अम्पायर्स कॉल पर एक बार फिर छिड़ी बहस, पहली पारी में भारतीय टीम को फायदा और नुकसान दोनों

इंग्लिश सलामी बल्लेबाज़ जैक क्रॉली को अम्पायर्स कॉल होने की वजह से नॉट आउट करार दे दिया गया वहीं इसी वजह से रूट को पवेलियन लौटना पड़ा

Updated: Feb 24, 2021, 12:41 PM IST

Photo Courtesy : DNA India
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अहमदाबाद। भारत और इंग्लैंड के बीच तीसरा टेस्ट मैच अहमदाबाद के मोटेरा में जारी है। इस शृंखला में रिव्यु के नियमों को लेकर काफी चर्चा हो रही है। रिव्यु के दौरान अम्पायर्स कॉल के नियम की काफी आलोचना हो रही है। चेपॉक टेस्ट के बाद एक बार फिर अम्पायर्स कॉल को लेकर विवाद बढ़ता नज़र आ रहा है। मोटेरा टेस्ट के पहले दिन अम्पायर्स कॉल की वजह से इंडियन टीम को नुकसान भी हुआ और फायदा भी।  

दरअसल आर अश्विन इंग्लैंड की पहली पारी का 20वां ओवर फेंक रहे थे। ओवर की तीसरी गेंद पर अश्विन गेंद हल्की ऊपर उठकर  क्रॉली के बैक पैड से टकरा गई। गेंद पिछले पैड्स से टकराते हुए स्लिप में खड़े कप्तान कोहली के पास एक टप्पे में पहुंची। इसी बीच भारतीय टीम ने ज़ोरदार अपील की। लेकिन ऑन फील्ड अम्पायर अनिल चौधरी ने क्रॉली को नॉट आउट करार दिया। कप्तान कोहली ने रिव्यु लिया, रिव्यु में साफ़ नज़र आ रहा था कि गेंद ऑफ स्टंप के ऊपरी हिस्से को चूमते हुए जा रही है। लेकिन चूँकि ऑन फिल्ड अम्पायर ने  क्रॉली को नॉट आउट करार दिया था। इसलिए क्रॉली नॉट को आउट करार दिया गया।  क्रॉली आउट करार नहीं दिए गए लेकिन इंडियन टीम का रिव्यु बच गया। 

इसके बाद अश्विन जब दोबारा गेंदबाज़ी करने आए तब 23 वें ओवर की पांचवीं गेंद में एक बार फिर गेंद बल्लेबाज़ के पैड्स से टकरा गई। लेकिन इस बार  क्रॉली की जगह सामने कप्तान जो रूट थे। इस मर्तबा अम्पायर अनिल चौधरी ने बिना देर किए अपनी ऊँगली उठा दी। चूँकि इस बार रिव्यु इंग्लैंड टीम के कप्तान जो रूट ने लिया था, लिहाज़ा अंतिम फैसला लेने का ज़िम्मा एक बार फिर थर्ड अम्पायर के पास पहुँच गया। रीप्ले में नज़र आ रा था कि गेंद लेग स्टंप को छू कर जा रही थी, चूँकि अम्पायर्स कॉल था इसलिए थर्ड अम्पायर ने बल्लेबाज़ को आउट करार दे दिया। यहाँ इंग्लैंड टीम का भी रिव्यु बर्बाद नहीं हुआ। 

                                                                                                   Photo Courtesy: CricketTracker.com

दरअसल अम्पायर्स कॉल को करीबी मामलों में संज्ञान में लाया जाता है। अगर टीवी अम्पायर की नज़र में मामला करीबी होता है या टीवी अंपायर के मन में  फैसले को लेकर असमंजस की स्थिति होती है, तब नियमों के मुताबिक टीवी अम्पायर ऑन फिल्ड अम्पायर के फैसले को बरकरार रखते हैं। इस नियम की आलोचना को अगर इन दो उदाहरणों के संदर्भ में समझें, तो अगर अम्पायर ने  उसी गेंद पर क्रॉली को आउट करार दिया होता तो ऐसी स्थिति में अम्पायर्स कॉल भारत के पक्ष में जाता। दूसरी तरफ अगर जो रूट को अम्पायर ने नॉट ऑउट करार दिया होता तो ऐसी स्थिति में उसी गेंद पर जो रुट को टीवी अम्पायर ने नॉट ऑउट करार दिया होता। 

डिसिजन रिव्यु सिस्टम में अम्पायर्स कॉल को लेकर अमूमन सवाल उठते रहते हैं। मैच के निर्णायक क्षणों में यह नियम एक झटके में मैच की पूरी कहानी बदलने की कुव्वत रखता है। अमूमन अम्पायर्स कॉल को लेकर काफी बहस होती रहती है। कई क्रिकेट दिग्गजों की यह राय है कि आज के समय में जब तकनीक की इतनी सुविधा है तो उसका भरपूर उपयोग किया जाना चाहिए। जबकि इस मसले पर दूसरा पक्ष यह कहता है कि अगर रिव्यु सिस्टम में अम्पायर्स के निर्णय को सिरे से दरकिनार कर दिया जाएगा, तो ऐसी स्थिति में मैदान में अम्पायर की कोई अहमियत नहीं रह जाएगी।