हरतालिका तीज व्रत से मिलेगा अखंड सौभाग्य, पूजन से प्रसन्न होंगे उमा महेश्वर

तीजा पर निर्जला व्रत रखेंगी महिलाएं, सुहागिनें पति की लंबी उम्र और कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए करती हैं व्रत, रात्रि जागरण और विधिपूर्वक पूजन से पूरी होती है मनोकामना

Updated: Sep 10, 2021, 09:16 AM IST

Photo Courtesy: social media
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जीवन में सुख सौभाग्य पाने के लिए महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत करती हैं। देश के विभिन्न प्रांतों में इस व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है। हरतालिका व्रत को तीजा भी कहते हैं। यह भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। हरतालिका तीज को व्रतों का राजा याने व्रतराज कहा जाता है। इस साल तीजा गुरुवार 9 सितंबर को मनाया जाएगा।

निर्जला व्रत रख कर करें शिव पार्वती की पूजा

हरतालिका तीज पर सौभाग्य की कामना करने वाली महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, दूज की रात 12 बजे करिंज की दातून करने के बाद इस व्रत का संकल्प लिया जाता है। कुछ जगहों पर तीज के दिन सुबह भोर में उठकर मौनी स्नान किया जाता है। मौनी स्नान याने बिना स्नान किए बोला नहीं जाता। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विधिविधान से की जाती है।

सोलह श्रृंगार का है महत्व

हरतालिका तीज के मौके पर महिलाएं नख से शिख तक 16 श्रृंगार करती हैं। हाथों में मेंहदी रचाती हैं, पैरों में महावर रंगती हैं। नए कपड़े, चूड़ियां, गजरा, नथ, बेंदी, पायल, बिछिया पहनती हैं। इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं वहीं कुवारी कन्याओं को मन चाहा वर मिलता है।

 उमा-महेश्वर के पूजन की सामग्री

तीजा की पूजा के लिए फूलों का मंडप तैयार किया जाता है। उसे केले और आम के पत्तों से सजाया जाता है। मंडप के बीचों बीच लकड़ी की चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछा दें फिर उस पर परांत रख दें। फिर उसमें मिट्टी से बने शिवजी औऱ मां पार्वती की मूर्ति रखें। पूजा की थाली में हल्दी, कुमकुम, सिंदूर, चंदन, कलावा, जनेऊ, नारियल और माता के लिए लाल वस्त्र या चुनरी, माता को चढ़ाने के लिए श्रंगार का सभी सामान, चूड़ी, सिंदूर, मेंहदी, फूल, सभी तरह के फल रखें। बेलपत्र, दूर्वा, लाल पीले फूल, पान सुपारी, बताशा, मेवा, कपूर अगर बत्ती, घी का दीपक और हवन सामग्री की जरूरत होती है।

सुहाग की सामग्री से करें मां पार्वती का श्रृंगार

तीजा व्रत में भगवान भोलेनाथ शिव और माता पार्वती की पूजा विधि विधान से की जाती है। उन्हें सुहाग की सामग्री चढ़ाई जाती है। जिसमें मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, महावर, नारियल, चुनरी आवश्यक है। तीजा की पूजा रात में पांच बार की जाती है। मंडप में विराजे भोले नाथ और माता पार्वती की पूजा के साथ रात्रि जागरण का बड़ा महत्व है। व्रत करने वाली महिलाओं के लिए सोना वर्जित है। तीजा निराहार और निर्जला होकर रहा जाता है। दूज की रात्रि को जल ग्रहण करने के बाद चतुर्थी तिथि पर सुबह ही व्रत खोला जाता है। 

 शिव पार्वती का पूजन देगा शुभ फल

भगवान की पूजा के लिए चावल से अष्टकमल बनाएं, आम्र पल्लव के साथ कलश की स्थापना करें। कलश के लोटे में स्वास्तिक बनाएं उसे जल भर दें। उसमें सुपारी, सिक्का और हल्दी डाल दें। फिर उसपर कटोरी रखकर मिट्टी का दीपक रखें, उसे घी से भरें और जलादें, इस अखंड दीपक को रातभर जलने दें।

 शिव पार्वती का पंचामृत और जल से अभिषेक करें। फिर कलावा, चंदन, रोली, कुमकुम अर्पित करें। शिव जी को हल्दी नहीं चढ़ती है। इस बात का ख्याल रखें। फिर माता पार्वती को श्रृंगार सामग्री अर्पित करें। धूप, फूल, दीप, पान, शमीपत्र, बेलपत्र, फल, मिठाई और मेवा अर्पित करें। पूजा के बाद हरतालिका तीज की व्रत कथा करें, हवन और आरती करें। हवन और आरती रात्रि जागरण के दौरान 5 बार करना चाहिए। शिवजी के मंडप के पास भजन कीर्तन करने का विशेष महत्व है।

हरतालिका व्रत पूजन का शुभ मुहूर्त

गुरुवार सुबह 6.3 मिनट से सुबह 8.33 मिनट तक और प्रदोषकाल काल में शाम 6.33 से रात 8.51 मिनट तक है शुभ मुहुर्त, इसके बाद रात्रि के हर प्रहर 5 बार पूजन का विधान है। शुभ काल में पूजा  शुरू करने से मनोकामना पूरी होगी