बजट में सामाजिक सुरक्षा पेंशन, मातृत्व लाभ को महत्व दें, 51 अर्थशास्त्रियों ने वित्त मंत्री को लिखा पत्र

पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के प्रोफेसर ज्यां द्रेज, कैलिफोर्निया बार्कले यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर प्रणब बर्धन, आईआईटी दिल्ली में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रीतिका खेरा समेत कई जानेमाने अर्थशास्त्री मौजूद हैं।

Updated: Dec 06, 2022, 03:19 AM IST

नई दिल्ली। देश के जानेमाने अर्थशास्त्रियों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कहा है कि अगले बजट में सामाजित सुरक्षा पेंशन बढ़ाने और मातृत्व लाभ के लिए पर्याप्त प्रावधान करने की मांग की है।
पत्र में कहा गया है कि राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (एनओएपीएस) के तहत बुजुर्गों की पेंशन में केंद्र सरकार का योगदान 2006 से महज 200 रुपये प्रति माह पर स्थिर बना हुआ है।

पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के प्रोफेसर ज्यां द्रेज, कैलिफोर्निया बार्कले यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर प्रणब बर्धन, मुंबई स्थित इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च (आईआईडीआर) में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर आर नागराज, आईआईटी दिल्ली में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रीतिका खेरा, जेएनयू के प्रोफेसर सुखदेव थोराट समेत 51 जानेमाने अर्थशास्त्री शामिल हैं।

यह भी पढ़ें: कांग्रेस में बड़ी संगठनात्मक सर्जरी, कुमारी सैलजा बनीं छत्तीसगढ़ प्रभारी, रंधावा को मिली राजस्थान की जिम्मेदारी

अर्थशास्त्रियों ने पत्र में कहा कि उन्होंने इससे पहले 20 दिसंबर, 2017 और 21 दिसंबर, 2018 को पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली को भी पत्र लिखा था। उन्होंने लिखा है, ‘पत्र के जरिये हम आपको फिर से याद दिला रहे हैं। हमने अगले केंद्रीय बजट के लिये दो प्राथमिकताओं को चिह्नित करने की कोशिश की है। इसमें पहला, सामाजिक सुरक्षा के लिये पेंशन में वृद्धि और दूसरा पर्याप्त मातृत्व लाभ का प्रावधान है।'

पत्र में लिखा है, ‘चूंकि पूर्व में दोनों प्रस्तावों को नजरअंदाज कर दिया गया था, हम उन्हीं सिफारिशों को फिर से लिख रहे हैं।’ पत्र में आगे लिखा गया है कि केंद्र सरकार के योगदान को तुरंत बढ़ाकर कम-से-कम 500 रुपये (अगर हो सके तो अधिक) किया जाना चाहिए।

यह भी पढ़ें: एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स की सूची में शीर्ष पर पहुंचा राहुल गांधी का क्षेत्र वायनाड, नीति आयोग ने जारी की रिपोर्ट

पत्र में यह भी कहा गया है कि मौजूदा 2.1 करोड़ पेंशनभोगियों के आधार पर इसके लिये अतिरिक्त 7,560 करोड़ रुपये के करीब प्रावधान की जरूरत है। इसी प्रकार विधवाओं के लिए पेंशन 300 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 500 रुपये प्रति महीने की जानी चाहिए। पत्र के अनुसार, विधवाओं के लिए पेंशन मद में 1,560 करोड़ रुपये की लागत आएगी।

पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले अर्थशास्त्रियों ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में एनएफएसए (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून) मानदंडों के तहत मातृत्व अधिकारों को पूर्ण रूप से लागू किये जाने की भी मांग की है। इसके लिये कम-से-कम 8,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी।