MP cabinet expansion : मंत्रिमंडल विस्तार के खिलाफ निर्वाचन आयोग गई शिवसेना

Election Commission : शिकायत है कि मंत्रिमंडल विस्तार में संविधान के नियमों का उल्लंघन हुआ है, सुनवाई न होने पर शिवसेना सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी

Publish: Jul 05, 2020, 05:31 AM IST

courtesy :india.com
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मध्य प्रदेश में गुरुवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार का बीजेपी के अंदर तो विरोध हो ही रहा है, विपक्षी दलों ने भी मोर्चा खोल दिया है। कैबिनेट विस्तार के बाद से राज्य में विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है। शिवसेना ने बीजेपी के मंत्रिमंडल विस्तार के खिलाफ राज्य निर्वाचन आयोग में शिकायत की है। शिवसेना ने निर्वाचन आयोग से इस मामले को संज्ञान में लेने की मांग की है। आरोप है कि कैबिनेट विस्तार के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने विधायकों की प्रभावी संख्या 206 के 15% से ज्यादा मंत्री बनाकर कानून को तोड़ा है। बीजेपी ने विधायकों की मौजूदा संख्या के 15 फीसदी से ज्यादा मंत्री बना दिए हैं। 

शिकायत की जांच न होने पर सुप्रीम कोर्ट जाएगी शिवसेना 
शिवसेना ने निर्वाचन आयोग से कहा है कि संविधान में वर्णित मंत्रियों के संख्याबल से अधिक मंत्री नियुक्त किए गए हैं। इसलिए शिवसेना ने निर्वाचन आयोग से इस मामले को संज्ञान में लेकर जल्द से जल्द कार्रवाई करने की मांग की है। अगर निर्वाचन आयोग की तरफ से शिवसेना की शिकायत पर जांच नहीं होती है, तो ऐसे में शिवसेना शीर्ष अदालत का रुख कर सकती है।

कांग्रेस भी न्यायालय जाने की तैयारी में 
शिवसेना से पहले कांग्रेस ने मंत्रिमंडल विस्तार के खिलाफ न्यायालय जाने की तैयारी शुरू कर दी है। बीजेपी सरकार द्वारा संवैधानिक पाबन्दियों को दरकिनार कर मंत्रिमंडल में नियम से अधिक मंत्रियों को जगह देने के विरूद्ध कांग्रेस न्यायालय जाने की तैयारी कर रही है। इसकी जानकारी कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने गुरुवार को दी। कांग्रेस नेता ने गुरुवार को मंत्रिमंडल विस्तार पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 15 फीसदी से अधिक मंत्री बनाकर कानून को तोड़ने का काम किया है। तन्खा ने ट्वीट कर कहा था कि कांग्रेस इस गैरकानूनी मंत्रिमंडल के खिलाफ कोर्ट जाएगी।

क्या कहता है नियम ? 
किसी भी राज्य के मंत्रिमंडल में कुल मंत्रियों की अधिकतम संख्या सीमित होती है। ऐसे में राज्य सरकार के कैबिनेट विस्तार के बाद मंत्रियों की कुल संख्या संवैधानिक कसौटी पर खरी उतरती नहीं दिख रही है। जिसके खिलाफ कांग्रेस और अब शिवसेना ने कोर्ट जाने की बात कही है। दरअसल किसी राज्य की विधानसभा में मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों की संख्या, विधानसभा की प्रभावी संख्या के 15 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसकी तस्दीक संविधान में वर्णित अनुच्छेद 164 1(अ) करता है। इस अनुच्छेद के मुताबिक राज्य सरकार में मुख्यमंत्री समेत कैबिनेट मंत्रियों की संख्या विधायकों की प्रभावी संख्या के 12 फीसदी होनी चाहिए। तो वहीं कैबिनेट में मंत्रियों की अधिकतम संख्या 15 फीसदी हो सकती है। लेकिन राज्य कैबिनेट की मौजूदा स्थित की बात करें तो गुरुवार को 28 मंत्रियों के शपथ लेने के बाद, कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत अब 34 मंत्री हो गए हैं। विधानसभा की कुल संख्या अभी 206 विधायकों की है। लिहाज़ा राज्य कैबिनेट में इस वक़्त मंत्रियों की अधिकतम संख्या 30 या 31 ही हो सकती है। ऐसे में यह अनुच्छेद 164 1 (अ) का साफ साफ उल्लंघन है।