जी भाई साहब जी: कड़कड़ाती ठंड में पसीना-पसीना बीजेपी

Pravasi Bharatiya Divas: कड़ाके की सर्दी में बीजेपी पसीना-पसीना है। इसका कारण चुनावी साल में स्थितियों का चुनौतीपूर्ण बनते जाना है। पीएम नरेंद्र मोदी यात्रा और प्रतिष्‍ठा आयोजन प्रवासी दिवस सम्‍मेलन में अव्‍यवस्‍था तथा करणी सेना का प्रदर्शन मुद्दा बन गया है। इधर, नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह का सीडी बयान भी राजनीतिक गर्मी बनाए हुए है।

Updated: Jan 10, 2023, 07:11 AM IST

प्रवासी दिवस सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रवासी दिवस सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

सर्दी के मौसम में जब अलाव और हीटर लगा कर गर्मी का अहसास किया जा रहा है तब बीजेपी पसीना-पसीना है। इसका कारण चुनावी साल में स्थितियों का चुनौतीपूर्ण बनते जाना है। गुटबाजी, पूर्व मुख्‍यमंत्री उमा भारती के राजनीतिक हमले, पुराने नेताओं को कम तवज्‍जो से बढ़ती नाराजगी, महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दे पहले ही पहले ही परेशान किए हुए थे। अब सड़क पर हो रहे आंदोलन के कारण बीजेपी नेताओं की पेशानी पर बल पड़ रहे हैं। खासतौर से जिस प्रवासी सम्‍मेलन के कारण अपनी छवि चमकाने के प्रयास हुए थे वहां की अव्‍यवस्‍था और मेहमानों की नाराजगी मुद्दा बन गई। 

प्रवासी भारतीय दिवस 2023 के आयोजन के लिए मध्‍य प्रदेश का चयन गौरव का विषय था। इस प्रतिष्‍ठा आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति और उनसे मुलाकात व उनके साथ होने की लालसा में करीब तीन हजार अप्रवासी भारतीय इस सम्‍मेलन के लिए इंदौर पहुंचे। जब पीएम मोदी के साथ होने या उन्‍हें देखने का अवसर ही न मिले तो मेहमानों का नाराज होना स्‍वाभाविक है। ऐसा हुआ भी। दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  के होने वाले संबोधन को सुनने पहुंचे प्रवासी भारतीय सभागार में प्रवेश नहीं दिए जाने से नाराज हो गए। खबरों के अनुसार 300 से ज्‍यादा एनआरआई कार्यक्रम स्थल के बाहर ही रहें। रोके जाने वालों में लंदन के डिप्टी मेयर और जमैका के मंत्री भी शामिल हैं। 

प्रवासी सम्‍मेलन को लेकर बीजेपी का राजनीतिक मंतव्‍य भी है। पार्टी ने प्रवासी भारतीयों के सहारे भारत में उनके परिजन तक पहुंच गहरी करने की कवायद की है। ऐसे में सम्‍मेलन की अव्‍यवस्‍था से  उपजी नाराजगी का असर दूर तक हो सकता है। आयोजन की गड़बडि़यों पर प्रवासी भारतीयों ने यह सवाल किया कि भारत सरकार और मध्‍य प्रदेश सरकार 3,000 लोगों के बैठने की व्यवस्था नहीं कर सकती तो विश्‍व शक्ति कैसे बनेगी? जाहिर है यह सवाल बीजेपी को परेशान करने वाला है और इसलिए इंदौर के सांसद शंकर लालवानी सामने आए और बात संभालते हुए कहा कि शुरुआती दौर में थोड़ा समय जरूर लगा लेकिन बाद में सब ठीक कर लिया गया। यह शुरुआती एंगर मैनेजमेंट हो सकता है मगर यदि प्रवासी भारतीयों के बुरे अनुभव छवि चमकाने के प्रयासों पर एक डेंट तो है ही।  

करणी सेना ने भरी हुंकार, माई के लाल की चुनौती किसको 

इंदौर में जब प्रवासी भारतीय सम्‍मेलन और इंवेस्‍टर्स समिट जैसा प्रतिष्‍ठा आयोजन हो रहा है और उसी समय भोपाल में राजपूतों का मोर्चा खोल देना सरकार और बीजेपी संगठन के लिए खासा परेशानी वाला रहा। प्रदर्शन के दौरान माई के लाल के नारे लगा कर करणी सेना ने सीएम शिवराज सिंह चौहान के उस बयान को याद दिला दिया जिसमें उन्‍होंने कहा था कि कोई माई का लाल आरक्षण खत्‍म नहीं कर सकता है। 

करणी सेना ने भोपाल में विधानसभा घेराव की पहले से सूचना दे दी थी। उनके शक्ति प्रदर्शन को कमजोर करने के लिए बीजेपी ने राजपूत सम्‍मेलन भी आयोजित कर लिया और राजपूतों को लुभाने वाली घोषणाएं भी कर दी गई। मगर बात बनी नहीं। 

रविवार को राजधानी में हजारों की संख्या में करणी सेना के कार्यकर्ता पहुंच गए। खुफिया पुलिस भी इनकी संख्‍या का अंदाजा नहीं लगा सकी थी। बीजेपी ने राजपूत नेताओं को इस आंदोलन के कर्ताधर्ताओं ने बात करने का जिम्‍मा दिया लेकिन यह रणनीति काम नहीं आई। करणी सेना के नेतृत्‍वकर्ता 21 सूत्रीय मांगों पर मुख्‍यमंत्री से बात करने की जिद पर अड़ गए हैं। सरकार के संकट मोचक नेता फिलहाल करणी सेना की हुंकार के बाद चुप्पी साधने को मजबूर हैं। 

आयोजन स्‍थल पर माई के लाल आए जैसे नारे तो लगे ही भाषणों में कहा गया कि हमने जिन राजपूत नेताओं को विधायक सांसद बनाया वे ही हमारी बात नहीं उठा रहे हैं। यह बात लगभग चेतावनी के अंदाज में कही गई थी। इसके बाद से बीजेपी मुद्दे को जरा ठंडा होने देने का इंतजार कर रही है। उसके लिए राहत की बात यही है कि प्रशासन ने प्रबंधन कर मामले को उग्र होने से बचा लिया। अन्‍यथा प्रवासी सम्‍मेलन की चकाचौंध भरी खबरों के बीच करणी सेना केआंदोलन का राष्‍ट्रीय खबरों में छा जाना तय था। 

रामायण कांफ्रेस में महाभारत  

बीजेपी संगठन के प्रदेश अध्‍यक्ष वीडी शर्मा की कार्यस्‍थली भले ही महाकौशल क्षेत्र रहा हो लेकिन जबलपुर समेत पूरे महाकौशल क्षेत्र को सत्‍ता में पर्याप्‍त प्रतिनिधित्‍व नहीं मिला है। इस कारण महाकौशल क्षेत्र के तमाम नेता सार्वजनिक और व्‍यक्तिगत मुलाकातों में अपना आक्रोश जताते रहे हैं। पूर्व मंत्री और जबलपुर के पाटन के विधायक अजय विश्‍नोई ने अक्‍सर ही अपनी पीड़ा सोशल मीडिया पर व्‍यक्‍त करते रहते हैं। इसबार भी उन्‍होंने महाकौशल क्षेत्र का नजरअंदाज करती बीजेपी की राजनीति पर उन्‍होंने तंज किए।   

मामला जबलपुर में आयोजित ‘रामायण कांफ्रेंस’ का है। इस कांफ्रेंस में कई देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ऑनलाइन कांफ्रेंस को संबोधित किया। लेकिन आयोजनकर्ता संस्कृति विभाग की मंत्री मंत्री ऊषा ठाकुर उद्घाटन कार्यक्रम में नहीं पहुंची। जिस आयोजन में श्रीलंका के संस्कृति मंत्री रीविदुरा विक्रमनायके, मॉरिशस के संस्कृति मंत्री, स्विट्जरलैंड के सांसद, बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी, सांसद राकेश सिंह सहित 15 देशों के प्रतिनिधि पहुंचे हो वहां आयोजनकर्ता मंत्री उषा ठाकुर का न आना अखरना स्‍वाभाविक था। 

इस पर पाटन विधायक अजय विश्नोई ने ट्वीट कर संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर के बहाने राजनीतिक समीकरणों पर तंज कसा दिया। अजय विश्नोई ने ट्वीट किया – “जबलपुर में वर्ल्ड रामायण कांफ्रेंस का आयोजन है। एमपी का संस्कृति मंत्रालय इसका सहयोगी है, संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर जी को उद्घाटन में आना था। वे नहीं आईं, ठीक भी है जब सभी संस्कृति इंदौर व मालवा में उपलब्ध है तो गोंडवाना व महाकौशल की संस्कृति की परवाह क्यों की जाए?’’ 

बात केवल एक आयोजन से उठी मगर अजय विश्‍नोई ने गोंडवाना और महाकौशल की संस्‍कृति का जिक्र कर राजनीति की दुखती रग छेड़ दी है। बीजेपी के पास फिलहाल इस असंतोष को शांत करने का कोई नुस्‍खा नहीं है। 

अश्‍लील सीडी की हकीकत जानने को परेशान नेता 

बीते कई दिनों से नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह खबरों में है। पहले विधानसभा में सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव ला कर तथा फिर अश्लील सीडी होने का बयान दे कर वे सनसनी पैदा कर चुके हैं। डॉ. गोविंद सिंह पर बीजेपी के राजनीतिक हमले तब तेज हो गए जब उन्होंने संघ और भाजपा नेताओं की कई अश्लील सीडियां अपने पास होने का दावा किया। इस बयान पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा आक्रामक हो गए। उन्होंने कहा कि यह भाजपा को बदनाम करने की गंदी राजनीति है। उन्होंने गोविंद सिंह को वीडियो सामने लाने की चुनौती भी दी। 

मामला गरमाने पर गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने भी प्रतिक्रिया देते हुए सीडी की बात हवा में उड़ाने की कोशिश की लेकिन इस प्रतिक्रिया के तुरंत बाद गृहमंत्री मिश्रा और नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह की सौजन्‍य भेंट हो गई। इस मुलाकात के बाद राजनीतिक कयासों ने जोर पकड़ा। कांग्रेस प्रदेश अध्‍यक्ष कमलनाथ ने यह कह कर मामला गर्मा दिया कि उन्होंने भी ये अश्लील सीडियां देखी हैं लेकिन हम नहीं चाहते की मप्र की बदनामी हो, इसलिए सार्वजनिक नहीं किया। 

बयानों की राजनीति के बीच पहेलियां बन गई अश्लील सीडी को लेकर सवाल उठा कि इन्हें सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है? क्‍या कांग्रेस किसी खास मौके का इंतजार कर रही है? बीजेपी नेताओं में यह जानना की सबसे ज्‍यादा जिज्ञासा है कि ये सीडी नई है या पुरानी। कुछ ने मान लिया है कि ये सीडी पुरानी है इसलिए वे बेफिक्र हो गए है। 

मगर इस बीच नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह की मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से हुई मुलाकात चर्चा बन गई। गृहमंत्री डॉ. मिश्रा और मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से नेता प्रतिपक्ष की ताबड़तोड़ हुई मुलाकातों को सीडी के बयान से ही जोड़ कर देखा गया है। हालां‍कि, इस मामले से राजनीति के ठहरे पानी में हलचल जरूर उठी है मगर कांग्रेस में इन मुलाकातों पर दो राय है। कई कांग्रेस नेता मानते हैं कि गृहमंत्री और मुख्‍यमंत्री से नेता प्रतिपक्ष की मुलाकात राजनीतिक रूप से उचित नहीं थी।  

मैदान में शक्ति बढ़ाने कमलनाथ की सक्रियता 

नया साल नई सरकार अभियान शुरू कर चुकी कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष कमलनाथ इन दिनों मैदान में कांग्रेस की शक्ति बढ़ाने के लिए सक्रिय हुए है। वे सभी समाजों को साधने का प्रयास कर रहे हैं. सतना में ओबीसी वर्ग के सम्मेलन के बाद मांझी समाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। बीजेपी ने अपने पार्षदों का सम्‍मेलन किया तो कांग्रेस ने पंचायती राज सम्मेलन आयोजित किया। विधानसभा चुनावों की तैयारी के तहत लगातार बैठकों का दौर जारी है। तय किया गया है कि जिन भी सीटों पर कांग्रेस को हार मिली है वहां कमलनाथ स्‍वयं दौरे करेंगे। 

प्रदेश अध्‍यक्ष की इस सक्रियता के साथ ही उनके मीडिया सलाहकार नियुक्‍त हुए वरिष्‍ठ पत्रकर पीयूष बबेले अपने नेता कमलनाथ की छवि चमकाने को मैदान में आ गए हैं। पीयूष बबेले ने अपने लेखों में नए नजरिए के साथ कमलनाथ के नेतृत्‍व को प्रस्‍तुत करना शुरू किया है। एक तरह से यह मीडिया में नई लाइन सेट करने का काम है ताकि समग्रता में मीडिया कमलनाथ की सक्रियता को विशेष अंदाज से देख सके।