हैं। 2018 के चुनाव में आदिवासी क्षेत्र की 30 सीटों पर हार बीजेपी को भारी पड़ी थी। माना गया कि यदि ये सीट जीती जाती तो बीजेपी फिर सरकार बनाती। यही कारण है कि बीजेपी ने चुनावी समीकरण साधने के लिए सबसे पहले आदिवासियों के लिए बड़े इंवेट आयोजित किए।
महू में जब दो आदिवासियों की मौत हुई तो बीजेपी सकते में आ गई क्योंकि प्रदेश में आदिवासी बहुल 89 ब्लॉक में सबसे ज्यादा आदिवासी बहुल 40 विकासखंड इंदौर संभाग में हैं। सवाल उठे कि दो आदिवासियों की मौत तथा पीडि़त परिवार पर एफआईआर होने तथा कांग्रेस के सदन से लेकर सड़क तक सक्रिय होने के बाद भी बीजेपी खेमे में खामोशी पसरी है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मजिस्ट्रियल जांच की बात कही है मगर बाकी सब चुप हैं। महू की विधायक पर्यटन व संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर, दूसरे आदिवासी मंत्री और नेता, राज्यपाल आदि ने चुप्पी को ही चुना है। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय जरूर पीड़ितों से मिलने पहुंचे थे। मुद्दा केवल महू के आदिवासी परिवारों के कष्ट का नहीं है। नेमावर, मंडला, डिंडोरी, सिरोंज, नीमच में आदिवासियों की हत्या और उत्पीड़न पर बीजेपी नेता मौन ही रहे हैं। ऐसे में सवाल तो उठेंगे ही वोट पाने के लिए हर बात-बेबात पर इवेंट और उत्सव रच देने वाली बीजेपी के नेता आखिर आदिवासियों का दु:ख व कष्ट बांटने के मौके पर नदारद ही रहते हैं।
कैलाश विजयवर्गीय की हनुमान चालीसा ‘शक्ति’ पाठ
मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में हिंदुत्व को मुद्दा बनाए रखने के लिए हर संभव जतन हो रहे हैं। कथा वाचकों के प्रभाव का लाभ लेने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेताओं में कथा करवाने की होड़ है। दूसरी तरफ, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी ऐसे मंदिरों में सक्रियता बढ़ा दी है जहां लोगों की आवाजाही कम है। इन मंदिरों में स्वयं सेवक हनुमान चालीसा, सुंदरकांड पाठ आदि के आयोजन कर रहे हैं ताकि श्रद्धालुओं की आमद बढ़ जाए।
इसी क्रम में इंदौर में 25 मार्च को होने वाला पितृ पर्व कार्यक्रम चर्चा में आ गया है। अपने इस निजी आयोजन के जरिए बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय एकबार फिर शक्ति प्रदर्शन करने जा रहे हैं। बीते दिनों बीजेपी पदाधिकारियों, पार्षदों, हारे हुए पार्षदों की एक बैठक में कैलाश विजयवर्गीय ने संगठन की सक्रियता की बात करते हुए पितृ पर्व में भागीदारी का लक्ष्य तय किया गया है। इस आयोजन में श्री श्री रविशंकर की उपस्थिति तो खास होगी ही पचास हजार युवा 4-4 बार हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। पितृ पर्व उस पितृ पर्वत पर हो रहा है जहां 2000 में महापौर रहते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने वास्तुविदों की सलाह पर पितरेश्वर हनुमान की 108 टन वजनी और 72 फीट ऊंची मूर्ति लगवाई थी।
माना जा रहा है कि केंद्र और राज्य की राजनीति में हाशिए पर चल रहे कैलाश विजयवर्गीय गृह क्षेत्र में यह आयोजन कर अपनी शक्ति का संदेश दूर-दूर तक पहुंचा पाएंगे। इस प्रदर्शन से मिली शक्ति का प्रयोग विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण से लेकर अन्य अवसरों पर भी किया जा सकेगा।
बुलेट, ट्रैक्टर पर सवार अध्यक्ष, वह खबर कब आएगी
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आते-आते नेता जनता के बीच पहुंच गए हैं। वे अपनी उपस्थिति दिखलाने को तरह-तरह के उपक्रम भी कर रहे हैं। ऐसे ही नेताओं में एक नाम है बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा। भोपाल में बाइक और धार में बैलगाड़ी की सवारी कर चुके वीडी शर्मा छिंदवाड़ा में ट्रैक्टर की सवारी करते हुए नजर आए। वीडी शर्मा बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह की यात्रा की तैयारियों का जायजा लेने छिंदवाड़ा पहुंचे थे। 2020 में प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए खुजराहो सांसद विष्णुदत्त शर्मा का कार्यकाल पूरा हो गया है। यूं तो राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का भी कार्यकाल पूरा हो गया था मगर 2024 में लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी ने नया अध्यक्ष चुनने की जगह उनका कार्यकाल बढ़ा दिया।
माना जा रहा है कि यही निर्णय मध्य प्रदेश पर भी लागू होगा और मिशन 2023 को देखते हुए विष्णुदत्त शर्मा का कार्यकाल बढ़ा दिया जाएगा। यह तो माना जा रहा है, जब तक केंद्रीय संगठन से इस बारे में आदेश नहीं आ जाते हैं तब तक धुकधुकी तो बंनी हुई है। कार्यकाल वृद्धि का पत्र आने का इंतजार पूरा नहीं हो रहा है, इधर संगठन में चर्चाएं खत्म नहीं होती कि राजनीतिक समीकरणों को साधने के लिए किसी और को अध्यक्ष बनाया जा सकता है। केंद्रीय नेतृत्व के मन की थाह मिल नहीं रही है और इसी ऊहापोह में अध्यक्ष वीडी शर्मा सक्रिय दिखने के हर जतन कर रहे हैं।
छा गए 500 में सिलेंडर की घोषणा और 3000 एमएसपी की मांग
मिशन 2023 में बीजेपी पूरी ताकत लगा रही है तो सत्ता वापसी के लिए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने भी कमर कस ली है। कमलनाथ का अधिकांश समय दिल्ली में गुजरा हैं और वे बड़े फलक की राजनीतिक करने में माहिर माने जाते हैं। इसी कारण उन पर कार्पोरेट शैली में राजनीति करने का आरोप भी लगता है मगर इस बार कमलनाथ ने एक सभा में ऐसा अंदाज दिखाया कि समर्थक कहे उठे, छा गए गुरु।
छिंदवाड़ा पहुंचे कमलनाथ ने बढ़ती महंगाई और महिलाओं पर उसके असर पर लक्ष्य कर घोषणा कि कांग्रेस सरकार बनी तो गैस सिलेंडर 500 रुपए में दिए जाएंगे। लाड़ली बहना योजना में महिलाओं को एक हजार रुपए दे रही बीजेपी की लोकप्रियता के मुकाबले कांग्रेस सरकार आने पर 1500 रुपए देन की घोषणा भी की गई। कमलनाथ की यह घोषणा चर्चा में गई है। बीजेपी ने कमलनाथ पर हर तरह से आक्रमण कर उनकी घोषणा का असर कम करने की कोशिशें की हैं। मुद्दा केवल महिलाओं की पसंद की घोषणा ही नहीं है बल्कि कमलनाथ ने जिस अंदाज में ये घोषणाएं कि वह बीजेपी नेताओं का अंदाज याद दिलाता है। सधी शैली में भाषण देने वाले कमलनाथ के इस रूप को देख समर्थक वाह कर उठे।
महिलाएं महंगाई से परेशान हैं तो बेमौसम बारिश ने फसल को बर्बाद कर दिया है। किसान गेहूं की फसल काट भी नहीं पाए और ओलावृष्टि ने सब तबाह कर दिया। ऐसे समय में कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी की एक मांग चर्चित हो गई है। जीतू पटवारी ने मांग की है कि गेहूं का समर्थन मूल्य 3000 हजार रुपए कर देना चाहिए। फसल की बढ़ती लागत और कम दाम से परेशान किसान जीतू पटवारी की मांग को बड़ी राहत मान रहे हैं। यह मानने वालों की कमी नहीं है कि महिलाओं और किसानों तक पहुंच की यह राह कांग्रेस को सत्ता तक ले जा सकती है।